मंगलवार, 7 मई 2013

चंद खादिमों के बयान को बना दिया पूरी जमात का फैसला


पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की हत्या के बाद देश में व्याप्त गुस्से को मुखर करते हुए जहां संघ सहित अन्य संगठन पाकिस्तान से ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन जत्थे को अनुमति न देने का दबाव बना रहे हैं, वहीं दरगाह शरीफ से जुड़े चंद खादिमों की ओर से पाक जायरीन को जियारत न करवाने का बयान आने के बाद खादिमों की रजिस्टर्ड संस्थाएं अंजुमन सैयद जादगान व अंजुमन शेख जादगान अचंभित हैं। हालांकि उनका अब भी यही कहना है कि उन्होंने पाक जायरीन को जियारत न करवाने का फैसला नहीं किया है, मगर अनेक अखबारों में सुर्खियां यही हैं कि खादिम जियारत नहीं करवाएंगे, भले ही उनकी खबरों में इक्का-दुक्का खादिमों के नाम हैं। इसी प्रकार कुछ अखबारों ने दरगाह दीवान का हवाला दे कर भी कह दिया कि उन्होंने पाक जायरीन को अनुमति न देने की मांग की है, जबकि हकीकत ये है कि उन्होंने इस आशय का कोई बयान ही जारी नहीं किया है।
असल में हुआ यूं कि पाक जायरीन के खिलाफ कुछ संगठनों की ओर से बनाए गए माहौल से प्रभावित हो कर अथवा चर्चित होने अथवा अपनी देशभक्ति जताने के लिए कुछ खादिमों ने भी कुछ पत्रकारों को यह बयान दे दिया कि वे पाक जायरीन को जियारत नहीं करवाएंगे। हालांकि यह बयान तकरीबन दो हजार खादिमों में से तीन-चार खादिमों का ही है, और वह भी किन्हीं प्रमुख खादिमों का नहीं, मगर चूंकि खबर चौंकाने वाली थी, इस कारण अखबारों ने बड़ी हैडिंग में यह छाप दिया कि अजमेर के खादिम जियारत नहीं करवाएंगे। इसका संदेश यह गया कि खादिमों की पूरी जमात ही पाक जायरीन का विरोध कर रही है, जबकि खादिमों की दोनों अंजुमनें इस मामले में चुप हैं। जागरण ई-पेपर में यह तक लिखा है कि यह निर्णय खादिमों की एक बैठक में लिया गया, जबकि इस प्रकार की कोई बैठक हुई ही नहीं। इस बारे में अधिसंख्य खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद वाहिद अंगारा शाह ने पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने इस प्रकार का कोई निर्णय नहीं किया है। उनका कहना है अगर सरकार पाक जायरीन को अजमेर शरीफ का वीजा देती है तो वे परंपरागत रूप से पाक जायरीन का इस्तकबाल करेंगे।
उधर दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान के हवाले से छपा है कि वे पहले ही पाकिस्तानी जायरीनों को भारत में प्रवेश नहीं देने की बात कह चुके हैं, जबकि उन्होंने इस आशय की कोई बात कही ही नहीं। लीजिए गत 2 मई को उनकी ओर से अधिकृत रूप से जारी बयान को देख लीजिए, जिसमें कहीं यह नहीं कहा गया है कि वे पाक जायरीन के आने का विरोध कर रहे हैं।

