शनिवार, 19 दिसंबर 2015

भाजपाइयों की सिर्फ पिदाई, पिदाई, पिदाई...

मौजूदा भाजपा सरकार को दो साल पूरे हो गए, मगर औंकार सिंह लखावत को छोड़ कर अजमेर के किसी भी भाजपा नेता को कोई इनाम नहीं मिल पाया है। कई बार अफवाह फैली कि इस बार राजनीतिक रेवडिय़ां बांटी जाएंगी, और इसी के साथ जयपुर की दौड़ें भी होती रहीं, मगर किसी को कुछ नहीं मिला। कभी बजट तो कभी विधानसभा उपचुनाव, कभी पंचायत चुनाव तो कभी स्थानीय निकाय के चुनाव। कोई न कोई बहाना। पिछली बार नियुक्तियां इस कारण रुकीं क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव थे। कयास ये था कि अगर वहां भाजपा जीती तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अधिक मजबूत होंगे और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर गाज गिरेगी। सब सांस थामे हुए थे। वसुुंधरा विरोधी उम्मीद पाले हुए थे, मगर हुआ उलटा। सो ये माना गया कि वसु मैडम को जीवनदान मिल गया है। इसी के साथ राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां होने के सुगबुगाहट शुरू हो गई।
हालांकि स्थानीय भाजपा नेता कई पदों के लिए मशक्कत कर रहे हैं, पर सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण दौड़ है अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद की। इसके लिए यूं तो मोटे तौर पर ये माना जा रहा है कि न तो कोई सिंधी बनेगा, क्योंकि यहां से विधायक प्रो वासुदेव देवनानी मंत्री हैं और न ही अनुसूचित जाति का कोई नेता, क्योंकि इस वर्ग से विधायक श्रीमती अनिता भदेल मंत्री हैं। इसी प्रकार अन्य पिछडा वर्ग के भी किसी नेता के अध्यक्ष बनने की संभावना समाप्त है, क्योंकि इस वर्ग के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत व डिप्टी मेयर संपत सांखला हैं। षहर भाजपा अध्यक्ष भी ओबीसी से हैं। ऐसे में ब्राह्मण या वणिक वर्ग से ही किसी के बनने की संभावना रहती हैं। फिलहाल नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेष जैन, षहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष षिवषंकर हेडा के साथ सुभाश काबरा का नाम भी जुड गया है। वे काफी गंभीर प्रयास कर रहे हैं। धन बल में भी कम नहीं पडेंगे। इसी प्रकार देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो बी पी सारस्वत भी गंभीर दावेदार हैं, मगर उनके दुबारा अध्यक्ष बनने के बाद संभावना कुछ कम हुई है। हालांकि राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता। इसी प्रकार पूर्व डिप्टी मेयर सोमरत्न आर्य भी कोषिष में जुटे हैं।
बहरहाल, स्थिति ये है कि कोई भी दावेदार ये कहने की स्थिति में नहीं है कि उसका नंबर आ जाएगा। हालांकि कहा ये जाता है कि सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित समारोह के बाद नियुक्ति हो सकती है, मगर अब तक तो ऐसा हुआ नहीं। केवल एडीए ही क्यों, किसी और स्थान पर भी राजनीतिक नियुक्ति को तरस रहे हैं भाजपा के नेता। यानि कि पिदाई, पिदाई और पिदाई। पिछले दिनों दो साल पूरे होने के उपलक्ष में जयपुर में आयोजित समारोह में भीड जुटाने की कवायद भी हो गई। जो दावेदार हैं, उन्होंने अपनी अपनी परफोरमेंस भी दे दी हे, मगर उसके अनुसार ईनाम कब मिलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।
-तेजवानी गिरधर
7742067000