रविवार, 14 फ़रवरी 2016

जैन पर कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का भार

षहर कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष विजय जैन को एक ओर जहां इस पद पर पहुंचने की खुषी होगी, उससे कहीं अधिक जो जिम्मेदारी मिली है, उसका निर्वहन कैसे करना है, यह भार उन के कंधों पर आ गया है। नगर निगम चुनाव से जरूर यह साबित हो गया है कि धरातल पर भी कांग्रेस का भाजपा के बराबर वजूद है, मगर संगठन के लिहाज से जो मुर्दनी छायी है, उसे दूर करना उनकी सबसे बडी जिम्मेदारी है।
असल में पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के कारण कांग्रेस कार्यकर्ता का मनोबल गिरा है। कहने को संगठन का ढांचा तो है, मगर कार्यकर्ता बिखर गया है। पुराने कार्यकर्ता घर जा कर बैठ गए हैं तो नए जुडने की रफ्तार कम है। हालांकि पिछले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का परफोरमेंस बेहतर रहने की वजह से कार्यकर्ता उत्साहित है, मगर अब भी उसे सांगठनिक नजरिये से एकजुट करने की जरूरत है। विषेश रूप से अजमेर उत्तर में। अजमेर दक्षिण में तो हेमंत भाटी ने काफी अच्छी पकड बना ली है, मगर उत्तर में कई क्षत्रप होने के कारण कार्यकर्ता बिखरा हुआ है।
वैसे एक बात जरूर है कि जैन को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले तैयारी का काफी वक्त मिल गया है। वे चाहें तो संगठन का ढांचा नए सिरे से खडा कर चुनाव की व्यूह रचना अभी से बना सकते हैं। पर्याप्त वक्त है। उनकी नियुक्ति से भी कार्यकर्ता में उर्जा का संचार हुआ है। कई पुराने कार्यकर्ता फिर से सक्रिय हुए हैं। जैन का व्यवहार भी सभी बडे नेताओं से ठीक ठाक रहा है, इस कारण ढंग की कार्यकारिणी बनाने में उन्हें दिक्कत नहीं आनी चाहिए। यूं अन्य दावेदारों को जरूर तकलीफ हुई है, मगर उनका कुछ खास विरोध कहीं नजर नहीं आता। ऐसे माहौल में यदि उन्होंने एक संतुलित कार्यकारिणी बनाई तो वह ठीक से काम कर सकती है।
जैन के लिए एक अनुकूल बात ये है कि केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकारों का परफोरमेंस कुछ खास न होने के कारण आम जन का भाजपा से मोहभंग हो रहा है और मोदी का जादू भी कम होता नजर आ रहा है। राजनीति के जानकार समझ रहे हैं कि यदि भाजपा की यही हालत रही तो कोई आष्चर्य नहीं कि आगामी विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस की सरकार बन जाए। अर्थात जैन के लिए अनुकूल धरातल तैयार है। जरूरत है तो सिर्फ ये कि सभी गुटों में सामंजस्य बना कर उर्जावान टीम बनाएं। चूंकि कूल माइंड हैं, इस कारण उम्मीद की जा सकती है कि वे इसमें कामयाब होंगे। मगर सब कुछ इस पर निर्भर करेगा कि उनके इर्दगिर्द कैसे सलाहकार जुटते हैं और कार्यकर्ताओं में जोष भरने के लिए कैसे कार्यक्रम दे पाते हैं।
तेजवानी गिरधर
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