शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

विमोचन समारोह बन गया अजमेर पर चिंतन का यज्ञ

अजमेर। अजमेर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि अदद एक पुस्तक का विमोचन समारोह अजमेर की बहबूदी पर चिंतन का यज्ञ बन गया, जिसमें अपनी आहूति देने को भिन्न राजनीतिक विचारधारों के दिग्गज प्रतिनिधि एक मंच पर आ गए। यह न केवल राजनीतिकों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों व गणमान्य नागरिकों एक संगम बना, अपितु अजमेर के विकास के लिए समवेत स्वरों में प्रतिबद्धता भी जाहिर की गई।
बुधवार की सुबह क्षितिज पर उभरी सूर्य रश्मियों की ऊष्मा से मिली गर्मजोशी का यह मंजर बना च्अजमेर एट ए ग्लांसज् पुस्तक के विमोचन समारोह में। पहली बार एक ही मंच पर अजमेर में कांग्रेस के दिग्गज केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट व भाजपा के भीष्म पितापह पूर्व सांसद औंकारसिंह लखावत को मधुर कानाफूसी करते देख सहसा किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि विरोधी राजनीतिक विचारधारा के दो दिग्गज अजमेर के विकास की खातिर अपनी वैचारिक प्रतिबद्धताएं त्याग कर एक हो सकते हैं। मंच पर मौजूद प्रखर वक्ता पूर्व उप मंत्री ललित भाटी व धारा प्रवाह बोलने में माहिर पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत संकेत दे रहे थे उनमें भले ही वैचारिक भिन्नता है, मगर अजमेर के लिए उनमें कोई मनभेद नहीं है।
जिह्वा पर सरस्वती को विराजमान रखने वाले लखावत ने जिस खूबसूरती से अजयमेरु नगरी के गौरव व महत्ता का बखान किया, उससे समारोह में मौजूद सभी श्रोता गद्गद् हो गए। उन्होंने खुद उत्तर देते सवाल उठाए कि अगर अजमेर खास नहीं होता तो क्यों सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा इसी पावन धरती पर आदि यज्ञ करते? इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए दुनिया में मक्का के बाद सर्वाधिक श्रद्धा के केन्द्र ख्वाजा गरीब नवाज ने सुदूर ईरान देश से हिंदुस्तान में आ कर सूफी मत का प्रचार-प्रसार करने के लिए पाक सरजमीं अजमेर को ही क्यों चुना? उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अजमेर की विकास यात्रा का भागीदारी बनने में कोई भी राजनीतिक विचारधारा बाधक नहीं बन सकती। लखावत के बौद्धिक और भावपूर्ण उद्बोधन से मुख्य अतिथि पायलट भी अभिभूत हो गए और उनके मुख से निकला कि कोई भी शहर इस कारण खूबसूरत नहीं होता कि वहां ऊंची-ऊंची इमारतें हैं या सारी भौतिक सुविधाएं हैं, अपितु वह सुंदर बनता है वहां रहने वाले लोगों के भाईचारे और स्नेह से। पायलट ने केन्द्रीय मंत्री के नाते अजमेर को उसका पुराना गौरव दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। मुख्य वक्ता की भूमिका निभा रहे भाटी ने उन सभी बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जिन पर ध्यान दे कर अजमेर को और अधिक गौरव दिलाया जा सकता है।
समारोह में मौजूद सभी गणमान्य नागरिक इस बात से बेहद प्रसन्न थे कि अजमेर और केवल अजमेर के लिए चिंतन का यह आगाज विकास यात्रा के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
झलकी पायलट के संस्कार व सदाशयता
सचिन पायलट को मिले पारिवारिक संस्कार और सदाशयता समारोह में यकायक तब झलकी, जब उन्होंने सामने श्रोताओं की पहली पंक्ति में बैठे पूर्व भाजपा सांसद प्रो. रासासिंह रावत को मंच पर आदर सहित आमंत्रित कर अपने पास बैठा लिया। वे पूरे समारोह के दौरान उनसे अजमेर के विकास के बारे में लंबी गुफ्तगू करते रहे। साफ झलक रहा था कि नई पीढ़ी का सांसद पांच बार सांसद रहे पुरानी पीढ़ी के प्रो. रावत को अपेक्षित सम्मान देने के लोक व्यवहार को भलीभांति जानता है। उन्होंने साबित कर दिया कि वरिष्ठता के आगे राजनीतिक प्रतिबद्धता गौण हो जाती है। पायलट के ऐसे सहज व्यवहार को देख कर पानी की कमी के कारण पिछड़े अजमेर के वासियों की आंख में पानी तैरता दिखाई दिया।
लब्बोलुआब, बुधवार का यह दिन सांप्रदायिक सौहाद्र्र की धरा अजमेर में पल-बढ़ रहे लोगों के बीच अजमेर की खातिर सारे मतभेद भुला कर एकाकार होने का श्रीगणेश कर गया।

धर्मेश जैन उस समय क्यों नहीं बता पाए खुद को ईमानदार?

