शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

कहां खो गई ओबामा-मोदी द्वारा घोषित अजमेर स्मार्ट सिटी?

यह एक कटु सत्य है कि जिस स्मार्ट सिटी के सब्जबाग हमें दिखाए गए, जिसकी कल्पना मात्र से हमें खुशी का सुखद अहसास होता था, वह धरातल पर नहीं है। ज्ञात रहे कि इसकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा व भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। उस घोषणा मात्र से हर शहर वासी के मन में रोमांच का सैलाब हिलोरे ले रहा था। उसी के दम पर सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने नगर निगम चुनाव में जीत दर्ज की थी। हाल तक उसी की दुहाई देते नहीं थक रहे थे भाजपा नेता। मगर अफसोस, वह घोषणा, वह योजना, जिस पर पूर्व संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने मेराथन बैठकें कीं, चंद चहेतों को पुरस्कृत कर उपकृत किया, उसका कहीं अता पता नहीं है। उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया, कुछ पता नहीं।
असल में संशय तो तभी उत्पन्न हो गया था, जब ओबामा की ओर से अजमेर सहित तीन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अमेरिकी मदद के ऐलान के बाद केन्द्र सरकार ने देश के एक सौ शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की, जिसकी कवायद में अजमेर भी शामिल किया गया। यदि अजमेर को नई घोषणा से अलग रखा जाता तो यकीन किया जा सकता था कि अमेरिकी मदद से होने वाले काम धरातल पर हैं। हालांकि पूर्व संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने इस दिशा में कवायद भी शुरू कर दी, मगर जैसे ही एक सौ शहरों को स्मार्ट सिटी में शुमार किया गया और उसके पहले चरण के बीस शहरों की कवायद आरंभ हुई, तो शक होने लगा कि ओबामा की घोषणा हवा हो चुकी है। अफसोस की बात ये रही कि अजमेर का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्रियों ने पड़ताल ही नहीं कि आखिर ओबामा की ओर से घोषित मदद का क्या हुआ?
अब हालत ये है कि 28 जनवरी को केन्द्रीय नगरीय विकास मंत्री वेकैंया नायडु ने देश के जिन 20 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है, उसमें अजमेर शामिल नहीं है। इस सूची में राजस्थान के जयपुर और उदयपुर शहर को ही शामिल किया गया है। जयपुर तीसरे नम्बर पर तथा उदयपुर 16वें नम्बर पर आया है। जबकि अजमेर स्मार्ट सिटी के मापदंडों पर फिलहाल खरा नहीं उतरा है। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने जयपुर, उदयपुर के साथ-साथ अजमेर और कोटा को भी स्मार्ट सिटी बनाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था, लेकिन केन्द्र सरकार ने अजमेर और कोटा को पहले चरण में शामिल नहीं किया है। केन्द्र सरकार की घोषणा के मुताबिक स्मार्ट सिटी के लिए जो भौगोलिक स्थिति और संसाधन चाहिए, उससे जयपुर और उदयपुर ही खरे उतरते हैं। अजमेर और कोटा में वे हालात नहीं है, जिनके अंतर्गत इन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाया जाए। ऐसे में अहम सवाल ये उठता है कि जब ओबामा ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए वित्तीय मदद की ऐलान किया तो उसका आधार क्या था?
बहरहाल, केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी की सूची में अजमेर का नाम नहीं आने का कारण अजमेर की राजनीतिक कमजोरी माना जा रहा है। एक ओर यह कितना सुखद है कि अजमेर में इस समय सत्तारुढ़ भाजपा नेताओं की स्थिति बहुत मजबूत है, लेकिन दुखद बात है कि जिले के किसी भी नेता में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अथवा केन्द्रीय नगरीय विकास मंत्री वैंकेया नायडु के समक्ष अपनी बात को दमदार तरीके से रख सकें। ज्ञातव्य है कि भाजपा के 7 विधायकों में से 3 राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। वासुदेव देवनानी स्कूली शिक्षा मंत्री, अनिता भदेल महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री हंै, जबकि पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत को हाल ही में संसदीय सचिव बनाया गया है। इसी प्रकार अजमेर के श्री औंकार सिंह लखावत राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, जबकि अजमेर में पले श्री भूपेन्द्र सिंह यादव भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व राज्यसभा सांसद हैं। इसके अतिरिक्त अजमेर के सांसद प्रो. सांवरलाल जाट केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री है। संभवत: यह पहला मौका है, जबकि अजमेर राजनीतिक दृष्टि से इतना मजबूत है, फिर भी स्मार्ट सिटी की दौड़ में अजमेर का विफल हो जाना बेहद शर्मनाक है।
जानकारी के अनुसार स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल नहीं होने पर मेयर श्री धर्मेन्द्र गहलोत का कहना है कि अब नगर निगम अपने संसाधनों से ही अजमेर को स्मार्ट बनाएगा, मगर सवाल ये है कि अजमेर नगर निगम के पास इतने संसाधन कहां से जुटाए जाएंगे?
तेजवानी गिरधर
7742067000, 8094767000