OFFICE OF THE
SPIRITUAL HEAD OF THE SHRINE,
SUCCESSOR GREAT GRANDSON AND HEREDITARY SAJJADANASHIN
(GADDINASHIN ) OF HAZRAT KHWAJA  MOINUDDIN HASAN CHISHTY (R.A.) AJMER
Resi:- Qadeem Haweli Dewan Sahib Dargah Shareef Ajmer
Phone : 0145-2626741, Cell: 09829119171
e-mail  sajjadanashinajmer@gmail .com, dargahdiwanajmer@gmail.com
अजमेर । पाकिस्तान की जेल में नाजायज रूप से कत्ल किये गऐ भारतीय नागरीक सरबजीत सिंह की मौत पर गहरा दुख एवं शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुऐ सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज ओर दरगाह के सज्जादनशीन एवं मुस्लिम धर्म प्रमुख दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि सरबजीत की मौत के बाद पाक खुफिया ऐजेंसी आई.एस.आई. द्वारा देश में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की शाजिश बेनकाब हो गई है इसलिऐ इस नाजुक समय में देश को एकता और सदभावना का परिचय देकर पाक की इस साजिश को विफल करना चाहिये।
दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने एक ब्यान जारी कर कहा कि सरबजीत की मौत एक दुखद घटना है मगर इसका दुसरा पहलू यह है कि पाकिस्तान की खुफिया ऐजेंसी आई.एस.आई. का मंसूबा उसकी हत्या करवाकर भारत में सांप्रदायिक माहौल खराब करके अस्थिरता पैदा करने का था इस लिये पाक के इस नापाक उद्देश्य को भारत के नागरीकों को समझकर ऐसी परिस्थिती के समय सांप्रदायिक सोहार्द का परिचय देकर पाक को मुंह तोड़ जवाब देना चाहिये। जिससे मुल्क में अमन शान्ति फिजा बरकरार रहे।
उन्होने कहा कि भारत सरकार को चाहिये की पाकिस्तान सरकार और आई.एस.आई. के इस अमानविय करतूत को अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के समक्ष उठा कर जो लोग इस घिनौने कारनामें के लिये जिम्मेदार हें उनके खिलाफ के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग रखें। उन्होने मुस्लिम धर्म गुरू की हैसियत से तमाम दुनिया के इस्लामिक देशों से इस मसले पर पाक की निन्दा करने की अपील करते हुऐ कहा कि पाक की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत से दुनियां भर के मुसलमानों को शमिन्दगी महसूस हुई है। इस्लाम अमन पसंद मजहब है ओर वह इस किस्म की कार्यवाही की इजाजत नहीं देता। दुनियाऐ इन्सानियत के सामने पाक इस्लाम की कैसी तस्वीर पेश करना चाहता है।
दरगाह दीवान ने कहा कि अगर देश के पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ओर राजीव गांधी जैसे नेता होते तो यह परिस्थिती नहीं पैदा नहीं होती क्योंकि उनमें कड़े राजनीतिक कदम उठाने की ताकत थी जिसकी वजह से वह पाकिस्तान को इस बात के लिये मजबूर कर देते कि उसे सरबजीत को किसी कीमत पर भारत भेजना पड़ता। क्योंकि राजीव गांधी अपने राजनीतिक कोशल के बल पर सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान के भतीजे युनूस खान के पुत्र शहरयार खान को अमरीका से छुड़ा  कर भारत लेकर आऐ थे। उन्होने मुल्क के तमाम उलेमाओं से इस दर्दनाक एवं दुर्भाग्यपूर्ण घटना की निन्दा करने की अपील की है।
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान
वंशज एवं सज्जादानशीन (दरगाह दीवान)
ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर शरीफ
बहरहाल, फिलहाल चंद खादिमों के बयानों को पूरी जमात का रुख बताए जाने से अंजुमन अचंभित है, मगर वह कुछ खादिमों के निजी विचार को रोक भी नहीं सकती।
पाकिस्तान तो कर रहा है जायरीन भेजने की तैयारी
जहां तक इस मसले पर पाकिस्तान के रुख का सवाल है, जानकारी है कि वहां तकरीबन छह सौ जायरीन को भारत भेजे जाने की प्रक्रिया चल रही है, जिन समेत अन्य सभी पाकिस्तानी पर्यटकों से भारत में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। संभव है पाक जायरीन का आने का कार्यक्रम 12 मई का बने। रहा सवाल भारत सरकार के रुख तो वह पहले पूरी स्थिति का आकलन करेगी और उसी के अनुरूप पाकिस्तान को संदेश भेजेगी। कयास ये लगाए जा रहे हैं कि जायरीन को आने तो दिया जाएगा, मगर उन्हें यहां मात्र एक दिन ही ठहरने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें उन्हें कड़ी सुरक्षा में केवल जियारत का अनुमति होगी। खैर, देखते हैं क्या होता है, फिलहाल तो पाक जायरीन को लेकर माहौल गरमाया हुआ है।
-तेजवानी गिरधर