रविवार, 10 फ़रवरी 2013

अजमेर में सिरेमिक उद्योग की अपार संभावना, पर ध्यान किसे है?


डॉ. सुरेश गर्ग
डॉ. सुरेश गर्ग
अजमेर जिले में सिरेमिक उद्योग को व्यापक योनजा बना कर स्थापित किया जा सकता है, मगर न तो प्रशासन को फिक्र है और न ही राजनीतिक इच्छाशक्ति ही कहीं नजर आती है। इसका शहर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष व पत्रकार डॉ. सुरेश गर्ग को बड़ा भारी मलाल है। उनका कहना है कि राजस्थान से राज्यसभा सांसद बनने के लिए तो आनन्द शर्मा जीभ लपलपा कर बन गये, मगर जब उनसे अजमेर में सिरेमिक उद्योग लगाने हेतु पूरी तकनीकी जानकारी देते हुए आग्रह किया गया तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। उन्हें दु:ख है कि राजस्थान से राज्यसभा में जाने के बाद भी उन्होंने राजस्थान के हित की चिंता नहीं है। यह कांग्रेस सरकार व संगठन दोनों के लिए शर्मनाक है, अजमेर के लिए तो अफसोसनाक है ही।
डॉ. गर्ग का कहना है कि अजमेर में कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता है, जमीन व पानी की भी खास कमी नहीं है, श्रमशक्ति का भी कोई अभाव नहीं है, रेलवे व सड़क मार्ग से पविहन के अच्छे साधन भी हैं, मगर अजमेर जिले की उपेक्षा व अनदेखी कर गिलोट क्षेत्र में सिरेमिक जोन की स्थापना की जा रही है। इसे हमारे नेताओं की कमजोरी कहें या इच्छाशक्ति की कमी, जिससे एक बड़ी औद्योगिक सौगात हमारे यहां संभव होते हुए भी दूसरों को परोसी जा रही है। यह अजमेर का दुर्भाग्य ही है कि यहां बाहरी लोग आकर अपना साम्राज्य जमाते हैं। धींगा-मस्ती करके चले जाते हैं और अजमेरवासी रोते रह जाते हैं। क्या हमारे जनप्रतिनिधि नहीं जानते कि सिरेमिक या ग्लास उद्योग में कच्चे माल के रूप में काम आने वाल खनिज कोट्स, फेल्सपार, वैलोस्नाइट, कैल्साइट आदि का 80 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में होता है और हमारा राज्य ही इस उद्योग के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। खनिज विभाग के आंकड़ों के अनुसार अजमेर और भीलवाड़ा जिले में देश के कोट्स, फेल्सपार एवं वैलोस्नाइट का 80 से 90 प्रतिशत उत्पादन होता है। ये जिले ही इस उद्योग के लिए दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के सिरेमिक उद्योग को कच्चे माल की पूर्ति करते हैं। अजमेर जिले के ब्यावर व किशनगढ़ में कोट्स एवं फेल्सपार की 350 से ज्यादा मिनरल ग्राइंडिंग इकाइयां हैं। नेताओं को ध्यान रखना चाहिए कि चन्द भूमाफियों के इर्द-गिर्द रहने से कोई सेलिब्रेटी नहीं बन जाता है। अजमेर की जनता एक ही सवाल पूछती है, जब हमारे जिले में इतना कुछ है, तो फिर सवाल यही उठता है कि सिरेमिक जोन यहां स्थापित क्यों नहीं किया जा सकता है? यदि सिरेमिक जोन यहां स्थापित कर दिया जाए तो वर्षों से पिछड़े अजमेर जिले को औद्योगिक प्रगति का अवसर मिल सकता है। इससे न केवल जिले का विकास होगा, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय नक्शे पर अजमेर का नाम होगा लेकिन यह सब तब संभव है, जब चमचागिरी करने वालों से दूर रह कर अजमेर की उन्नति की ओर ध्यान दिया।

लखावत बनाएंगे वसुंधरा की यात्रा का रोड मैप?

o s lakhawat 1-18.6.12अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले वरिष्ठ संघनिष्ठ नेता एडवोकेट औंकारसिंह लखावत को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे की बजट सत्र के बाद निकाली जाने वाली परिवर्तन यात्रा का संभावित रोड मैप बनाने का जिम्मा दिए जाने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो यह न केवल लखावत अपितु अजमेर के लिए भी गौरव की बात होगी। अजमेर के लिए इससे भी बड़ी गौरव की बात ये है कि पिछले दिनों वसुंधरा व संघ लॉबी के बीच सुलह में भी लखावत की ही अहम भूमिका रही, यह बात दीगर है कि यह तथ्य सार्वजनिक नहीं हुआ। चंद लोगों को ही पता है कि वसुंधरा के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने जा रही भाजपा का ताना-बाना बुनने में लखावत का अहम रोल है। कुछ तो मीडिया ने इस पर नजर नहीं रखी और कुछ लखावत का खुद का भी मिजाज ऐसा है कि वे जितना काम पर नजर रखते हैं, उतना प्रोपेगंडा पर नहीं। यहां कहने की जरूरत नहीं है कि अब तक लखावत को वसुंधरा के विरोधी खेमे का एक प्रमुख नेता माना जाता रहा है। मगर अब वे राजस्थान में भाजपा की जीत का ब्ल्यू प्रिंट तैयार करने में व्यस्त हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में टिकट वितरण में उनकी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। यह दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम ही कहा जाएगा।
बहरहाल, जानकारी ये है कि पिछली बार 27 अप्रैल 2003 की तरह इस बार भी परिवर्तन यात्रा राजसमंद के चारभुजा मंदिर से शुरू हो सकती है। पिछली बार यह यात्रा 105 दिन की थी, जबकि इस बार 110 दिन की हो सकती है। ज्ञातव्य है कि वसुंधरा राजे के आवास पर शनिवार को जोधपुर और अजमेर संभाग के नेताओं को बुलाकर संभावित रूट चार्ट पर चर्चा की गई। रविवार को बीकानेर व भरतपुर के नेताओं से फीडबैक लिया गया और सोमवार को कोटा व उदयपुर संभाग तथा मंगलवार को जयपुर संभाग के नेताओं से चर्चा हो सकती है।
-तेजवानी गिरधर