बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

भारी दबाव में प्रो. जाट को बनाना पड़ा किसान आयोग का अध्यक्ष

जाट नेता डॉ. हरिसिंह के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया और महरिया के छोटे भाई फतेहपुर से निर्दलीय विधायक नंदकिशोर महरिया के कांग्रेस में शामिल होने की प्रबल संभावनाओं के चलते भाजपा हाईकमान को पूर्व केन्द्रीय जलदाय राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट को राजस्थान किसान आयोग का अध्यक्ष बनाना पड़ा। हालांकि केन्द्रीय मंत्रीमंडल से हटाए जाने के बाद से ही जाट समाज में रोष था, जिसका खुल कर प्रदर्शन भी हुआ, नतीजतन भाजपा हाईकमान पर प्रो. जाट को मंत्री के समकक्ष पद देने पर विचार करना पड़ रहा था। यह भी लगभग तय सा था कि उन्हें किसान आयोग का अध्यक्ष बनाया जाएगा। मगर इस मामले में सुस्ती दिखाई जा रही थी।  जैसे ही यह जानकारी आई कि हरिसिंह और महरिया बंधुओं को कांग्रेस में लिया जा सकता है, जाटों के भाजपा से खिसक कर कांग्रेस में जाने का खतरा भांप कर भाजपा हाईकमान भी हरकत में आया। और आखिरकार प्रो. जाट को किसान आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया।
असल में प्रो. जाट को मंत्रीमंडल से हटाए जाने के कारण विशेष रूप से अजमेर का जाट समाज भाजपा से नाराज था। हालांकि प्रदेश स्तर पर तो कोई बड़ा नुकसान होने की आशंका नहीं थी, मगर जाट बहुल अजमेर संसदीय क्षेत्र और अजमेर जिले की तीन विधानसभा सीटों पर जाट भाजपा को झटका देने की स्थिति में थे। ऐसे में प्रो. जाट को राजनीतिक रूप से पुन: प्रतिष्ठित करने का भारी दबाव था।
वस्तुत: प्रो. जाट के साथ बड़ा राजनीतिक मजाक हुआ। वे अच्छे खासे  राज्य में केबीनेट मंत्री थे, मगर केवल पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री सचिन पायलट को हराने के लिए लोकसभा चुनाव लड़ाया गया। दाव कामयाब होने के बाद उन्हें इसके एवज में केन्द्र में राज्य मंत्री बनाया गया, मगर कथित रूप से स्वास्थ्य कारण बताते हुए उन्हें हटा दिया गया और वे महज सांसद बन कर रह गए। ज्ञातव्य है कि वे वसुंधरा के काफी करीब रहे हैं, मगर वसुंधरा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच ट्यूनिंग ठीक न होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा था। मगर जब देखा कि कुछ जाट नेता कांग्रेस का रुख कर रहे हैं तो तुरतफुरत में उन्हें किसान आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया।
-तेजवानी गिरधर
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