मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

सेलिब्रिटी बनते जा रहे हैं एसपी कुंवर राष्ट्रदीप सिंह

यह शीर्षक पढ़ कर आप चौंक गए होंगे। भले ही आप यकीन करें या न करें, मगर यह सच है कि अजमेर के एसपी कुंवर राष्ट्रदीप सिंह एक सेलिब्रिटी बनने की ओर अग्रसर हैं। आप सोच रहे होंगे कि वे एक दबंग एसपी तो हैं, जो उन्होंने अपने काम करने के तौर-तरीके से साबित किया है, मगर अजमेर से ही उनकी सेलिब्रिटी बनने की यात्रा भी आरंभ हो चुकी है, ऐसा कैसे संभव है?
जी हां, लॉक डाउन के दौरान उन्होंने जो सख्ती बरती, वह तो उनकी दहशत व लोकप्रियता का कारण बनी ही है, मगर तीन सेलिब्रिटीज दुनिया की सबसे छोटी लडकी नागपुर निवासी 29 साल की ज्योति आमगे, कॉमेडियन राजा एंड रेंचो और सारेगामापा 2018-19 की विनर इषिता ने उनके नाम को रेखांकित करके जो वीडियो जारी किए हैं, वे साबित करते हैं कि अब वे भी उसी पंक्ति में शुमार होने जा रहे हैं। यह एक सामान्य बात नहीं है कि बहुत महंगे सेलिब्रिटी किसी एसपी के हवाले से लॉक डाउन में घरों से न निकलने की अपील करें। स्वाभाविक है कि या तो वे उनके सुपरिचित हैं और या फिर वे उनकी कार्यशैली से इतने प्रभावित हुए हैं कि इस प्रकार का वीडियो बनाने से अपने आपको रोक न पाए हों। इन सेलिब्रिटीज के वीडियो संदेश अजमेर पुलिस राजस्थान नामक फेसबुक पर मौजूद हैं। वहां एक वीडियो वह भी नजर आ जाएगा, जिसमें खुद उन्होंने अजमेर वासियों को सीधे संबोधित किया है। अजमेर के एक पत्रकार व एडवोकेट डॉ. मनोज आहुजा ने भी एक वीडियो उनको समर्पित किया है, जो इस बात का प्रमाण है कि वे महज एक एसपी ही नहीं, बल्कि कोरोना वॉरियर्स के हीरो बन चुके हैं। इन चारों वीडियो की लिंक इस आलेख के आखिर में दिए गए हैं, जिन्हें आप क्लिक करके देख सकते हैं।
उनके लोकप्रिय होने का श्रीगणेष तब हुआ, जब उन्होंने अजमेर नगर परिशद के भूतपूर्व सभापति स्वर्गीय वीर कुमार के चेले मेयर धर्मेन्द्र गहलोत सहित लगभग सभी काउंसलर्स को लॉक डाउन तोड कर राजनीति नहीं करने देने के लिए हडकाया। यह एक गुत्थी ही रह जाएगी कि गहलोत अपमान की घूंट क्यों पी गए। खैर, राजस्थान पत्रिका व स्वामी न्यूज फेसबुक लाइव पर एसपी कोषाबाषी देने वालों की झडी लग गई। हालांकि बाद में गहलोत के समर्थकों ने भी आम आदमी की आवाज उठाने के लिए उनकी तारीफ करने में कोई कसर बाकी नहीं छोडी।
मौजूदा समय में इन्फोर्मेशन टैक्नॉलोजी आधारित सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके ने एसपी जता दिया है कि वे पुलिस में नई व त्वरित कार्यशैली में विश्वास रखते हैं। अपने अधीनस्थ पुलिस कर्मियों को संबोधन के साथ-साथ व उसीके बहाने उन्होंने आम जनता को भी आगाह करने के लिए ऑडियो क्लिप्स का इस्तेमाल करने में फुर्ती दिखाई है। हालांकि उन संदेशों की विषय वस्तु के साथ जुड़े कुछ आवृत तथ्य अलग से चर्चा का मुद्दा हो सकते हैं, मगर पूरी पारदर्शिता के साथ सीधे संवाद करना वक्त की महती जरूरत थी, जो एक मिसाल के रूप में स्थापित हो गया। आप गौर से सुनेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने सख्त शब्द चित्र की नक्काशी में बड़ी नफासत के साथ संवेदनाओं का रंग बारीक तूलिका से सजाया है, जो उनके नारियल की तरह भीतर से संवेदनशील होने आभास कराता है। ऐसा नहीं है कि उनकी अब तक की रोशनाई से भरी यात्रा में उनकी पद चापों के नीचे अतिरिक्त सख्ती की कहानियां दफन नहीं हैं, मगर तस्वीर का दूसरा रुख ये भी तो है कि लातों के भूत बातों से मानते कहां हैं। विशेष रूप से तब जब कि जरा सी आवारगी खुद की जान पर तो बन ही आए, दूसरों की जान भी आफत में डाल दे। फिर गेहूं के साथ घुन भी तो पिसता ही है।
