मंगलवार, 1 नवंबर 2011

भाजपा सरकार ने क्यों नहीं बनाई पुष्कर में विश्राम स्थली?

अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने एक बयान जारी कर सरकार से मांग की है कि दरगाह के विकास हेतु करोड़ों रुपयों की योजना की भांति हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थल पुष्कर के भी समुचित विकास हेतु विशेष बजट आवंटित किया जाए। साथ ही पुष्कर मेले के दौरान ठंड के मौसम में आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों एवं पशुपालकों के ठहरने हेतु उर्स मेले की भांति यहां भी विश्राम स्थलियों का निर्माण कराया जाए। कुछ इसी किस्म की मांग अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह औंकारसिंह लखावत ने भी मेला नजदीक देख पुष्कर में जा कर की थी।
कानाफूसी है कि पुष्कर के लिए भी विशेष बजट की अब कैसे याद आई है? जब भाजपाई खुद सरकार में थे, तब क्या कर रहे थे? जाहिर है जब कांग्रेस सरकार ने आठ सौवें उर्स मेले के लिहाज से तीन करोड़ रुपए की योजना बनाई तो उनको पुष्कर मेले की याद आ गई। और मजे की बात देखिए, उर्स मेले के लिए योजना को बने हुए कोई तीन माह से भी ज्यादा हो गए हैं और वे अब जा कर मांग कर रहे हैं, जब पुष्कर मेला 3 नवंबर से शुरू होने ही जा रहा है। जाहिर है एक-दो दिन में तो उनकी मांग पूरी होगी नहीं, मगर मांग करने में जाता क्या है? कम से कम हिंदुओं के मन ये बात तो आएगी कि उन्होंने उनके हित की बात की थी। सवाल ये है कि उन्हें पुष्कर मेले के दौरान ठंड के मौसम में आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों एवं पशुपालकों की चिंता अब हो रही है, ऐसी ठंड तो हर मेले में होती है। उनकी सरकार के दौरान भी पांच मेले गुजरे, मगर तब उन्हें ख्याल नहीं आया।
बहरहाल, देर आयद दुरुस्त आयद। उनकी मांग है तो वाजिब। उर्स मेले की तरह की पुष्कर मेला भी महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से जब दोनों महान तीर्थ स्थल पास-पास हैं तो सरकार को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे धार्मिक भेदभाव झलकता हो। उर्स के जायरीन के लिए विश्राम स्थली है तो पुष्कर के तीर्थ यात्रियों के लिए भी विश्राम स्थली होनी ही चाहिए।
यूं सच्चाई ये है कि पुष्कर मेले के लिए भी विशेष पैकेज आते रहे हैं। ठीक इस प्रकार उर्स मेले के लिए भी। चाहे किसी की भी सरकार रही हो। भाजपा शासनकाल में तो पूर्व भाजपा सांसद औंकार सिंह लखावत के प्रयासों से बूढ़ा पुष्कर का कायाकल्प तक किया गया, मगर ये घटिया राजनीति ही है कि अब कांग्रेस सरकार उस ओर ध्यान ही नहीं दे रही। ध्यान क्या, कांग्रेस सरकार ने तो वो महकमा ही बंद कर दिया।
चलते-चलते इसी सिलसिले में एक बात और गौर करने लायक है। भले ही राज्य सरकार ने उर्स मेले के लिए तीन सौ करोड़ की योजना को मंजूर कर दिया है, मगर ये पंक्तियां लिखे जाने तक हालत ये है कि प्रशासन को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। इसको लेकर अजमेर फोरम व दरगाह कमेटी के सदस्य इलियास कादरी ने सरकार पर दबाव बना रखा है।
-tejwanig@gmail.com