वाकई धर्मेश जैन को न्यास अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का अब तक मलाल है। वे आज तक इस्तीफे के घटनाक्रम को नहीं भूल पाए हैं। आखिर कैसे भूल सकते हैं। जब न्यास अध्यक्ष बने तो सालों की पार्टी सेवा के बाद एक सपना साकार हुआ था, मगर इस्तीफा देने के साथ सपना टूटा और जीवन का सबसे दु:खद दिन भी देखने को मिला। खुद अपनी ही पार्टी के नेताओं के षड्यंत्र का शिकार हो कर अपनी ही पार्टी के राज में पद से हटना निश्चित रूप मानसिक पीड़ा की इंतहा है। सामाजिक प्रतिष्ठ खोयी सो अलग।
अशोक गहलोत के दो साल के कामकाज पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जब उन्होंने कहा कि उनकी ईमानदारी साबित हो गई है तो सहसा यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि यही बात वे अपनी सरकार के रहते क्यों नहीं दमदार तरीके से कह पाए? वे चाहते तो इस्तीफा न देने के लिए अड़े रहते कि उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है, चाहे सरकार उन्हें हटा कर जांच करवा ले। मगर पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता की वजह से मन मसोस कर रह गए। वे उन्हीं की पार्टी की नेता श्रीमती वसुंधरा राजे की तरह हिम्मत नहीं जुटा पाए। वसु मैडम को भी तो पार्टी हाईकमान ने विपक्ष का नेता पद छोडऩे को कहा था, मगर वे लंबे समय यह कह कर डटी रहीं कि विधायक उनके साथ हैं तो वे क्यों पद छोड़ें। अत्यधिक दबाव और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना कर कंपन्सेट करने पर ही पद छोड़ा। मगर जैन साहब वैसा साहस नहीं दिखा पाए। न जाने अपने किस सलाहकार की सलाह पर तुरंत पद छोड़ दिया? काश, साहस दिखा पाते तो भले ही पार्टी उनको निकाल देती, मगर सामाजिक प्रतिष्ठा तो बची रह जाती। वैसे भी एक बार इस प्रकार जलील करने के बाद पार्टी से भविष्य में उन्हें क्या मिलना है। पार्टी ने अगर बेटे को पार्षद को टिकट दिया भी तो उससे ज्यादा तो चूस ही लिया। जिस पार्टी ने उनका जम कर दोहन किया और इतना जलील भी किया, उसी पार्टी को छाती से चिपका कर चल रहे हैं। आज कांग्रेस राज में अगर वे कहते हैं कि वे भ्रष्ट नहीं थे, तो इसका कोई मतलब नहीं है।
हां, उनकी इस बात जरूर दम है कि अजमेर को गौरव दिलाने वाले गौरव पथ का काम कांग्रेस राज में ही ठप्प हुआ है। इसी प्रकार पृथ्वीराज नगर व पंडित दीनदयाल नगर योजना को भी ठप्प कर दिया गया। उनका यह आरोप धांसू है कि कांग्रेस राज में न्यास में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है, मगर मजा तब आता जबकि वे बाकायदा बिंदूवार यह साबित करते कि कहां-कहां पैसा खाया जा रहा है। आखिरकार वे न्यास अध्यक्ष रहे हैं, उन्हें तो पता ही होगा कि अंदरखाने में कहां-कहां घपला होता है। मगर ऐसा लगता है कि कांग्रेस पर हमला करने की गलत सलाह भी किसी गलत सलाहकार ने दी है।
इतना क्यों झल्लाते हैं देवनानी?
अजमेर उत्तर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी इन दिनों झल्लाते बहुत हैं। बुधवार को रीजनल कॉलेज में फाइबर टू होम सेवा के शुभारंभ के मौके पर भी वे केकड़ी विधायक रघु शर्मा के छेडऩे पर झल्ला गए। इससे पहले भी कई विषयों पर लगातार प्रतिक्रिया जाहिर करते रहे हैं, जबकि उनकी पार्टी के पदाधिकारी तक चुप बैठे हंै। बुधवार को अटके भी तो रघु शर्मा की टिप्पणी पर। जो रघु शर्मा कद के अनुरूप पद नहीं मिलने के कारण खुद जले-भुने बैठे हैं और अपनी पार्टी के मंत्रियों को नहीं बख्शते, वे भला देवनानी को कैसे छोडऩे वाले थे। असल में देवनानी को उन्होंने छेड़ा ही इस कारण कि वे जानते थे कि इससे देवनानी चिढ़ेंगे। यह बात देवनानी समझ नहीं पाए और बिफर गए। बाद में भले ही उन्हें सचिन पायलट ने शांत करवाया और रघु शर्मा ने मिठाई खिला कर राजी किया, मगर इससे यह तो साबित तो हो ही गया कि देवनानी घोर प्रतिक्रियावादी हैं। यह सर्वविदित तथ्य है कि जो चिढ़ता है, उसे लोग ज्यादा चिढ़ाते हैं। अगर यह रहस्य उजागर हो गया तो कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेसी हर वक्त यहीं तलाशते रहें कि उन्हें कैसे छेड़ा जाए।