कोरोना के खतरे के बीच जंगे मैदान में उतरे हुए पत्रकारों की स्वास्थ्य जांच करवाना उनके मीडिया फ्रेंडली होने का सबूत है। इसके लिए ऊर्जावान पत्रकार मनवीर सिंह व अभिजित दवे भी साधुवाद के पात्र हैं, जिन्होंने बखूबी संयोजन किया। जाने-माने फोटोग्राफर दीपक शर्मा व उनके सहयोगियों के जरिए लॉक डाउन के दौरान ड्रॉन के जरिए अजमेर की विहंगम दृश्यावली को केमरे में कैद करके इतिहास की धरोहर बनाना एसपी साहब की सहमति के बिना संभव नहीं था। हाल ही उन्होंने हवाई केमरे के जरिए निगरानी का जो षगल किया है, वह नवाचार की श्रेणी में गिना जा सकता है।
सबसे बड़ी बात ये है कि उनके तेवरों की जमीन पर खुद ब खुद ऐसा नेरेटिव खड़ा हो गया है कि प्रशासनिक शक्तियों से संपन्न जिला कलैक्टर विश्वमोहन शर्मा अपेक्षाकृत कम अलर्ट हैं। और यही वजह है कि शर्मा बहुत अधिक आलोचना के शिकार हो रहे हैं। अजमेर दक्षिण की विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने तो अजमेर के हॉट स्पॉट बनने के लिए सीधे-सीधे उनको ही जिम्मेदार ठहरा दिया। वे अजमेर उत्तर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी सहित अन्य भाजपा व कांग्रेस नेताओं के निशानों को भी झेल रहे हैं। यह दीगर बात है कि उन पर अनेक जटिल व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी है, और इतने संकटापन्न काल में उनमें कमियां रहना स्वाभाविक है। अपेक्षाएं अत्यधिक हैं और संसाधन सीमित। उसी का नतीजा है कि फेसबुक पर इस मत ने भी स्थान पा लिया:- अजमेर को कप्तान साहेब ने बचाए रखा था। जिला कलेक्टर और अधिकारियों ने अपनी जिद्द के आगे किसी की नहीं सुनी।
ये शब्दावली पढ़ कर मुझे यकायक लगा कि एसपी साहब के चेहरे की चमक कहीं कलेक्टर साहब के धुंधले चित्र पर तो नहीं उभर कर आ रही।
बहरहाल, किसी का मत किसी के प्रति कैसा और क्यों है, यह अलग विषय है, मगर कुल जमा बात ये है कि एसपी कुंवर राष्ट्रदीप सिंह सुपर हीरो बनते जा रहे हैं। इसे अगर प्रोजेक्शन की संज्ञा दी जाए तो भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि बोलने वाले के तो बेर भी बिक जाते हैं और मौन रहने वाले के सेब भी धरे रह जाते हैं। रहा सवाल मेरे मत का तो अपुन इस तरह के नेरेटिव के साथ नहीं हैं, चूंकि दोनों जिम्मेदार अफसरों की वर्क कल्चर्ज सर्वथा भिन्न है। दोनों की कोई तुलना नहीं हो सकती। हां, इतना जरूर है कि किसी भी टास्क की सफल पूर्णाहुति के लिए दोनों के बीच बेहतर तालमेल निहायत ही जरूरी है। यद्यपि मेरे पत्रकारिता के गुरुओं ने जो घुट्टी पिलाई, उसमें महिमामंडन की विधा का अर्क नहीं था, फिर भी मेरा मानना है कि किसी की वास्तविक तारीफ में कोई बुराई नहीं है और निरपेक्ष व सरकारात्मक आलोचना से भी पीछे हटे तो पत्रकारिता धर्म की पालना नहीं हो पाएगी।

-तेजवानी गिरधर
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