गुरुवार, 26 सितंबर 2013

करप्शन की धाराओं से तो बच ही गए आईपीएस अजय सिंह

एंटी करप्शन ब्यूरो की विशेष अदालत ने निलंबित आईपीएस अजय सिंह को आखिरकार भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं से डिस्चार्ज कर दिया। यह ब्यूरो के लिए एक बड़ा झटका है। सिंह के खिलाफ अब सिर्फ आईपीसी की धाराओं में ही मुकदमा चलेगा। ज्ञातव्य है कि एसीबी ने अजय सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं तो लगा दीं, लेकिन इससे संबंधित कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं करवाए। आपको याद होगा कि अपुन ने तो बहुत पहले ही कह दिया था कि अपने रीडर रामगंज थाने में एएसआई प्रेमसिंह के हाथों घूस मंगवाने के आरोप में गिरफ्तार आईपीएस अजय सिंह के बच निकलने की पूरी संभावना है।
असल में वे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ नहीं पकड़े गए थे। रिश्वत तो प्रेम सिंह ने ली थी। अजय सिंह पर तो आरोप था कि उन्होंने शिकायतकर्ता भवानी सिंह से रिश्वत की रकम प्रेम सिंह के हाथों मंगवाई थी। इसे साबित करना आसान काम नहीं था। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब शिकायतकर्ता भवानी सिंह ने मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत जो कलम बंद बयान दिए, उसमें उसने अजय सिंह का जिक्र तक नहीं किया। जब कि शुरू में वह खुल कर बयान दे चुका था कि अजयसिंह के लिए ही रिश्वत ली गई थी। जाहिर तौर पर पूर्व के बयानों की अहमियत इस कारण नहीं थी कि वे बाद में बदले भी जा सकते थे। इसे देखते हुए ही एसीबी ने उसके कलमबंद बयान करवाए, मगर हुआ उलटा। भवानी सिंह ने तो उनका नाम लिया ही नहीं। चूंकि वे कलमबंद बयान थे, इस कारण उनकी ज्यादा अहमियत है। ये परिवर्तन कैसे हुआ, कुछ पता नहीं। 
अजयसिंह के बचने की संभावना इस कारण भी थी कि प्रदेश की आईपीएस लाबी इस दाग को मिटाने में रुचि ले रही बताई। बताया जाता है कि आईपीएस लाबी की इच्छा थी कि नौकरी में जो रिमार्क लगना था, वह तो लग गया, अब सजा जितनी कम से कम हो या सजा मिले ही नहीं तो बेहतर रहेगा, अन्यथा इस जवान आईपीएस की जिंदगी तबाह हो जाएगी। कदाचित इसी वजह से जो जांच पहले डीआईजी स्तर के अधिकारी कर रहे थे, वह आरपीएस स्तर के अधिकारी को सौंप दी गई। जाहिर सी बात है कि कनिष्ट अधिकारी अपने से वरिष्ठ के साथ सख्ती से पेश नहीं आ सकता। वो भी खास कर पुलिस महकमे में, जहां अनुशासन के नाते कनिष्ठता-वरिष्ठता का पूरा ख्याल रखा जाता है। कुल मिला कर संकेत ये ही मिल रहे थे कि अजय सिंह इस प्रकरण में बच कर निकल सकते हैं।
मामले पर एक नजर
21 जून 2012 को एंटी करप्शन ब्यूरो जयपुर की विशेष टीम ने अजमेर के रामगंज थाने में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक लाख रुपए की रिश्वत लेते सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई ) प्रेमसिंह को रंग हाथों गिरफ्तार किया था। प्रेम सिंह ने तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात आईपीएस अजयसिंह के लिए रिश्वत की यह रकम मार्केटिंग कंपनी मार्स बिल्ड एंड डेवलपर्स (एमबीडी) के एजेंट से लेना कबूला था। एजेंट को प्रकरण में फंसाने की धमकी देकर उससे दो लाख रुपए की डिमांड की जा रही थी। ट्रेप की कार्रवाई के दौरान आईपीएस अजमेर से चले गए थे, लेकिन ब्यूरो की टीम ने उन्हें जयपुर के पास कानोता में पकड़ लिया था। उनके कब्जे से अंग्रेजी शराब की दो पेटी और 47 हजार रुपए नकद भी बरामद किए गए थे।
-तेजवानी गिरधर
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