मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

देवनानी को हराने के लिए चुनाव लडेंग़े ज्ञान सारस्वत?

भाजपा विधायक देवनानी व निर्दलीय पार्षद सारस्वत
भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी के लिए इस बार विधानसभा पहुंचने का रास्ता मुश्किल और कांटों भरा साबित हो सकता है। चर्चा है कि भाजपा से उपेक्षित होकर निर्दलीय चुनाव जीत कर पार्षद बने ज्ञान सारस्वत इस बार देवनानी के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लडऩे के लिए पर्चा भरेंगे। इसके लिए वे अपने क्षेत्र में अप्रत्यक्ष रूप से तैयारी में जुट चुके हैं।
असल में नगर निगम चुनाव में ज्ञान सारस्वत को टिकट न दिलवा कर तुलसी सोनी को टिकट देने के कारण सारस्वत देवनानी के पक्के राजनीतिक दुश्मन हो गए हैं। सारस्वत ने देवनानी के वार्ड में ही चुनाव जीता और पूरे प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीतने वाले निर्दलीय पार्षद बने। नतीजतन संघ व भाजपा के वरिष्ठ नेता तुलसी सोनी निपट गए। इसे देवनानी की साजिश भी माना गया, ताकि बाद में सोनी फिर विधानसभा चुनाव के वक्त दावेदारी न कर सकें।
चर्चा है कि ज्ञान सारस्वत अब अजमेर उत्तर विधान सभा से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। उनका मसकद चुनाव जीतना भले ही हो या नहीं हो, मगर देवनानी को हराना उनका अहम मकसद होगा। इसका सीधा फायदा कांग्रेस के प्रत्याशी को होगा। सारस्वत अपने वार्ड ही नहीं, बल्कि इन दिनों पुष्कर रोड, रामनगर और फायसागर रोड पर अपनी सियासी जमीन को और मजबूत करने में लगे हुए हैं। सारस्वत का गहरा जुड़ाव एक सामाजिक संस्था केशव माधव परमार्थ मंडल से भी है, जो किस इस क्षेत्र में भाजपा वोटों पर अपनी मजबूत पकड रखती है। इसमें संघ विचारधारा के सदस्य भी ज्यादा हैं। उक्त संस्था की ओर गत दिनों विश्राम स्थली पर पांच हजार आसानों पर सामूहिक आसनों पर संगीतमय सुंदरकांड का पाठ आयोजित किया गया था, जिसमें देवनानी को महज औपचारिक महत्व दिया गया। जानकारों के मुताबिक सारस्वत इसे अपने अप्रत्यक्ष शक्ति प्रदर्शन के रूप में विकसित कर रहे थे। गत दिनों विश्राम स्थली में आयोजित एक सर्वधर्म सामूहिक विवाह सम्मेलन में भी सारस्वत पूरे सक्रिय नजर आए। डिवाइडरों पर साइन बोर्ड और बड़े-बड़े बैनर भी लगाए। आम तौर पर किसी पार्षद की ओर से इस तरह की लोकप्रियता और साख जमाने के लिए किए जाने वाले प्रयास कम ही नजर आते है। अभी तक की स्थिति को देखते हुए सारस्वत की ओर से विधायक का चुनाव लडऩे की तैयारी को तय माना जा रहा है। इसमें भी दो राय नहीं है कि स्वच्छ और बेदाग छवि के लिए सारस्वत अन्य पार्षदों से कहीं आगे हैं। मगर हो सकता चुनाव का समय आने तक देवनानी इन्हें मनाने में सफल हो जाए। एक सवाल ये भी है कि यदि देवनानी को टिकट ही नहीं मिला तब भी क्या वे चुनाव लड़ेंगे। सूत्र बताते हैं कि वे गैर सिंधीवाद के नाम पर भी चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। अर्थात यदि कांग्रेस व भाजपा दोनों सिंधी को ही टिकट देते हैं तो वे गैर सिंधीवाद के नाम पर त्रिकोण बनाने की कोशिश भी कर सकते हैं।
-तेजवानी गिरधर
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