गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

कृषि उपज मंडी में हारी हुई बाजी क्यों खेली भाजपा?

0732_3कृषि उपज मंडी-अनाज के अध्यक्ष पद के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी था और इसी कारण इसमें कांग्रेस की हगामी देवी ने भाजपा के प्रकाश मीणा को 2 के मुकाबले 9 मतों से हरा दिया। मजे की बात है कि अपनी कमजोर स्थिति के बाद भी भाजपा ने हारी हुई बाजी खेली। उससे भी दिलचस्प बात ये है कि भाजपा के पास साफ तौर पर तीन वोट थे, मगर उनमें से भी एक वोट उड़ कर हगामी की झोली में चला गया, जबकि भाजपा के दिग्गज नेता शहर जिला अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत, विधायक वासुदेव देवनानी, पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, सोमरत्न आर्य सरीखे नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी, हालांकि वे खुल कर सामने नहीं आए। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि भाजपा ने आखिर हारी हुई बाजी खेली ही क्यों?
बताया जाता है कि स्थानीय भाजपा नेताओं की रुचि इस उपचुनाव में थी या नहीं, मगर भाजपा मानसिकता के प्रकाश मीणा ने जरूर अति उत्साह दिखाया, ऐसे में भाजपा नेताओं को उनका साथ देना पड़ा। चर्चा है कि मीणा के पास एक खुद का व दो बलराम हरलानी व दिनेश चौहान के वोट थे और उन्होंने तीन और वोट जुटा लिए थे। अर्थात अगर उनका गणित काम कर जाता तो वे 5 के मुकाबले 6 मतों से जीत जाते। उधर इस बात की भनक कांग्रेसी खेमे को लग गई और इसकी सूचना अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट को दी गई। वहां से इशारा हुआ कि जीती हुई बाजी किसी भी सूरत में हारनी नहीं है।
कांग्रेस के पास मनोनीत सदस्य शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, कैलाश तेला, सत्यनारायण गुर्जर, किसान वर्ग से निर्वाचित प्रतिनिधि वार्ड 1 से कंचन देवी, वार्ड 3 हाजी रुस्तम चीता, वार्ड 4 से हगामी देवी, वार्ड 5 से इंदिरा देवी व वार्ड 6 से शहनाज बानो के वोट थे। भाजपा के पास वार्ड 2 से निर्वाचित सदस्य प्रकाश मीणा, मनोनीत पार्षद दिनेश चौहान व व्यापारी प्रतिनिधि सदस्य बलराम हरलानी के वोट थे। अर्थात कांग्रेस के पास कुल आठ वोट थे, इस कारण हगामी देवी की जीत में कोई संशय नहीं था, मगर भितरघात की आशंका को देखते हुए शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, श्रीनगर प्रधान रामनारायण गुर्जर, कांग्रेस देहात अध्यक्ष हाजी इंसाफ अली, कांग्रेस नेता हाजी रुस्तम आदि ने मोर्चा संभाल लिया। उनकी सफलता इसलिए भी रेखांकित करने योग्य है क्योंकि उन्होंने न केवल भीतरघात को पूरी तरह रोका, अपितु जरूरत न होने पर भी भाजपा खेमे का एक वोट हासिल कर लिया। अब सवाल ये उठ रहा है कि वह वोट किसका था? जाहिर सी बात है कि मीणा ने तो खुद को वोट दिया ही है, यानि टूटने वाला या तो दिनेश चौहान था या फिर बलराम हरलानी का। अब भाजपा के नेता माथापच्ची इस पर कर रहे हैं। वैसे एक बात की चर्चा जरूर है कि अगर मीणा अपनी गणित को लीक नहीं होने देते तो वे जीत भी सकते थे।
ज्ञातव्य है कि उपज मंडी के निर्वाचित अध्यक्ष श्योराम मीणा का निधन सितंबर 2011 में हो गया था। इसके बाद से ही उपाध्यक्ष शहनाज बानो अध्यक्ष पद का अतिरिक्त कार्य भी देख रही थीं।
-तेजवानी गिरधर