शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

क्या एसपी मीणा से महज पांच लाख ही बरामद हुए?


अजमेर के पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा को थानाधिकारियों से मंगाई गई मंथली के साथ गिरफ्तार किए जाने के साथ कई सवाल उठ खड़े हुए हैं, जिनके उत्तर तलाशने के लिए अफवाहों की अनेकानेक अबाबीलें अजमेर के आसमान पर छा गई हैं।
सबसे बड़ा सवाल ये चर्चा में है कि क्या एसपी मीणा के पास से महज पांच लाख रुपए नकद ही बरामद हुए हैं? यह सवाल इस वजह से उठा है कि अगर वह मंथली ही थी तो एसपी जैसे बड़े अफसर के पास से कोई पचास एक लाख पाए जाने चाहिए थे, पांच लाख भी कोई रकम होती है।  क्या अजमेर के कमाऊ थानों की हिस्सेदारी मात्र दस-बीस हजार रुपए हो सकती है? पांच लाख जैसी कम रकम पर विश्वास इस कारण भी कम होता है क्योंकि जाहिर तौर पर मंथली एक ही बार में पहुंचाई जाती होगी और वह इतनी कम नहीं हो सकती। अगर यह सही नहीं है तो इसका मतलब ये भी है कि मंथली हिस्सों में पहुंचाई जाती हो। एक सवाल ये भी है कि क्या मीणा केवल अजमेर शहर के थानाधिकारियों से ही मंथली लेते थे? जाहिर सी बात है कि जिले के अन्य थानों से भी वसूली की जाती रही होगी, तो वह कब-कब पहुंचाई जाती थी? असल में यह सवाल आम जनता की बजाय पुलिस कर्मियों में ज्यादा है, क्योंकि जनता को इसका अंदाजा नहीं, पुलिस कर्मी अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके सिस्टम में क्या चल रहा है। यह सवाल इसलिए भी मौजूं है क्योंकि एसीबी की टीम, जिसे कि सब कुछ पता था, वह मात्र पांच लाख रुपए के साथ ही एसपी को पकडऩे को गई? एक संभावना ये भी है कि चूंकि मीणा एसीबी की पकड़ में तीसरे प्रयास में आए, यानि कि कार्यवाही लीक होने के भय से पांच लाख रुपए की रकम पर ही धरपकड़ करने का निर्णय किया गया।
-तेजवानी गिरधर