शनिवार, 14 जुलाई 2012

यानि कि संघ साथ है अन्ना आंदोलन के


सुनील दत्त 

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह जब आरोप लगाते हैं कि अन्ना आंदोलन के पीछे संघ और भाजपा का हाथ है तो टीम अन्ना तो असहज हो उठती ही है और संघ व भाजपा को भी बुरा लगता है। इसकी वजह ये है कि भाजपा व संघ का इस मामले में कभी क्लीयर स्टैंड नहीं रहा। कभी कहते हैं कि हमारा कोई लेना देना नहीं है तो कभी कहते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के तो साथ हैं ही। इस अस्पष्ट भूमिका की वजह ये ही है कि टीम अन्ना अपने आंदोलन को गैर राजनीतिक बताने के लिए कभी-कभी भाजपा पर भी दिखाने को वार करती है। वैसे धरातल सच यही है कि भले ही टीम अन्ना संघ और भाजपा का मुखौटा न हो, मगर उसे सींचने की तो पूरी भूमिका अदा करते हैं, क्योंकि आंदोलन को गैर राजनीतिक बताने के बावजूद वह कभी घोषित तो कभी अघोषित रूप से कांग्रेस को उखाड़ फैंकने के लिए सतत प्रयासरत है। यानि कि संघ और भाजपा को टीम अन्ना से भले ही कोई सीधा वास्ता न हो, मगर दुश्मन का दुश्मन दोस्त तो है ही। इसकी झलक हाल ही अजमेर में भी नजर आई।
इंडिया अगेंस्ट करप्शन की ओर से अन्ना संदेश यात्रा के तहत जवाहर रंगमंच पर आयोजित कुमार विश्वास की सभा में प्रमुख श्रोताओं के रूप में  विधायक वासुदेव देवनानी व आरएसएस अजमेर महानगर संघ चालक सुनील दत्त भी मौजूद थे। भाजपा पार्षद खेमचंद नारवानी सहित कुछ अपरिचित भाजपाई चेहरे भी उपस्थित थे। ये सभी संघ पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। हो सकता है कि इनके पास जवाब हो कि वे तो भ्रष्टाचार के खिलाफ कुमार विश्वास का भाषण सुनने मात्र गए थे, मगर चूंकि जैन व देवनानी अजमेर में संघ व भाजपा के अग्रणी चेहरे हैं, इस कारण यही माना जाएगा कि अन्ना के आंदोलन को अघोषित रूप से प्राण वायु वे ही दे रहे हैं। महानगर संघ चालक का पद कोई छोटा-मोटा नहीं होता। उस पर बैठे व्यक्ति के लिए संघ और भाजपा की गतिविधियों की गहरी नजर और पकड़ होती है। इस कारण जैन की मौजूदगी को यूं ही नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार देवनानी मौजूदा भाजपा विधायक व पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री हैं। वे अजमेर भाजपा के चुनिंदा अग्रणी भाजपा नेताआं में शुमार हैं। हालांकि भाजपा के शहर अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत सहित अन्य पदाधिकारी सभा में नजर नहीं आए, इससे यह संदेश गया कि भाजपा ने इस सभा से परहेज ही रखा, मगर दूसरी ओर जैन व देवनानी की पहली पंक्ति में मौजूदगी यह सवाल छोड़ गई है कि आखिर वे किस रणनीति के तहत वहां गए। जाहिर तौर पर इससे आम भाजपा कार्यकर्ता तो असमंजस में पड़ा ही होगा।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

क्या देवनानी कुमार विश्वास पर पलटवार करेंगे?


प्रो. वासुदेव देवनानी

टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य कुमार विश्वास ने अजमेर प्रवास के दौरान सभा व प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने सुपरिचित ढंग से सरकार पर तो हमले किए ही, भाजपा को भी नहीं छोड़ा।
जवाहर रंगमंच पर आयोजित सभा में वे बोले कि देश में शासन करते हुए अंग्रेज हमारे देश से नौ सौ करोड़ रुपए लूट कर ले गए थे, लेकिन इनके चले जाने के बाद नेता आए, नेता हर दिन करोड़ों रुपए लूट रहे हैं। उन्होंने ये तो नहीं कहा कि कांग्रेसी नेता लूट रहे हैं, वे सभी को शामिल हुए कह रहे हैं और इसका मतलब ये होता है कि भाजपा सहित अन्य सभी दलों के नेता भी इसमें शामिल हैं। अगर ये इंटरपिटेशन हजम नहीं हो रहा हो तो लीजिए अगले बयान में सभी दलों पर चुटकी लेते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक दल यह नहीं चाहता कि जन लोकपाल बिल पास हो।
सभा से पहले प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए विश्वास ने प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने प्रतिपक्ष के रूप में कमजोर भूमिका निभाई है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा नेता एक राय नहीं हैं। संसद के बाहर भाजपा नेता सीबीआई को जन लोकपाल के दायरे में लाने की बात करते हैं तो सदन में इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेते हैं।
अब बात करते हैं पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी की। अमूमन वे बयान जारी करने का कोई भी मौका नहीं चूकते। शहर का मुद्दा हो, अथवा राज्य व देश स्तर का, वे अपनी राय जरूर उजागर करते हैं। जिस कुमार विश्वास को सुनने वे बड़े शौक से गए, उन्हीं ने अजमेर शहर में भाजपा के खिलाफ भी बयान दे दिया, जो कि अखबारों में छपा भी है। अब देखते हैं इसका जवाब देने से देवनानी कतराते हैं क्योंकि वे कुमार विश्वास के श्रोता थे, या फिर अपनी आदत के मुताबिक पार्टी का पक्ष रखते हुए खुल कर बोलते हैं।
-तेजवानी गिरधर
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 हरि शंकर गोयल

