रविवार, 27 जनवरी 2013

क्या एसीबी में है बेनीवाल से पूछताछ करने की हिम्मत?


बीते दिनों एक खबर बड़ी चर्चा में रही। वो ये कि एक व्यवसायी बसंत सेठी राजस्थान के गृह राज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल के साथ उनकी कार में नजर आए। उनके सभी कार्यक्रमों में सेठी ने शिरकत भी की। तो आखिर उसकी वजह क्या थी? सेठी के मंत्री महोदय से इतने घनिष्ठ संबंध कैसे हो गए? किसी और को हो न हो, मगर प्रमुख कांग्रेसियों को जरूर अचरज हुआ कि सेठी मंत्री महोदय के उनसे भी ज्यादा करीब कैसे हैं?
असल में ये सवाल इस कारण उठा क्योंकि अजमेर के निलंबित एसपी राजेश मीणा के मंथली वसूली प्रकरण के अहम किरदार फरार निलंबित एएसपी लोकेश सोनवाल से सेठी के घनिष्ठ संबंध रहे हैं। मंथली वसूली मामले की छानबीन व धरपकड़ के दौरान भी सेठी को सोनवाल के करीब ही पाया गया। बताया जा रहा है कि इसी कारण उससे एसीबी ने पूछताछ कर यह जानने की कोशिश भी की कि उसे थानेदारों से मंथली वसूले जाने के बारे में सोनवाल के संबंध में क्या जानकारी है? संभव है एसीबी ने यह भी जानने की कोशिश की हो कि कहीं सेठी की भी गिरफ्तार ठठेरा की तरह दलाली में कोई भूमिका रही है या नहीं?
स्वाभाविक सी बात है कि जब यह मामला इतना गरमाया हुआ है और ऐसे में एसीबी की नजर में संदिग्ध सेठी की गृह राज्य मंत्री बेनीवाल से घनिष्ठता सार्वजनिक रूप से देखी जाती है तो सवाल उठने लाजिमी हैं। हालांकि सेठी ने इस बारे बयान दे कर साफ कर दिया है कि वे तो मंत्री जी से किसी धार्मिक कार्यक्रम के सिलसिले में मिले थे और यह संयोग की ही बात है कि मंत्री महोदय ने उन्हें अपने साथ कार में बैठा लिया। उनकी बात को सही भी मान लिया जाए तो एसीबी के लिए तो यह खोज का विषय हो ही गया है कि जिस व्यक्ति पर सोनवाल के संबंधों को लेकर तनिक संदेह है, वह गृह राज्य मंत्री के इतना करीब कैसे है? पुलिस तंत्र ने अपने मंत्री को यह सलाह क्यों नहीं दी कि अगर वे सेठी को साथ रखेंगे तो बातें बनेंगी? ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या एसीबी सेठी ने दुबारा पूछताछ करेगी कि वह मंत्री महोदय से क्यों मिले थे? या यह पता लगने के बाद कि सेठी बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं, इस कारण दुबारा उन्हें छूने से भी वह घबराएगी? क्या एसीबी में इतनी हिम्मत है कि वह अपने ही विभाग के मंत्री महोदय से पूछे कि आपने ऐसे संदिग्ध व्यक्ति को अपने इतने करीब कैसे रख रखा है? सवाल ये भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या सेठी ने फरार सोनवाल को बचाने के सिलसिले में कोई बात की है?
ज्ञातव्य है कि यह चर्चा आम सी हो गई है कि सोनवाल को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, वरना क्या मजाल कि उन्हें पुलिस नहीं तलाश पाए। वैसे भी यह खबर सार्वजनिक होने के बाद बेनीवाल का खुद का यह दायित्व बन गया है कि वे इस बात का जवाब दें कि एसीबी की नजर में संदिग्ध व्यवसायी से उनके क्या संबंध हैं? क्या उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि पुलिस महकमे का मुंह काला करने वाले कांड से कहीं न कहीं जुड़े व्यवसायी से वे इस प्रकार सार्वजनिक रूप से संबंध रखेंगे तो लोग तो सवाल उठाएंगे ही?
-तेजवानी गिरधर