शुक्रवार, 18 मार्च 2011

बुरा न मानो होली है

लालफीताशाह
मीनाक्षी हूजा-अभी तो मैं जवान हू
अतुल शर्मा-सचिन के आगे बोलती बंद
राजेश निर्वाण-टाइम पास
मंजू राजपाल-पत्ते धीरे-धीरे खोलूंगी
बिपिन कुमार पांडे-सिर्फ वर्दी, खौफ गायब
वीरभान अजवानी-सिर्फ नौकरी की फिक्र
सुरेन्द्र सिंह भाटी-बदमाशों के बीच एक शरीफ
समीर कुमार सिंह-काम से काम
प्रीता भार्गव-काश पेरोल च्मंजूरज् नहीं करती
मोहम्मद हनीफ -दिन ढ़ले, अपुन तो चले
किशोर कुमार-तू भी राजी, मैं भी राजी
जगदीश पुरोहित-फिर भी टिका हुआ हूं
सी.आर. मीणा-बुरा फंसा सीईओ बन कर
हेमंत माथुर-कॉलेजिएट
राजनारायण शर्मा-बाल भी बांका नहीं
जगदीश चौधरी-सोलह दूनी आठ
अश्फाक हुसैन-सांप तो निकल गया...
मेघना चौधरी-पियक्कड़ों की दुश्मन
डॉॅ. सुभाष गर्ग-छुपा रुस्तम
मिरजूराम शर्मा-अल्लाह की गाय
प्यारे मोहन त्रिपाठी-नारद मुनि
हरिशंकर गोयल-नागर का रिप्रजेंटेटिव

राजनीति के अनाड़ी
सचिन पायलट-हवाई दौरा
डॉ. प्रभा ठाकुर-ईद का चांद
सुशील कंवर पलाड़ा-सौभाग्यवती
कमल बाकोलिया-साला मैं तो साब बन गया
औंकार सिंह लखावत-मीठी छुर्री
वासुदेव देवनानी-कलई उतर रही है
अनिता भदेल-देवनानी का सिरदर्द
नसीम अख्तर-फिर मौका नहीं मिलेगा
महेन्द्र सिंह गुर्जर-बाबा की विरासत
रासासिंह रावत-भाजपा की मजबूरी
जसराज जयपाल-बेटे के दम पर
डॉ. श्रीगोपाल बाहेती-लोकल सीएम
इंसाफ अली-तिहरा विधायक
भंवर सिंह पलाड़ा-गरीबों का मसीहा
धर्मेन्द्र गहलोत-अब मेरा क्या होगा
सोमरत्न आर्य-नचैया
अजीत सिंह राठौड़-ऊंचे रसूखात
ललित भाटी-वक्त का मारा
सुरेन्द्र सिंह शेखावत-नेता बनाम व्यापारी
राजकुमार जयपाल-बल नहीं गया
रामचंद्र चौधरी-बेताज बादशाह
नरेन शाहनी-कब तक करूं इंतजार
डॉ. सुरेश गर्ग-पीछा नहीं छोडूंगा
राजेश टंडन-खो गई पहचान
धर्मेश जैन-दूध का जला
महेश ओझा-काईं
महेन्द्र सिंह रलावता-हवाई पायलट
कैलाश झालीवाल-मुझ से बड़ा कौन
कमल शर्मा-वक्त वक्त की बात
दीपक हासानी-सिर मुंडाते ही ओले

