बुधवार, 16 मई 2012

न्यास की एक और मंशा पर पानी फेरा पत्रकारों ने

अजमेर। पत्रकारों की पहल पर स्वायत्त शासन विभाग व नगरीय विकास विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव जी. एस. संधु ने अजमेर नगर सुधार सचिव श्रीमती पुष्पा सत्यानी को नसीहत दे दी है कि वे आवासीय योजनाओं में मकानों के व्यावसायिक भू उपयोग परिवर्तन न नहीं करें। जाहिर सी बात है कि भू उपयोग परिवर्तन के मामलों में आवेदक कुछ ले दे कर अपना काम करवाना चाहता है। यानि कि संधु के निर्देश के बाद अब खाने-कमाने का यह जरिया तो बंद हो जाएगा।
असल में हुआ यूं कि संधु हाल ही जब उर्स की तैयारियों के सिलसिले में अजमेर आए तो पत्रकारों ने उनसे कई विषयों पर चर्चा की। दैनिक नवज्योति के पत्रकार संजय माथुर ने संधु के सामने सवाल खड़ा किया कि आवासीय योजना के भूखंडों का योजना मानचित्र से परे जा कर भूउपयोग परिवर्तन आवासीय से व्यावसायिक करके योजना के मूल स्वरूप को क्यों बदला जा रहा है, जबकि योजना में ही व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पहले से ही स्थान आरक्षित है? इसी सिलसिले में उन्होंने न्यास की दोहरी नीति की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। एक ओर तो वह किसी कालोनाइजर की स्कीम में व्यावसायिक परिसर, स्कूल, पार्क आदि के लिए पर्याप्त जगह न छोड़े जाने पर उसका नक्शा निरस्त कर देता है, जब कि खुद की बसाई हुई कालोनियों में सारे नियम कायदे तक पर रख रहा है।
इस पर संधु ने न्यास सचिव की ओर मुखाबित होते हुए कहा कि इस प्रकार के आवेदन करने वालों को हतोत्साहित कीजिए। इसी प्रकार के निर्देश नगर निगम सीईओ सी आर मीणा को भी दिए कि हाउसिंग बोर्ड से निगम को हस्तांतरित योजनाओं में पूर्व में आवंटित आवासों का व्यावसायिक प्रयोजन के लिए भू उपयोग परिवर्तन पर पाबंदी लगाएं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आवासीय योजनाओं को उसी रूप में रहने दें, उसका स्वरूप न बिगाड़ें। यहां उल्लेखनीय है कि न्यास ने हाल ही भू उपयोग परिवर्तन के कुछ आवेदित मामलों में आपत्तियां मांगी थी, जिसका मतलब ये है कि न्यास भू उपयोग करने को तैयार है। बहरहाल, स्वायत्त शासन महकमे के सबसे बड़े अफसर के निर्देश के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि अजमेर को सुंदर और सुव्यवस्थित करने की जिम्मेदारी रखने वाले अधिकारी इसे और नहीं बिगडऩे देंगे।
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि संजय माथुर की रिपोर्ट पर ही भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने अफोर्डेबल स्कीम के तहत आवास बनाने की योजना में की जा रही नियमों की अनदेखी का मसला सरकार के सामने उठाया और उसे बंद करने के आदेश हो गए। इसमें भी अच्छी खासी आमदमी होने की उम्मीद थी, जिस पर पानी फिर गया। वस्तुतः माथुर को स्वायत्त शासन विभाग से संबंधित मामलों में विशेषता हासिल हैं, जिसकी खुद संधु ने भी आश्चर्य जाहिर करते हुए सराहना की।
पत्रकारों के भूखंडों की लाटरी निकलने का रास्ता साफ
माथुर व वहां मौजूद अन्य पत्रकारों की पहल से नगर सुधार न्यास में पत्रकारों के लिए भूखण्ड आवंटन की लाटरी निकलने का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। जब संधु को बताया गया कि नगर सुधार न्यास प्रशासन जयपुर की बैठक के निर्णयों को जयपुर विकास प्राधिकरण से जुड़ा निर्णय बता कर अजमेर में इन्हें लागू नहीं कर रहा है और राज्य स्तरीय समिति के निर्णय न्यास प्रशासन नहीं मानता, तो संधु ने न्यास सचिव पुष्पा सत्यानी को निर्देश दिए कि वे उक्त निर्देशों की रोशनी में न्यास में प्राप्त पत्रकारों के आवेदनों का निस्तारण कर भूखण्ड आवंटन की लाटरी जल्द निकालें।
उल्लेखनीय है कि संधु की अध्यक्षता में ही गत 16 जून 2011 को जयपुर में पत्रकारों की आवासीय समस्याओं के समाधान के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति की बैठक में श्रमजीवी पत्रकारों को पीपीएफ विवरणी जमा कराने के साथ फार्म 16 भरकर देने की अनिवार्यता से मुक्ति दी गई थी। समिति ने श्रमजीवी पत्रकारों के लिए पीपीएफ विवरणी देने की अनिवार्यता को हटाने के साथ ही यह निर्णय लिया था कि साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक समाचार पत्रों के लिए ही फार्म नंबर 16 एवं आयकर विवरण का शपथ पत्र लिया जायेगा। इस समिति ने उन पत्रकारों को भी भूखण्ड का आवंटन का पात्र माना था, जो राजस्थान के मूल निवासी है, किंतु प्रदेश के बाहर कार्यरत हैं, लेकिन उनके साथ यह शर्त जोड़ी थी कि उन्हें अपने मूल निवास का प्रमाण पत्र देना होगा। चूंकि संधु को इस बारे में पूरी जानकारी थी, इस कारण वे तुरंत सहमत हो गए और हाथोंहाथ न्यास सचिव को निर्देश दे दिए। इस प्रकार पत्रकारों की तकरीबन छह साल पुरानी समस्या का समाधान होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व कलैक्टर राजेश यादव ने अपने पूरे कार्यकाल में इसमें रुचि नहीं ली और जब उनके तबादला आदेश आए तो रिलीव होने वाले दिन न जाने क्या सोच कर आवेदन पत्रों की छंटनी करवाई, मगर उनकी लाटरी नहीं निकाली। उधर जैसे नई कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल ने कार्यभार संभाला तो उनके सामने अनेक शिकायतें पेश हो गईं। इससे वे भिन्ना गईं और यह तय कर लिया कि कम से कम वे तो लाटरी नहीं निकालेंगी। जब न्यास अध्यक्ष पद पर नरेन शहाणी नियुक्त हुए तो पत्रकारों की उम्मीद जागी, मगर वे भी किसी विवाद फंसने की आशंका में मामले को लटकाते रहे। आखिरकार अब जब कि विभाग के सर्वोच्च अधिकारी ने निर्देश दे दिए हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि अब जल्द ही पत्रकारों का अपना घर बनाने का सपना पूरा हो जाएगा। 

-तेजवानी गिरधर
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