मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

चुप क्यों हैं बयानवीर रघु शर्मा?


जानकारी है कि सरवाड़ में पिछले सात दिन से जारी गतिरोध चलते बंद पड़े बाजार का मसला नहीं सुलझा पाने के कारण राज्य सरकार के मुख्य सचिव सी के मैथ्यू ने जिला कलेक्टर वैभव गालरिया की क्लास ली है। मंगलवार की शाम फोन पर मैथ्यू ने गालरिया से जवाब-तलब किया और सारे प्रयासों के बाद भी गतिरोध न टूटने के लिए डांट लगाई। गालरिया ने उन्हें जानकारी दी बताई कि प्रशासन ने अपनी ओर से समझाइश की पूरी कोशिश की है, मगर हिंदू उत्सव समिति अड़ी हुई है। समिति की अधिसंख्य मांगें मान ली गई हैं, फिर भी उसका अडिय़ल रवैया समझ से बाहर है। वैसे इसमें कोई दोराय नहीं कि गालरिया व एसपी गौरव श्रीवास्तव प्रतिदिन सरवाड़ में रह कर मामले को सुलझाने की ईमानदार कोशिश कर रहे हैं, मगर उन्हें सफलता हाथ नहीं आ रही। यह अनुभव की कमी को दर्शाता है। अजमेर जैसे संवेदनशील जिले के लिहाज से काफी गंभीर है। समझा जाता है कि सरवाड़ का मसला अब राजनीतिक रूप ले चुका है। प्रशासन को राजनीतिक सहयोग नहीं मिल पा रहा। इस कारण उसको दिक्कत आ रही है। मगर इसे प्रशासन का फैल्योर तो कहा ही जाएगा।
इस पूरे प्रकरण में शर्मनाक पहलु ये है कि इलाके के विधायक व सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा ने एक भी दिन मौके पर जा कर मसला सुलझाने की कोशिश नहीं है। उनकी चुप्पी रहस्यपूर्ण है। आमतौर पर राजनीति मसलों पर क्रीज से बाहर जा कर बयानबाजी करने वाले प्रखर वक्ता शर्मा की इस चुप्पी के अपने अर्थ हैं। समझा जाता है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तुष्टिकरण की नीति अपना कर अपने परंपरागत वोटों को सहेज कर रखना चाहते हैं। और यही वजह है कि  जानबूझकर वहां जाने से बच रहे हैं। उन्हें ये भी डर है कि कहीं वहां जाने पर विवाद का पूरा ठीकरा उनके माथे न आ जाए।
जो भी हो, मगर सरवाड़ का मसला इतना लंबा खिंच जाना यह साबित करता है कि इसमें सरकार, राजनीतिज्ञ व प्रशासन नाकाम हो गए हैं।
ज्ञातव्य है कि उत्सव समिति के पदाधिकारी गोपाल वाटिका एवं रानी कुंड को किए गए कुर्क की कार्रवाई निरस्त करने की मांग को लेकर अड़े हैं। दूसरी ओर गोपाल वाटिका में स्थाई पुलिस चौकी स्थापित करने, गणगौरी चौक से अतिक्रमण हटाने एवं पानी की छब्बील को हटवाने, मारपीट की घटना में घायल हुए युवक के परिजन को दो-दो लाख रुपए सहायता राशि दिलवाने, क्षेत्रीय पुलिस उपअधीक्षक सरिता सिंह व सरवाड़ थाना प्रभारी दिनेश कुमावत को यहां से अन्यत्र लगाने, मारपीट के आरोपियों को गिरफ्तार करने एवं पालिका प्रशासन की ओर से गणेश तालाब को समतल करने के जारी टेंडर को निरस्त करने की मांग पर लगभग सहमति बन गई है।
विवाद का केंद्र बने रानी कुंड एवं गोपाल वाटिका को कुछ दिन पूर्व ही उपखंड मजिस्ट्रेट ने कुर्क कर वहां थाना प्रभारी को रिसीवर नियुक्त किया था। प्रशासन ने यहां आए दिन होने वाले विवाद को समाप्त करने और इन दोनों स्थलों की सुरक्षा की दृष्टि के मद्देनजर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत दोनों संपतियों को कुर्क की।
-तेजवानी गिरधर

रेगर समाज के दावे से कोलियों में खुसरफुसर


मेयर बाकोलिया की अजमेर दक्षिण पर नजर?
हाल ही रेगर समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट की मौजूदगी में समाज के पंचों की ओर से अजमेर दक्षिण सीट पर जिस प्रकार अपना हक जताया, उससे कोलियों में खुसरफुसर शुरू हो गई है। विशेष रूप से कोली समाज के सबसे प्रबल दावेदार पूर्व उप मंत्री ललित भाटी का सतर्क होना लाजिमी हैं, जिन्हें उम्मीद है कि इस बार शहर कांग्रेस महेन्द्र सिंह रलावता के सहयोग और सचिन की मेहरबानी से टिकट मिल सकता है।
हालांकि रेगर समाज की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है, उनकी ओर से दावेदार कौन होगा, मगर जिस ढंग से अजमेर के मेयर कमल बाकोलिया मुखर हुए, उससे लगता है कि कहीं इस सीट पर उनकी तो लार नहीं टपक रही। वैसे उनके एक बयान से स्वत: ही रेगर समाज का दावा कमजोर हो रहा है, वो यह कि सचिन ने अजमेर के मेयर बाकोलिया, ब्यावर नगर परिषद के सभापति मुकेश मौर्य व पुष्कर नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती मंजू कुडिऱ्या पर भरोसा जताया और तीनों ने सीटें जीत कर दिखाई। ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि अधिसंख्य महत्वपूर्ण सीटें रेगर समाज ही ले जाएगा तो कोली बहुल अजमेर दक्षिण इलाके के कोलियों का क्या होगा?