गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

आखिर प्रेम उजागर हो ही गया जयपाल व बाकोलिया का

संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर भी अंबेडकर सर्किल की सफाई न होने पर शहर कांगे्रस अध्यक्ष जसराज जयपाल व मेयर कमल बाकोलिया के बीच पल रहा च्प्रेमज् आखिर उजागर हो ही गया। दोनों ने एक-दूसरे पर शब्द बाण चलाए। जयपाल शहर अध्यक्ष हैं, इस नाते उन्हें अपनी ही पार्टी के मेयर को पार्टी फोरम पर निर्देश देने के पूरे अधिकार हैं, मगर बाकोलिया के प्रति मन में कायम च्प्रेमज् सार्वजनिक रूप से उजागर कर गए। कदाचित उजागर न भी करना चाहते हों, मगर आजकल मीडिया के कुछ लोग नेताओं के मुंह में जबरन शब्द डाल देते हैं। फिर इलैक्ट्रॉनिक मीडिया की तो बात ही कुछ और है। बयान देने वाले को सोच-समझ कर बोलने का तो मौका ही नहीं मिलता और मजे की बात ये है कि मुंह से निकले शब्द रिकॉर्ड हो जाते हैं। प्रिंट मीडिया के मामले में तो कोई सफाई दे भी सकता है कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था, बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
बहरहाल बात चल रही थी जयपाल और बाकोलिया की। बाकोलिया चुनाव जीतते ही केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट के खेमे में चले गए। ऐसे में पायलट विरोधी लॉबी के जयपाल से उनके च्प्रेमज् का अंदाजा लगाया ही जा सकता है। बस टकराव नहीं हो रहा था, इस कारण वह उजागर नहीं हो रहा था। बाबा साहब के बहाने उजागर हो गया। उजागर क्या हो गया, समझो जंग की शुरुआत हो गई। जयपाल ने तो थोड़ी ही सीमा लांघी, मगर बाकोलिया ने तो जयपाल को संयम की सीख देते हुए खुद ही संयम खो दिया। इसमें बाकोलिया ही घाटे में रहने वाले हैं। बाकोलिया अभी राजनीति में कच्चे हैं, जबकि जयपाल धुरंधर। उनकी लॉबी इतनी सशक्त है कि एकाएक पायलट भी सीधे टांग नहीं फंसा पा रहे। नए शहर अध्यक्ष को लेकर हुए विवाद में पायलट कितने फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं, सबको पता है। और वैसे भी जयपाल तो पार्टी अध्यक्ष हैं, जबकि बाकोलिया जनप्रतिनिधि। जनप्रतिनिधि हरवक्त तलवार की धार पर काम करता है। उस पर हमला करना भी आसान होता है। जयपाल से पंगे की शुरुआत होने के बाद अब बाकोलिया को संभल-संभल कर चलना होगा। वे कहां लंगी लगाएंगे, बाकोलिया को अनुमान ही नहीं हो पाएगा। चलो शहर के लिए तो अच्छा ही हुआ। भाजपा तो बाकोलिया के कामकाज पर नजर रख ही रही है, अब बाकोलिया कांग्रेस की पैनी नजर के दायरे में रहेंगे।

सलमान खान नाइट के टिकट में वाकई फर्जीवाड़ा है

आगामी 19 दिसम्बर को विश्राम स्थली में प्रस्तावित सलमान खान नाइट के सिलसिले में सलमान से शो के करार व प्रशासनिक स्वीकृति के अभाव में जिन टिकटों के साथ तीन आयोजकों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें वाकई फर्जीवाड़ा नजर आता है।
हमें टिकट का जो नमूना हासिल हुआ है, उसमें दिनांक व समय का तो उल्लेख है, लेकिन स्थान का कोई उल्लेख नहीं है। टिकट पर वीआईपी टिकट लिखा है, लेकिन उसकी कीमत क्या है, इसका कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में जाहिर है जब कि टिकट के जरिए वसूली गई राशि का पता नहीं लगेगा तो आमदनी कितनी हुई है, इसका आकलन कैसे होगा। और कैसे उसका पचास फीसदी चेरिटी पर खर्च किया जाएगा। यानि कि टिकटों के जरिए वसूली जाने वाली राशि को गोलमाल किए जाने की योजना थी।
अव्वल तो जिस फर्म स्टार ईवेंट के नाम से यह आयोजन हो रहा है, उसका कोई अता-पता नहीं है। टिकट में फर्म का केवल नाम ही दिया गया है, उसका कोई संपर्क सूत्र नहीं दिया गया है। न ही फर्म के कहीं रजिस्टर्ड होने का उल्लेख है। ऐसे में आयोजकों का यह दावा स्वत: ही खारिज हो जाता है कि वे आमदमी का पचास प्रतिशत चेरिटी पर खर्च करेंगे। अव्वल तो इस आयोजन का खर्च ही इतना अधिक है कि उसे टिकटों के जरिए एकत्रित ही करना असंभव है। जब कुछ आमदनी ही नहीं होगी तो चैरिटी कहां से होगी।
टिकट में नीचे जिन दो जनों धर्मेन्द्र व असीम के नाम हैं, उनके भी कोई संपर्क सूत्र नहीं हैं कि कोई समस्या होने पर उनसे संपर्क किया जा सके। एक फर्जीवाड़ा और है। टिकट पर जिस असीम का नाम है, उसका नाम शो के बारे में सबसे पहले एक अखबार में आए विज्ञापन में कहीं भी नहीं है। असल में उसमें विक्की का नाम है। बताते हैं कि वही असीम है। वह पहले महेन्द्रा नामक किसी कंपनी में काम करता था। वह काफी फर्टाइल दिमाग का है। यह एक रहस्य ही है कि असीम उर्फ विक्की को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार वह नया बाजार में ही एक दुकान मालिक का भतीजा है। जानकारी ये भी मिली है कि असीम व धर्मेन्द्र ने कुछ दिन पहले एक ऐसी फर्म खोलने की योजना बनाई थी, जिसके तहत घर बैठे हर प्रकार की सेवाएं दी जानी थीं। वह योजना क्यों विफल हुई, इसका पता नहीं लग पाया है। टिकट पर एक एफएम कंपनी का लोगो भी छपा है, देखना ये है कि पुलिस उस मामले में क्या कार्यवाही करती है।
एक जानकारी यह भी है कि सलमान का शो करने के लिए आयोजकों ने तीस लाख रुपए पेशगी दे रखे हैं। सिर्फ इसी कारण आयोजन तो हर हाल करने पर विचार किया जा रहा है। अगर आयोजन रद्द होता है तो तीस लाख रुपए पेशगी कैसे वापस होंगे, ये तो आयोजक ही जानते होंगे। इसके अतिरिक्त इतनी बड़ी राशि किसने फायनेंस की यह भी एक बड़ा सवाल है। हालांकि आयोजन करने पर फिर से कवायद शुरू कर दी गई है, मगर आयोजन होगा या नहीं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।