शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

गांधीजी का नाम हटाने का प्रस्ताव रखा ही कैसे?


पार्षद सैयद गुलाम मुस्तफा चिश्ती
अजमेर नगर निगम की साधारण सभा के एजेंडे में कचहरी रोड के नाम को बदल कर मुकुट बिहारी लाल भार्गव मार्ग किए जाने के प्रस्ताव का विरोध होना ही था। अव्वल तो उसका नाम पहले से ही रखा हुआ है, भले ही उसका उपयोग नहीं किया जा रहा हो, साथ ही एक ऐसे शख्सियत का नाम इस मार्ग से जुड़ा हुआ है, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस प्रकार का प्रस्ताव एजेंडे में शामिल ही कैसे कर दिया गया?
जानकारी ये है कि जस्टिस एस एन भार्गव ने उप निदेशक स्थानीय निकाय विभाग को मार्ग का नाम मुकुट बिहारी लाल भार्गव के नाम से रखने का प्रस्ताव दिया था। गंभीर लापरवाही ये हुई कि इसके औचित्य की जांच किए बिना ही आंख मीच कर प्रस्ताव जस का तस एजेंडे में शामिल कर दिया गया। न अधिकारियों ने इस पर गौर किया और न ही मेयर कमल बाकोलिया ने ध्यान दिया। नतीजतन बाकोलिया की छीछालेदर हो रही है। यह लालफीताशाही का ज्वलंत नमूना है। सवाल ये है कि क्या इस प्रकार निगम से बाहर के किसी व्यक्ति के प्रस्ताव को इस प्रकार एजेंडे में रखा जाना कानूनन व नैतिक रूप से उचित है? क्या यह एक गलत परंपरा को तो जन्म नहीं देगा? अब निगम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनिता श्रीवास्तव यह कह कर अपने आपको विवाद से दूर करने की कोशिश कर रही हैं कि नाम परिवर्तन करना है या नहीं, ये तो पार्षद तय करेंगे।
कचहरी रोड व्यापारिक एसोसिएशन के महासचिव नरेन्द्र सिंह छाबड़ा व सचिव किशोर टेकवानी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी मार्ग का नाम मुकुट बिहारी लाल भार्गव मार्ग किए जाने पर सबसे पहले एक जागरूक नागरिक ऐतेजाद अहमद ने फेसबुक पर किया। इसके बाद कांग्रेस के मनोनीति पार्षद सैयद गुलाम मुस्तफा चिश्ती ने बाकायदा प्रेस कॉॅन्फे्रंस में इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस देश में महात्मा गांधी से कोई और बड़ा नहीं हो सकता। बाद में कचहरी रोड व्यापारिक एसोसिएशन के महासचिव नरेन्द्र सिंह छाबड़ा व सचिव किशोर टेकवानी के नेतृत्व में वहां के व्यापारियों ने भी घोर निन्दा करते हुए महात्मा गांधी मार्ग के नाम से कोई छेड़छाड़ ने करने की चेतावनी दी। उन्होंने गांधीजी के नाम को भुनाने वाली पार्टी कांग्रेस के मेयर कमल बाकोलिया की सरपरस्ती में ही इस प्रकार का प्रस्ताव लाए जाने पर आश्चर्य जताया और उनके कांग्रेसी होने पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया।
यह ठीक है कि मुकुट बिहारी लाल भार्गव भी अजमेर की बड़ी हस्ती रहे। वे अजमेर के तीन बार सांसद रहे। वे एक बार अजमेर मेरवाड़ा स्टेट के दौरान 1952 में अजमेर दक्षिण संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। दूसरी बार अजमेर का राजस्थान में विलय होने के बाद 1957 में और तीसरी बार 1962 में भी कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता। उनके नाम पर मार्ग का नामकरण करने का प्रस्ताव रखने वाले जस्टिस एस एन भार्गव उनके पुत्र हैं। उनके नाम पर किसी मार्ग का नाम होना ही चाहिए, मगर पहले से जिस मार्ग का नाम महात्मा गांधी के नाम से हो, उसे हटा कर स्वर्गीय भार्गव के नाम से किए जाने की बात पूरी तरह से बेमानी है। संभव है जस्टिस भार्गव को जानकारी न हो कि कचहरी रोड का नाम महात्मा गांधी के नाम पर है या नहीं, मगर प्रस्ताव को आगे मूव कर एजेंडे में शामिल करने वाले अधिकारियों ने जरा भी ख्याल नहीं किया कि वे विवादास्पद प्रस्ताव रखने जा रहे हैं, जो वाकई अफसोसनाक है।
-तेजवानी गिरधर