छपासियों के डॉक्टर
डी.बी.चौधरी-आजीवन महासचिव
जे.पी. गुप्ता-एक जमाना था
रमेश अग्रवाल-अजमेरी लाल
नरेन्द्र चौहान-कलम अभी जिंदा है
राजेन्द्र शर्मा-गुमनाम
ओम माथुर-धरती पकड़
वीरेन्द्र आर्य-जमीन से आसमान तक
कंवल प्रकाश किशनानी-इस बार नहीं छोडूंगा
सुरेन्द्र चतुर्वेदी-दिल तो जवान है
एस.पी. मित्तल-चमक अभी बाकी है
राजेन्द्र गुंजल-खुरापाती
अशोक शर्मा-अलमस्त
नरेन्द्र राजगुरू-कीचड़ में कमल
संतोष गुप्ता-ये कहां आ गए हम
प्रेम आनंदकर-हेकड़ी छोड़ दी
विक्रम चौधरी-चाल बड़ी मस्तानी
सुमन शर्मा-मास्टरनी
प्रताप सनकत-ऑफ द रिकार्ड इंजार्च
अमित वाजपेयी-यस बॉस
राजेन्द्र याज्ञिक-पोंगा पंडित
दिलीप मोरवाल-दाई
मुकेश खंडेलवाल-हाशिये पर
तीरथदास गोरानी-कई थपेड़े खाए हैं
देनेन्द्र सिंह-आखिर इच्छा पूरी हो गई
सुरेश कासलीवाल-हम चौड़े गली संकड़ी
अरविंद गर्ग-लाइलाज
संजय माथुर-केवल मीन मेख
सचिन मुद्गल-बटेर हाथ लग गई
सुरेश लालवानी-दिल बचपन का
शिव कुमार जांगीड़-किस्मत का धनी
भानुप्रताप गुर्जर-मंजिल की तलाश
मधुलिका सिंह-सदाबहार
बलजीत सिंह-नींव की ईंट
संतोष खाचरियावास-संतुष्ट
तरुण कश्यप-जीवन सुधर गया
दिलीप शर्मा-खुशमिजाज
सचिन मुद्गल-देखन में छोटे लगैं
यशवंत भटनागर-नया अखबार आ रहा है
निर्मल मिश्रा-रंगीला रतन
गिरीश दाधीच-पर लग गए
आरिफ कुरैशी-अजमेर शरीफ रास आ गया
योगेश सारस्वत-अब मिला ठिकाना
अनिल दुबे-महागुरू
रजनीश रोहिल्ला-भटकती आत्मा
अजय गुप्ता-तीन लोक से मथुरा न्यारी
रामनिवास कुमावत-छैला बाबू
रहमान खान-मुखबिर
मोईन कादरी-मास्टर पीस
रूपेन्द्र शर्मा-जैन मुनि
मनोज शर्मा-डायरेक्टर
अभिजीत दवे-लंबे हाथ
जाकिर हुसैन-चैनल बंद
राजकुमार वर्मा-घाट-घाट का पानी
रईस खान-शक्ल से भी रईस
राकेश भट्ट-खिलाड़ी
प्रियांक शर्मा-हीरो
नवाब हिदायतुल्ला-असली पत्रकार
संग्राम सिंह-सपनों का सौदागर
अमर सिंह-मौकू कोई ठोर नहीं
बालकिशन-बालक
माधवी स्टीफन-बिंदास
हर्षिता शर्मा-दिल बचपन का, दिमाग 55 का
अंतिमा व्यास-कोई विकल्प नहीं
कौशल जैन-दो नावों में पैर
मनवीर सिंह-मैंने कुछ नहीं किया
आशु-जमानेभर का दुख
नरेश शर्मा-पार्टी
आशुतोष-काम से मतलब
सीताराम पाराशर-पुष्कर नरेश
मुजफ्फर अली-तीन फीत कायम है
अनुराग जैन-नंबर वन तो मैं हूं
मधुसूदन चौहान-पीए टू डीबी
संतोष सोनी-सेटिंग मास्टर
इन्द्र नटराज-इमारत कभी बुलंद थी
महेश नटराज-फोटो चाहिए क्या?
मुकेश परिहार-एडीटर की चाबी
सत्यनारायण झाला-गड़बड़झाला
दीपक शर्मा-हाईफाई
मोहन कुमावत-नौकरी जिंदाबाद
जय माखीजा-खेचलबाज
मोहम्मद अली-हरफनमौला
बालकिशन झा-वक्त का इंतजार
अनिल-प्रेम रोग
नवीन सोनवाल-प्रभुदेवा
-हुड़दंगी

