गुरुवार, 20 मार्च 2014

दो बार ध्वस्त हो चुका है अजमेर में भाजपा का गढ़

एक बार डॉ. श्रीमती प्रभा ठाकुर ने प्रो. रासासिंह रावत को 5772 मतों से और दूसरी बार सचिन ने किरण को 76 हजार 135 वोटों से हराया
-तेजवानी गिरधर- अजमेर संसदीय क्षेत्र को पूर्व सांसद व वर्तमान शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत ने रावत वोटों के दम पर भाजपा का गढ़ बना रखा था। वे यहां से पांच बार जीते। इस गढ़ को एक बार कांग्रेस की डॉ. प्रभा ठाकुर ने 5 हजार 772 मतों ध्वस्त किया तो दूसरी बार 2009 में अजमेर के मौजूदा सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को 76 हजार 135 वोटों से हराया।
इतिहास के आइने में देखें तो राजस्थान में शामिल होने से पहले अजमेर एक अलग राज्य था। सन् 1952 में हुए प्रथम लोकसभा चुनाव में अजमेर राज्य में दो संसदीय क्षेत्र थे-अजमेर उत्तर व अजमेर दक्षिण। राजस्थान में विलय के बाद 1957 में यहां सिर्फ एक संसदीय क्षेत्र हो गया।  सन् 1952 से 1977 तक इस इलाके में कांग्रेस का ही बोलबाला रहा। अत्यल्प जातीय आधार के बावजूद यहां से मुकुट बिहारी लाल भार्गव तीन बार, विश्वेश्वर नाथ भार्गव दो बार जीते, लेकिन इसके बाद कांग्रेस के खिलाफ चली देशव्यापी आंधी ने इस गढ़ को ढ़हा दिया और जनता पार्टी के श्रीकरण शारदा ने बदलाव का परचम फहरा दिया। सन् 1980 में जैसे ही देश की राजनीति ने फिर करवट ली तो कांग्रेस के आचार्य भगवानदेव ने कब्जा कर लिया। भगवान देव ने जनता पार्टी के श्रीकरण शारदा को 53 हजार 379 मतों से पराजित किया था। देव को 1 लाख 68 हजार 985 और शारदा को 1 लाख 25 हजार 606 मत मिले थे। सन् 1984 में पेराटूपर की तरह उतने विष्णु मोदी ने भी कांग्रेस की प्रतिष्ठा को बनाए रखा। मोदी ने भाजपा के कैलाश मेघवाल को 56 हजार 694 वोटों से पराजित किया था। मोदी को 2 लाख 16 हजार 173 और मेघवाल को 1 लाख 59 हजार 479 मत मिले थे।
लेकिन 1989 में कांग्रेस के देशव्यापी बिखराव के साथ डेढ़ लाख रावत वोटों को आधार बना कर रासासिंह को उतारा तो यहां का मिजाज ही बदल गया। उसके बाद के छह लोकसभा चुनावों में, 1998 को छोड़ कर, पांच में रासासिंह रावत ने विजय पताका फहराई। कांग्रेस ने भी बदल-बदल कर जातीय कार्ड खेले मगर वे कामयाब नहीं हो पाए। रावत के सामने सन् 1989 में सवा लाख गुर्जरों के दम उतरे बाबा गोविंद सिंह गुर्जर 1 लाख 8 हजार 89 वोटों से हारे। धनखड़ को 1 लाख 86 हजार 333 व रावत को 2 लाख 11 हजार 676 वोट मिले थे। सन् 1991 में रावत ने डेढ़ लाख जाटों के दम पर उतरे जगदीप धनखड़ 25 हजार 343 वोटों से हराया। और सन् 1996 में एक लाख सिंधी मतदाताओं के मद्देनजर उतरे किशन मोटवानी 38 हजार 132 वोटों से पराजित हो गए। सन् 1998 के मध्यावधि चुनाव में सोनिया गांधी के राजनीति में सक्रिय होने के साथ चली हल्की लहर पर सवार हो कर सियासी शतरंज की नौसिखिया खिलाड़ी प्रभा ठाकुर ने रासासिंह को लगातार चौथी बार लोकसभा में जाने रोक दिया था। हालांकि इस जीत का अंतर सिर्फ 5 हजार 772 मतों का रहा, लेकिन 1999 में आए बदलाव के साथ रासासिंह ने प्रभा ठाकुर को 87 हजार 674 मतों से पछाड़ कर बदला चुका दिया। इसके बाद 2004 में रासासिंह ने कांग्रेस के बाहरी प्रत्याशी हाजी हबीबुर्रहमान को 1 लाख 27 हजार 976 मतों के भारी अंतर से कुचल दिया। हबीबुर्रहमान को 1 लाख 86 हजार 812 व रावत को 3 लाख 14 हजार 788 वोट मिले थे। इसके बाद 2009 में चूंकि परिसीमन के कारण संसदीय क्षेत्र का रावत बहुल मगरा-ब्यावर इलाका कट कर राजसमंद में चला गया तो रावत का तिलिस्म टूट गया। