सोमवार, 20 मई 2013

क्या हैं न्यास के कार्यक्रम में जयपाल की मौजूदगी के मायने?


भले ही मीडिया में यह आम धारणा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में निकाली जा रही कांग्रेस संदेश यात्रा के तहत अजमेर में आयोजित सभा के दौरान कांग्रेस के सभी गुटों की मौजूदगी से नजर आई एकजुटता छद्म है और बाद में खाइयां पूर्ववत जारी रहेंगी, मगर हाल ही ताजा घटना यह साबित करती है कि गहलोत की यात्रा का कुछ तो असर पड़ा ही है। जो पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल नगर कांग्रेस कमेटी पर महेन्द्र सिंह रलावता के काबिज होने के बाद केन्द्रीय कंपनी मामलात मंत्री सचिन पायलट लॉबी के न्यास सदर नरेन शहाणी, निगम मेयर कमल बाकोलिया और शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रमों से अपने आप को दूर ही रखा करते थे, वे पहली बार न्यास की दीनदयाल पुरम आवासीय योजना की लॉटरी निकाले जाने के दौरान मौजूद नजर आए। स्वाभाविक रूप से यह सबको चौंकाने वाला रहा, मगर जानकार समझते हैं कि गहलोत की यात्रा के दौरान पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष जसराज जयपाल व डॉ. राजकुमार जयपाल को मिली तवज्जो का संदेश यह गया है कि उनको नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। संभव है पिता-पुत्र को भी यह कहा गया हो कि उनके सम्मान में कोई कमी नहीं रखी जाएगी और अब वे मुख्य धारा में शामिल हो जाएं। यहां कहने की जरूरत नहीं है कि आज जो कांग्रेस की हालत है, उसमें डॉ. जयपाल व डॉ. बाहेती को भी साथ लिए बिना चुनाव में पार लगने वाली नहीं है।
ज्ञातव्य है कि निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, और भगत, रलावता व बाकोलिया टिकट के दावेदार हैं। तीनों समझते हैं कि अकेले सचिन पायलट की चापलूसी से टिकट नहीं मिलेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रजामंदी भी जरूरी है। और यह तभी संभव है, जबकि डॉ. जयपाल को भी कांग्रेस या सरकारी कार्यक्रमों में पूरा सम्मान दिया जाए। बताया तो ये भी जाता है कि गहलोत ने अजमेर दौरे के दौरान तीनों को इशारा कर दिया था कि वे आइसोलेटेड न रहें, इससे कांग्रेस को नुकसान होगा, अत: सभी गुटों को पूरी तवज्जो दें। संभवत: उनकी सीख का असर रहा कि न्यास अध्यक्ष भगत ने महत्वाकांक्षी दीनदयाल उपाध्याय योजना की लॉटरी का कार्यक्रम आयोजित किया तो उसमें डॉ. जयपाल को विशेष रूप से बुलाया। कार्यक्रम के विज्ञापनों में भी उनके नाम का उल्लेख था। बताया जाता है कि इससे पहले भी जयपाल को कार्यक्रमों का न्यौता तो दिया जाता था, मगर वह औपचारिक ही होता था और इसी कारण वे उसमें शामिल नहीं होते थे। यहां तक कि सचिन पायलट के कार्यक्रमों तक से दूरी बना कर रखते थे। अब जब कि उनको विशेष सम्मान दिया गया तो वे सहर्ष इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में तनिक आशाजनक माहौल बना है और संभव है आने वाले दिनों में विभिन्न गुटों के बीच अब तक कायम दूरियां कुछ कम होने लगें।
-तेजवानी गिरधर