गुरुवार, 8 अगस्त 2013

सचिन ने दिए चौधरी के बारे में न बोलने के निर्देश

सचिन पायलट
खबर है कि अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट ने स्थानीय कांग्रेस पदाधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी का न तो विरोध करें और न ही उनके खिलाफ कोई बयानबाजी करें। इसके पीछे वजह एक मात्र ये है कि उन पर कांग्रेस हाईकमान की ओर से अजमेर जिले की सभी सीटों पर में अधिकांश जीतने का दबाव है। इसके अतिरिक्त आगामी लोकसभा चुनाव में को देखते हुए भी उनका सारा ध्यान इस बात पर है कि किसी भी प्रकार विरोधी न उभरने पाएं। इसी कड़ी में पायलट ने अपने चेलों से कह दिया है कि वे चौधरी के मामले में चुप ही रहें, चूं-चपड़ न करें। ज्ञातव्य है कि चौधरी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी गुरुदास कामत की मौजूदगी में ही सचिन के साथ मुंहजोरी की थी। इससे पूर्व भी राहुल गांधी के सामने अपना विरोध दर्ज करवाया था। इस पर स्थानीय कांग्रेसियों ने एकजुट हो कर चौधरी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग कर डाली। हालांकि अधिसंख्य लोगों का मानना है कि चौधरी का यह विरोध सचिन के कहने से ही हुआ, लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि सचिन की चमचागिरी में नंबर लेने के चक्कर में स्थानीय कांग्रेसियों ने अपने स्तर पर ही निर्णय ले कर चौधरी के कपड़े फाडऩे शुरू किए थे। ताजा जानकारी है कि सचिन अब पूरी तरह से डेमेज कंट्रोल में जुटे हुए हैं और उसी के तहत वे चौधरी से गिले शिकवे दूर करने की एक्सरसाइज कर रहे हैं।
आपको बता दें कि चौधरी की सचिन से नाराजगी के कुछ ठोस कारण हैं। आपको याद होगा कि जब विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ब्रह्मदेव कुमावत की वजह से चौधरी मसूदा में हारे थे, मगर चूंकि अशोक गहलोत को सरकार बनाने के लिए कुमावत की जरूरत हुई तो उन्होंने उन्हें संसदीय सचिव बना कर सेट किया। यह चौधरी को नागवार गुजरा। हालत ये हुई कि एक सार्वजनिक समारोह में सचिन की मौजूदगी में चौधरी व उनके समर्थकों ने कुमावत के खिलाफ हंगामा कर दिया। यह प्रकरण काफी दिन चला। बताया जाता है कि इस प्रकरण में सचिन ने कुमावत का साथ दिया, इस कारण चौधरी उनके खिलाफ हो गए। इसके अतिरिक्त चौधरी को इस बात की भी शिकायत थी कि सचिन उनके साथ अपेक्षित सम्मान के साथ बात नहीं करते थे, जबकि वे सचिन के पिता स्वर्गीय श्री राजेश पायलट के करीबी थे। चौधरी को इस बात की नाराजगी रही कि सचिन की वजह से ही संगठन में उनको कोई तवज्जो नहीं दी गई। मसूदा विधानसभा क्षेत्र में उनकी लॉबी का एक भी नेता पदाधिकारी नहीं बनाया गया।
बहरहाल, ताजा समीकरण ये बन रहे हैं कि सचिन उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चौधरी से संवाद स्थापित करने की भी जुगत की है।
रामचंद्र चौधरी
उल्लेखनीय है कि अपुन ने इसी कॉलम में पहले ही लिख दिया था कि पायलट से खुला पंगा लेने वाले अजमेर देहात जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को भले ही पायलट गुट के नेताओं ने चारों से ओर से घेर लिया है, मगर उन्हें निपटाना इतना आसान भी नहीं होगा। हांलाकि कांग्रेस एक समुद्र है और इसमें न जाने कितने रामचंद्र चौधरी आए और गए, साथ ही सचिन के सीधे राहुल गांधी से ताल्लुक भी हैं, मगर जहां तक स्थानीय राजनीति का सवाल है, चौधरी को नजरअंदाज करना हंसी खेल नहीं है। उसकी वजह ये है कि परिसीमन के बाद अजमेर संसदीय क्षेत्र जाट बहुल हो गया है। माना जाता है कि अब यहां दो लाख से ज्यादा जाट मतदाता हैं। परिसीमन से पूर्व जब यहां सवा से डेढ़ लाख जाट वोट थे, तब भी जाट यहां दावेदारी करते थे। विशेष रूप से भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय श्री रामनिवास मिर्धा का नाम चर्चा में आता था। कांग्रेस ने एक बार जाट नेता जगदीप धनखड़ को भी चुनाव मैदान में उतारा था, मगर वे रावतों की बहुलता व उनका मतदान प्रतिशत अधिक होने के अतिरिक्त अपनी कुछ गलतियों की वजह से हार गए। अब जबकि परिसीमन के बाद जाटों की संख्या दो लाख को पार कर गई है, जाटों का दावा और मजबूत माना जाता है। इस सिलसिले में पिछले चुनाव में भी मांग उठी थी, मगर अपने प्रभाव के कारण करीब सवा लाख गुर्जर मतदाताओं के दम पर सचिन पायलट टिकट लेकर आ गए। इस बार लोकसभा चुनाव से एक साल पहले ही रामचंद्र चौधरी सचिन के खिलाफ झंडा बुलंद करने में लग गए हैं और स्थानीय की मांग पर अड़े हुए हैं। वैसे समझा जाता है कि उनकी रुचि लोकसभा चुनाव से अधिक विधानसभा चुनाव में है। कामत के सामने तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वे लोकसभा चुनाव में सचिन के खिलाफ मैदान में उतर जाएंगे। खैर, देखते हैं कि विवाद समाप्त करने के लिए सचिन के प्रयास कामयाब हो पाते हैं या नहीं।
-तेजवानी गिरधर
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