गुरुवार, 15 मार्च 2012

क्या इसे डीएसओ गोयल का पलटवार माना जाए?


रसद विभाग की जिला स्तरीय सलाहकार समिति के सदस्य प्रमुख कांग्रेसी नेता महेश ओझा व शैलेन्द्र अग्रवाल ने जिला रसद अधिकारी हरि शंकर गोयल पर हमला करते हुए उनके स्थानांतरण की मांग की तो उन पर अजमेर डिस्ट्रिक्ट फेयर प्राइज शॉप कीपर्स एसोसिएशन ने पलट कर हमला बोल दिया कि वे अवैध वसूली करते हैं। उन्होंने बाकायदा मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को भी दिया है। सवाल ये है कि क्या यह पलटवार गोयल के कहने पर किया गया है? ऐसा संदेह इस कारण होता है कि गोयल पर हाल ही ओझा व अग्रवाल ने हमला किया था। यदि राशन की दुकान वाले सलाहकार समिति के सदस्यों से पीडि़त थे तो वे अब तक क्यों नहीं बोले? गोयल की शिकायत होने पर ही उन्हें सलाहकार समिति के सदस्यों की करतूत याद कैसे आई? यह एक संयोग ही है कि एक ओर कांग्रेसी नेताओं ने अपनी ही सरकार की छत्रछाया में काम कर रहे जिला रसद अधिकारी की शिकायत की है तो कांग्रेस नेताओं पर पलटवार करने वाले राशन विक्रेता भी अधिसंख्य कांग्रेसी ही हैं।
हालांकि इसे साबित करना कत्तई नामुमकिन है कि गोयल के कहने पर ही राशन की दुकान वाले आगे आए हैं, मगर यदि यह सही है तो ओझा व अग्रवाल को समझ लेना चाहिए कि जितने वे तीसमार खां हैं, उससे कहीं अधिक गोयल चालाक हैं। वे कितने प्रभावशाली हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके खिलाफ सांसद प्रभा ठाकुर ने शिकायत की, फिर उनका बाल भी बांका नहीं हुआ। इतना ही नहीं सलाहकार समिति सदस्यों की शिकायत के बाद उन्हीं पर पलट कर हमला हो गया, जब कि वे यहां कांग्रेस में कोई छोटी मोटी हैसियत नहीं रखते।
राशन विक्रताओं की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में साफ लिखा गया है कि सलाहकार समिति सदस्यों को राशन विक्रेता, रसद विभाग, उपभोक्ता आदि के बीच आने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए नियुक्त किया गया है, मगर शैलेन्द्र अग्रवाल व नीता केन दायित्व निर्वहन करना तो दूर अपने जीवन निर्वाह का साधन बना रहे हैं। वे राशन विक्रेताओं से हर माह दो से तीन सौ रुपए मांग रहे हैं। जो दुकानदार ये राशि नहीं देते, उनके खिलाफ झूठी शिकायतें कर दुकान निरस्त करवाने की धमकी दे रहे हैं। जो दुकानदार सेवा शुल्क नहीं देते, उनका निरीक्षण माह में चार-पांच बार कर रहे हैं। वे यह भी धमकी देते हैं कि जिला रसद अधिकारी उनकी कोई मदद नहीं कर सकते। वे उनका भी अजमेर से पलायन करवा सकते हैं। ऐसे भ्रष्ट सदस्यों को तुरंत हटाया जाए। यदि उनकी अपील नहीं सुनी गई तो वे आंदोलन भी कर सकते हैं।
अपुन पहले ही कह चुके हैं कि ओझा व अग्रवाल चलते रस्ते पंगा मोल लेने वाले नेता नहीं हैं। मामला गंभीर होने पर ही उन्होंने अपनी सरकार की छत्रछाया में काम कर रहे डीएसओ की शिकायत की है। मगर यह तो नहले पर दहला हो गया। उन्होंने फिर भी ऐसी रिश्वत खाने की शिकायत नहीं की थी, मगर उन पर तो साफ तौर पर रिश्वत मांगने का आरोप लग गया है। और लो गोयल के साथ पंगा।
ज्ञातव्य है कि गोयल शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के कारण जितने लोकप्रिय हुए हैं, उतने ही विवादित भी हुए हैं। गोयल की कार्यप्रणाली को लेकर श्रीमती भदेल ने हाल ही विधानसभा में यहां तक कह दिया था कि अजमेर में खाद्य मंत्री की नहीं बल्कि गोयल की चलती है। यानि कि वे मनमानी पर उतारू हैं। इसके बाद जिला स्तरीय सलाहकार समिति के सदस्य प्रमुख कांग्रेसी नेता महेश ओझा व शैलेन्द्र अग्रवाल ने भी आरोप लगाया कि गोयल समिति की उपेक्षा कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त राज्यसभा सदस्य प्रभा ठाकुर का वह पत्र भी उजागर हो गया जिसमें उन्होंने लिखा है कि राशन की दुकानों के आवंटन की प्रणाली में धांधली बाबत अनेक शिकायतें सामने आई हैं। राशन वितरण संबंधी अनियमितताओं के कारण अजमेर की जनता परेशान है। जिले में गैस एजेंसियों की मनमानी व रसाई गैस की सरेआम कालाबाजारी के कारण उपभोक्ताओं को समय पर रसोई गैस नहीं मिलने की शिकायतें लगातार आ रही हैं। अनुरोध है कि जिला रसद अधिकारी का तत्काल स्थानांतरण किया जाए और उन्हें जनहित संबंधी जिम्मेदारी नहीं दी जाए।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
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