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उनके स्थान पर श्रीमती किरण माहेश्वरी आईं, मगर वे कांग्रेस के सचिन पायलट से 76 हजार 135 वोटों से हार गईं। कुल 14 लाख 52 हजार 490 मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में पड़े 7 लाख 70 हजार 875 मतों में सचिन को 4 लाख 5 हजार 575 और किरण को 3 लाख 29 हजार 440  मत मिले।
आइये जरा देख लें कि तब किस को कितने वोट मिले थे-
कुल 7 लाख 71 हजार 160 वैध मतों में से बसपा के रोहितास को 9 हजार 180, जागो पार्टी के इन्द्रचन्द पालीवाला को 7 हजार 984 तथा निर्दलीय उम्मीदवार ऊषा किरण वर्मा को 4 हजार 670, नफीसुद्दीन मियां को 3 हजार 134, मुकेश जैन को 2 हजार 601 तथा शांति लाल ढाबरिया को 8 हजार 576 मत मिले। कुल 171 मत अवैध हुए, 34 टेण्डर मत गिरे और कुल मतदान 7 लाख 71 हजार 502 मतों का हुआ । पोस्टल बैलट पेपर 454 में 178 किरण माहेश्वरी को, 104 सचिन पायलट को व एक मत रोहितास को मिला। कुल 171 पोस्टल बैलट पेपर अवैध हुए।
विधानसभा वार स्थिति
अजमेर संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न उम्मीदवारों को मिले मतों की स्थिति इस प्रकार है-
दूदू- इस विधानसभा क्षेत्र से सचिन पायलट को 57 हजार 653, भाजपा की किरण माहेश्वरी को 38 हजार, बसपा के रोहितास को 1613, जागो पार्टी के इन्द्रचन्द पालीवाला को 1174 तथा निर्दलीय ऊषा किरण वर्मा को 670, नफीसुद्दीन मियां को 455, मुकेश जैन को 409 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 1257 मत मिले । वैध मतों की संख्या एक लाख एक हजार 231 है।
किशनगढ़- इस विधानसभा क्षेत्र से सचिन को 49 हजार 392, किरण को 51 हजार 831, रोहितास को 1214, इन्द्रचन्द पालीवाला को 945 तथा ऊषा किरण वर्मा को 701, नफीसुद्दीन मियां को 367, मुकेश जैन को 337 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 1110 मत मिले । वैध मतों की संख्या एक लाख 5 हजार 897 है।
पुष्कर- सचिन पायलट को 53 हजार 7, किरण को 36 हजार 675, रोहितास को 1226, इन्द्रचन्द पालीवाला को 1110 तथा ऊषा किरण वर्मा को 654, नफीसुद्दीन मियां को 486, मुकेश जैन को 344 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 1292 मत मिले । वैध मतों की संख्या 94 हजार 794 है।
अजमेर उत्तर- सचिन 39 हजार 241, किरण माहेश्वरी को 42 हजार 189, रोहितास को 457, इन्द्रचन्द पालीवाला को 557 तथा ऊषा किरण वर्मा को 183, नफीसुद्दीन मियां को 195, मुकेश जैन को 138 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 443 मत मिले । वैध मतों की संख्या 83 हजार 403 है।
अजमेर दक्षिण- सचिन को 39 हजार 656, किरण माहेश्वरी को 37 हजार 499, रोहितास को 510, इन्द्रचन्द पालीवाला को 484, ऊषा किरण वर्मा को 170, नफीसुद्दीन मियां को 158, मुकेश जैन को 89 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 375 मत मिले । वैध मतों की संख्या 78 हजार 941 है।