पूरे शहर के नागरिकों के राशन कार्ड नए सिरे से बनाने की महती योजना पर बिना तालमेल के काम करने का परिणाम ये निकला कि मात्र दो हफ्ते में ही प्रशासन हांफ गया और पूरी व्यवस्था बेकाबू हो गई। नतीजतन अब निर्धारित फार्म जमा करवाने की तारीख 31 जुलाई कर दी गई है। इसके बाद भी यह बहुत बड़ा काम अधूरा ही रह जाने की आशंका है।
हालांकि इस कार्य को शुरू करने के साथ ही जिला रसद अधिकरी हरि शंकर गोयल की नगर निगम प्रशासन व पार्षदों के साथ बैठक करवाई गई, मगर वहां कैसा तालमेल हुआ, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बैठक में पार्षदों ने गोयल को खुले आम भ्रष्ट कहा और राशन वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार सहित कई अहम मुद्दों पर गोयल को आड़े हाथों ले लिया। एक पार्षद ने कहा कि विभाग द्वारा प्रत्येक राशन की दुकान से चार सौ रुपए प्रति माह की रिश्वत ली जाती है। पार्षद मोहनलाल शर्मा ने यह कहते हुए सनसनी फैला दी कि गोयल तो खुद भ्रष्ट हैं, यह राशि इनके पास भी तो जाती है। इस पर गोयल महज इतना कह पाए कि यह आरोप झूठा है। किसी की सोच पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। स्पष्ट है कि यह बैठक महज औपचारिक ही रही और उसका नतीजा सामने है ही।
हालत ये है कि कई वार्डों में अभी तक तो आवेदन पत्रों का वितरण ही शुरू नहीं हुआ है। जिन में वितरण हुआ है, वहां कुछ ही घरों में आवेदन पत्र ही पहुंचे हैं। रसद विभाग ने आवेदन पत्र बांटने के लिए जो प्रगणक लगाए थे, उसमें कई ने ड्यूटी निरस्त करवा ली। अधिकांश प्रगणक काम पर ही नहीं लौटे तो कई विभागों ने अपने कर्मचारियों को ही रिलीव नहीं किया। कई प्रगणकों ने किसी दुकान पर बैठ कर आवेदन पत्र बांटे। लोगों को जब फार्म नहीं मिले तो उन्होंने पार्षदों को तंग करना शुरू कर दिया। इस पर पार्षदों में नाराजगी होना स्वाभाविक है। उन्होंने अपना गुस्सा गोयल पर निकालना शुरू कर दिया है। वार्ड 42 के पार्षद दिनेश चौहान ने कहा कि कई वार्डों में फार्म की फोटोकापी करने की शिकायत गोयल से की तो वे झल्ला कर बोले कि जहां फार्म की फोटोकापी की जा रही है, उसकी फोटो खींच कर ले आएं।
बहरहाल, जब हालात बेकाबू हो गए तो रसद विभाग हाथ खड़े करने की स्थिति में आ गया और पार्षदों को अपने स्तर पर आवेदन पत्र और राशन कार्ड के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लगाने की सलाह दे रहा है। इस पर गुस्साए पार्षदों ने नगर निगम में बैठक कर गोयल की कार्यशैली पर रोष जाहिर किया। पार्षदों ने अपनी शिकायत निगम के सीईओ सी आर मीणा के समक्ष दर्ज करवाई है। पार्षदों ने बताया कि गोयल ने निगम में पार्षदों की बैठक के दौरान बड़े-बड़े दावे किए, मगर हालत ये है कि पार्षदों को उनके वार्ड में लगाए प्रगणकों के बारे में जानकारी ही नहीं है। पार्षदों ने आंदोलन तक की चेतावनी दे दी है। अब पार्षद मामले की शिकायत जिला कलेक्टर वैभव गालरिया से करेंगे। देखते हैं, जिला कलेक्टर क्या समाधान निकालते हैं। वैसे यदि जिला प्रशासन समय रहते जिला रसद अधिकारी गोयल व पार्षदा के बीच हुई खींचतान को देखते हुए ठीक से तालमेल बैठा लेता ताके कदाचित ये नौबत नहीं आती।
-तेजवानी गिरधर
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tejwanig@gmail.com