एसपी पांडे को किया जाएगा लाइन हाजिर


बिहार कैडर के आईपीएस जिले पुलिस कप्तान बिपिन कुमार पांडे ने अजमेर में ज्वाइन करते ही बड़ी शेखी बघारी थी कि वे सबसे पहले पुराने कांडों का खुलासा करेंगे। उनका खुलासा होना तो दूर उनके आने के बाद अनेक नए कांड पुलिस की वर्दी पर काले धब्बे की तरह चस्पा हो गए हैं। ताजा भंवर सिनोदिया हत्याकांड ने तो पुलिस की मुस्तैदी की पूरी पोल खोल दी है। सरकार भी जानती थी कि मौजूदा आईजी व एसपी के बस की बात नहीं, इस कारण तुरंत मामला एसओजी को सौंप दिया। ये दीगर बात है कि एसओजी भी अभी तो हवा में ही हाथ-पैर मार रही है। उसकी नाकायाबी का सबसे बड़ा सबूत ये है कि हत्यारों का सुराग बताने वालों को पचास-पचास हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की गई है। बहरहाल, बात चल रही थी पांडे साहब की। पुलिस महकमे में चर्चा है कि चूंकि अभी होली का माहौल है और पांडे का हटा कर यकायक किसी नए को एसपी बना दिया तो दिक्कत आएगी, इस कारण होली के तुरंत बाद पांडे को लाइन हाजिर कर दिया जाएगा।बुरा न मानो होली है

अदिति मेहता की याद ताजा करेंगी मंजू राजपाल


हालांकि अजमेर की जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल का भीलवाड़ा का कार्यकाल लुंजपुुंज ही रहा, मगर सुना है कि अजमेर में आते ही उन्होंने अपना मिजाज बदल लिया है। जैसे ही उन्होंने अजमेर की पूर्व कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता के किस्से सुने हैं, उनके मन में भी उनके जैसा ही कुछ कर गुजरने की रणचंडी जाग उठी है।
हाल ही उन्होंने नगर निगम के नौसीखिये मेयर कमल बाकोलिया का डुलमुल रवैया देख कर फटेहाल निगम के कामकाज में टांग फंसाने का साहस कर दिखाया है। हालांकि इससे कुछ घाघ कांग्रेसी पार्षदों को बड़ी तकलीफ हुई और वे इसे निगम की स्वायत्तता पर हमला बता रहे हैं, लेकिन मंजू राजपाल ने भी तय कर लिया है कि शहर की यातायात व्यवस्था और अतिक्रमणकारी दुकानदारों को दुरुस्त करके ही रहेंगी। बताते हैं कि उन्होंने सीईओ सी. आर. मीणा को भी इशारा कर दिया है कि वे निगम की चरमराते ढांचे की ढ़ेबरी टाइट कर दें।
जहां शहर के विधायकों का सवाल है, वे दोनों ही विपक्षी दल के हैं, इस कारण उन्हें इस बात का डर भी नहीं कि वे सरकार को उनके खिलाफ रिपोर्ट देने की जुर्रत करेंगे। करेंगे भी तो सुनने वाला कौन है? दिलचस्प बात ये है कि राजनीतिक संगठनों की हालत भी इलायची बाई की याद दिलाती है। कांग्रेस के अध्यक्ष जसराज वैसे भी रिटायर्ड पीरियड काट रहे हैं, भाजपा ने भी राजनीति से लगभग रिटायर हो चुके रासासिंह को अध्यक्ष बना दिया है। ऐसे में मंजू राजपाल के सामने एक भी दबंग नहीं है और उन्हें अपना बिंदास कलेक्टर दिखाने का स्वर्णिम मौका मिला हुआ है। अजमेर वासी होने के नाते संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा भी उनकी मदद कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि वे स्टील लेडी अदिति मेहता को भी पीछे छोड़ देंगी। वैसे भी यह एक सार्वभौमिक सत्य है कि महिला अधिकारी के साथ एक्स फैक्टर जुड़ा हुआ होता है। यदि विश्वास न हो तो जिला परिषद की सीईओ शिल्पा का उदाहरण काफी है, जिन्होंने जिले के सर्वाधिक दबंग नेता भंवर सिंह पलाड़ा से छत्तीस का आंकड़ा बना कर एक नया रिकार्ड बनाया है। बुरा न मानो होली है