गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

कांग्रेस को ही नहीं अपने मेयर पर भरोसा

नगर निगम के मेयर पद काबिज कांग्रेस के कमल बाकोलिया और शहर कांग्रेस संगठन के बीच तालमेल की कमी अब खुल कर सामने आने लगी है। हाल ही कथित वीआईपी जनगणना में कांग्रेसी वीआईपीयों की प्रतिष्ठा का ख्याल रखने से चूके बाकोलिया पर सीधे हमला करने से बची कांग्रेस अवैध कॉम्पलैक्सों के मामले में खुल कर सामने आ गई है। उसने जता दिया है कि उसे अपने ही मेयर पर भरोसा नहीं रहा है।
शहर कांग्रेस के प्रवक्ता महेश ओझा ने अपनी ही पार्टी का मेयर होते हुए भी जिला कलेक्टर को पत्र लिख कर 15 अवैध कॉम्पलैक्सों की सूची देते हुए कार्यवाही की मांग की है। इस पर जिला कलेक्टर ने भी बाकायदा निगम सीईओ को आगामी 8 मार्च तक कार्यवाही करने को पाबंद किया है। इस नए घटनाक्रम से यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि या तो शहर कांग्रेस को अपने मेयर पर कार्यवाही करने का विश्वास नहीं है, या फिर वह अपने मेयर को कुछ नहीं कहना चाहती और सीधे जिला कलेक्टर को हस्तक्षेप करने को कह रही है।
आपको याद होगा कि नगर निगम चुनाव में इसी कांग्रेस के अध्यक्ष जसराज जयपाल ने जोर दे कर कहा था कि भाजपा राज में कॉम्पलैक्स कुकुतमुत्तों की तरह उग आए हैं, जिससे शहर की यातायात तो चौपट हुई ही है, निगम को भी आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने इस मामले में भाजपा बोर्ड पर भारी भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो इस मामले में कार्यवाही करेगी। कदाचित स्वयं प्रवक्ता महेश ओझा ने भी इसी आशय के बयान दे कर जनता से कांग्रेस को वोट देने की अपील की होगी। मेयर बाकोलिया ने भी वोट लेने की खातिर कुछ इसी प्रकार की मंशा जाहिर की थी, हालांकि उस वक्त उन्हें शहर की एबीसीडी भी पता नहीं थी, क्योंकि वे उस वक्त सक्रिय राजनीति में नए-नए आए थे।
ऐसा नहीं है कि मेयर अपने और कांग्रेस की ओर से किए गए वादे भूल गए। उन्होंने तो तकरीबन डेढ़ माह पहले ही अवैध कॉम्पलैक्सों के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान शुरू करवाया था, मगर एक समाज विशेष के लोगों के कॉम्पलैक्सों पर कथित रूप से निशाना साधने के आरोप की वजह से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। भाजपाइयों ने भी उन पर व्यापारियों को परेशान करने का आरोप लगाया और ऐसे में वे कुछ नरम पड़ गए। उसके बाद कार्यवाही लगभग ठप सी पड़ी है। मेयर की यह चुप्पी कांग्रेस को खलने लगी। उसने न तो मेयर पर और न ही सीईओ पर भरोसा किया और सीधे कलेक्टर को ही पत्र लिख कर कार्यवाही की मांग कर दी। कदाचित जिला कलेक्टर पहले अवैध कॉम्पलैक्सों की सूची बनाने को कहती, इस कारण ओझा ने उनका काम आसान कर दिया और 15 कॉम्पलैक्सों को चिन्हित कर मांग कर दी। हालांकि शहरभर में अवैध कॉम्पलैक्सों की भरमार है, लेकिन उन्होंने किन 15 को निशाने पर लिया है और क्यों, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
बहरहाल, मेयर को हो न हो, कांग्रेस को तो अपने वादे की याद है। वह जनता के प्रति अपनी जवाबदेही को समझती है, इस कारण मेयर को हाशिये पर रख कर सीधे प्रशासन के जरिए चुनाव से पहले किए गए वादे को पूरा करवाने को आतुर है।