नसीराबाद- सचिन को 49 हजार 38, किरण को 43 हजार 501, रोहितास को 1497, इन्द्रचन्द पालीवाला को 1061, ऊषा किरण वर्मा को 555, नफीसुद्दीन मियां को 397, मुकेश जैन को 312 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 1145 मत मिले । वैध मतों की संख्या 97 हजार 506 है।
मसूदा- सचिन को 59 हजार 996, किरण को 44 हजार 259, रोहितास को 1368, इन्द्रचन्द पालीवाला को 1408, ऊषा किरण वर्मा को 901, नफीसुद्दीन मियां को 599, मुकेश जैन को 513 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 1587 मत मिले । वैध मतों की संख्या एक लाख 10 हजार 631 है।
केकड़ी- सचिन को 57 हजार 488, किरण को 35 हजार 308, रोहितास को 1294, इन्द्रचन्द पालीवाला को 1245, ऊषा किरण वर्मा को 836, नफीसुद्दीन मियां को 477, मुकेश जैन को 459 तथा शांतिलाल ढाबरिया को 1367 मत मिले । वैध मतों की संख्या 98 हजार 474 है।
आठ में से केवल दो विधानसभा क्षेत्रों में मिली भाजपा को बढ़त
संसदीय क्षेत्र के आठ में से छह विधानसभा क्षेत्रों अजमेर दक्षिण, मसूदा, पुष्कर, केकड़ी, नसीराबाद और दूदू में कांग्रेस को बढ़त हासिल हुई, जबकि भाजपा को केवल दो क्षेत्रों अजमेर उत्तर व किशनगढ़ में ही बढ़त मिल पाई। कांग्रेस को सर्वाधिक बढ़त केकड़ी में 22 हजार 180 मतों की मिली, जबकि सबसे कम बढ़त अजमेर दक्षिण में 2 हजार 157 मतों की रही। कांग्रेस को दूदू में 19 हजार 653, पुष्कर में 16 हजार 332, नसीराबाद में 5 हजार 537 और मसूदा में 15 हजार 737 मतों की बढ़त मिली। भाजपा को अजमेर उत्तर में 2 हजार 948 व किशनगढ़ में 2 हजार 539 मतों की बढ़त हासिल हुई।
न इतनी बड़ी हार का डर था, न इतनी बड़ी जीत की आशा
इस चुनाव सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये रहा कि भाजपा को न इतनी बड़ी हार का डर था और न ही कांग्रेस को इतनी बड़ी जीत की आशा। दोनों पक्षों की ओर से हालांकि पचास हजार वोटों से जीतने का हवाई दावा किया जा रहा है, लेकिन पार्टियों का आकलन 15 से 20 हजार वोटों से जीतने का ही था। हालांकि इस आकलन में भी मन ही मन डर था कि कहीं हार न जाएं, लेकिन दोनों ही दलों के नेता इतना तो तय मान रहे थे कि हारे भी तो मतांतर ज्यादा नहीं होगा। हालांकि निष्पक्ष राजनीतिक पंडित सचिन का पलड़ा कुछ भारी मान रहे थे, लेकिन दोनों ओर के आकलन की वजह से वे भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं रहे।
तब सट्टा बाजार सही निकला
सट्टा बाजार शुरू से सचिन को जीता हुआ मान कर चल रहा था, लेकिन पूर्व के अनुभवों से सबक  लेते हुए राजनीतिक जानकार व राजनीतिक दल उस पर यकीन नहीं कर रहे थे और न ही गंभीरता से ले कर चल रहे थे। सट्टा बाजार में किरण की जीत पर चालीस पैसे, जबकि सचिन की जीत पर दो रुपए चालीस पैसे लगाए जा रहे थे। सट्टा बाजार की यह गणित वाकई सही साबित हुई और सचिन भारी मतों से जीत गए।
युवा मतदाता ने किया था चमत्कार
परिणाम आने के बाद यह स्पष्ट माना जा रहा है कि नए परिसीमित संसदीय क्षेत्र में बढ़े तकरीबन एक लाख युवा मतदाता ने यह चमत्कार किया है। हालांकि राजनीति के जानकार यह मान रहे थे कि सचिन को युवा होने का लाभ मिलेगा, लेकिन साथ यह भी मान कर चल रहे थे कि किरण को महिला होने का जो लाभ मिलेगा, उससे संतुलन हो जाएगा। परिणाम आने के बाद यह साफ हो गया है कि सचिन के युवा होने का पहलु ज्यादा कारगर साबित हुआ है।