शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

लाइलाज हो गई आनासागर झील के पानी की बदबू

इन दिनों एक बार फिर शहर की एक मात्र कथित सुरम्य झील के पानी से इतनी बदबू आ रही है कि उसके आसपास से गुजरना बहुत मुश्किल है। उसके आसपास रहने वाले तो मानों नरक में ही रह रहे हैं। मगर अफसोस कि न तो जिला प्रशासन व नगन निगम को इसकी परवाह है और न ही राजनीतिक दलों व समाजसेवी संस्थाओं को।
आनासागर झील की यह समस्या लाइलाज सी हो गई प्रतीत होती है। ऐसा नहीं कि इस मामले में कभी आवाज नहीं उठी या प्रशासन ने अपने स्तर कवायद नहीं की, बावजूद इसके समस्या का यदि समाधान नहीं हो रहा है, तो इससे साफ लगता है कि वाकई कहीं न कहीं चूक हो रही है। झील की नियमित सफाई और मॉनिटरिंग नहीं होती। जब-जब हल्ला होता है तो प्रशासन की नींद थोड़ी खुलती है और वह उस वक्त लोगों को शांत करने की खातिर कोई तात्कालिक उपाय कर दिए जाते हैं और उसके बाद फिर कुंभकरणी नींद में खो जाता है।
पाठकों को याद होगा कि कुछ अरसा पहले झीलों की सुरक्षा व संरक्षा का मामला जब राजस्थान हाईकोर्ट में गया था तो उसने कड़ा रुख अपनाया था। हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में जिला प्रशासन ने आनासागर, फायसागर व तीर्थराज पुष्कर सरोवर की सुरक्षा और सौंदर्यीकरण के लिए अपनी ओर से बेहतरीन और आदर्श ड्राफ्ट प्लान पेश किया था, जिसे देख कर यही लगता था कि इन झीलों का कायाकल्प हो जाएगा। मगर उन्हीं दिनों इस बात पर आशंका भी जाहिर की गई थी कि जैसा खूबसूरत ड्राफ्ट प्लान पेश किया गया है, उस पर अमल आसान काम नहीं है। आपको याद होगा कि झील का पानी शुद्ध करने के लिए 35 लाख रुपए की लागत से 4 फ्लोटिंग फाउंटेन लगाने के साथ 28 लाख की लागत से 5 एयरेटर्स लगाने की बात हुई थी। उस पर अमल भी हुआ, उसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है तो साफ जाहिर है कि हाईकोर्ट के डर से वादा तो कर दिया गया, मगर बाद में उस पर ठीक से अमल नहीं किया गया। तब ये भी कहा गया कि पानी की गुणवत्ता एवं नियंत्रण के लिए हर वर्ष पानी व गर्द की जांच की जाएगी। यदि वाकई उस पर अमल हुआ होता तो आज जो हालात पैदा हुए हैं, वे नहीं होते। हालांकि प्रशासन ने आनासागर झील में कचरा डालने और मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाने के लिए कदम तो उठाया, मगर उससे भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। हाल ही जब बारहदरी पर आनंदम संस्था की ओर से गीत गुलजार कार्यक्रम रखा गया तो वहां बैठे दर्शकों को बदबू के मारे बुरा हाल था। हालांकि आयोजकों ने बदबू समाप्त करने के लिए खुशबू के उपाय किए, मगर वे बदबू की अधिकता के कारण नाकाफी ही रहे।
समय रहते प्रशासन, नगर सुधार न्यास व नगर निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए। उसे न केवल बदबू का निराकरण करना होगा, अपितु आनासागर को सुरम्य बनाने के भी पूरे इंतजाम करने होंगे, वरना इस झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का सपना सपना ही रह जाएगा।