सोमवार, 26 मई 2014

सांवरलाल जाट के साथ अजमेर के साथ भी हुआ धोखा

देशभर में चली मोदी सुनामी लहर के चलते अजमेर सहित राजस्थान की सभी सीटों पर भाजपा की जीत के बाद अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा अजमेर में भी फलित होने की आशा थी। हो भी क्यों नहीं। राज्य मंत्रीमंडल में अजमेर का प्रतिनिधित्व करने वाले नसीराबाद विधायक प्रो. सांवरलाल जाट का केबीनेट मंत्री पद शहीद कर उन्हें अनिच्छा के बावजूद लोकसभा चुनाव लड़ाया गया। जाहिर सी बात है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने उन्हें आश्वासन दिया होगा कि सरकार बनने पर उन्हें मंत्री बनवाया जाएगा, वरना भला कौन केबीनेट मंत्री पद छोड़ कर अदद सांसद बनने को तैयार होगा। रणनीति के लिहाज से वसुंधरा को लगा होगा कि अकेले वे ऐसे नेता हैं जो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को टक्कर दे सकते हैं, सो लोकसभा में पार्टी सांसदों का नंबर बढ़ाने के लिए उनको राजी किया गया। वे न केवल जीते, बल्कि शानदार वोटों से जीत दर्ज की, मगर धोखा हो गया। धोखा खाने का मलाल साफ तौर पर उनके चेहरे पर देखा गया, जब चैनलों पर उनसे पूछा गया कि मंत्री न बनाने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है। असल में यह सवाल ही उनके घाव पर नमक जैसा प्रतीत हो रहा था। वे चिढ़ कर महज इतना ही कह पाए कि आप क्या कहलाना चाहते हैं, देखते जाइये, आगे कुछ होगा। यानि कि उन्हें भी पूरा विश्वास था कि वे मंत्री बनाए जाएंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको भरोसा है, तो वे बोले कि भरोसा क्या, उनको तो पता है। ऐसा कह कर उन्होंने यह जताने की कोशिश की मानो उन्हें यह कहा गया हो कि भविष्य में जब भी मंत्रीमंडल का विस्तार होगा, उनका भी नंबर आएगा, मगर उनकी बॉडी लैंग्वेज साफ चुगली कर रही थी कि वे धोखा होने से बेहद आहत हैं।
असल में यह धोखा अजमेर के साथ भी है। केन्द्रीय मंत्री पायलट को हराने वाले को भाजपा का पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया है, तो यह सरासर धोखा ही है। पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत को तो इस वजह से मौका नहीं मिला था क्योंकि तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार अनेक दलों के सहयोग से बनी थी। मगर इस बार कोई दिक्कत नहीं थी, फिर भी नंबर नहीं आया। केन्द्र में मंत्री होने व न होने के क्या मायने होते हैं, इसका अजमेर को ठीक से अनुभव है। प्रो. रावत पांच बार सांसद रहे, मगर मंत्री न बनने के कारण कुछ नहीं कर पाए, जबकि पायलट मंत्री बने तो अजमेर विकास की पटरी पर चलने लगा था। ये उनके ही प्रयासों का फल है कि अजमेर में हवाई अड्डे के निर्माण में आ रही सारी बाधाएं दूर हो गईं व अब निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने केन्द्रीय विश्वविद्यालय आरंभ करवाया। अनेक नई ट्रेनें शुरू करवाईं। अजमेर के इतिहास में पहला मेगा मेडिकल कैंप आयोजित करवाया। उनकी इन उपलब्धियों को भाजपाई भी स्वीकार करते हैं। आजादी के बाद पहली बार केन्द्र में अजमेर का मंत्री बनने का स्वाद कैसा होता है, यह अजमेर ने चखा है। अजमेर को आशा थी कि मोदी के कथित अच्छे दिन अजमेर में भी आएंगे, मगर अफसोस। राज्य की पच्चीसों सीटें मोदी की झोली में डालने वाली वसुंधरा राजे के खास सिपहसालार मंत्री बनने से वंचित रह गए। एक टीवी चैनल पर एंकर अपने वरिष्ठ सहयोगी से बतिया रहे थे कि क्या प्रो. जाट की उम्मीद पर यकीन किए जाने की स्थिति है तो वे मुस्करा कर बोले की राजनीति संभावनाओं व जीवन आशाओं का खेल है, देखते हैं आगे क्या होगा है।
-तेजवानी गिरधर