
असल में अजमेर के नेताओं में राष्ट्रीय मसलों पर मीडिया में बयान जारी करने करने की होड़ है, बयानबाजी में एक-दूजे का विरोध करने में तो महारथ हासिल है, मगर किसी को चिंता नहीं है कि जिस शहर में उनका हार्ट धड़कता है, उसमें हार्ट सर्जन का पद खाली चला आ रहा है।
बात कांग्रेस की करें तो स्थानीय सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट इतनी ऊंचाई पर जा बैठे हैं कि उन्हें जेएलएन बहुत छोटा नजर आता है। वैसे भी उनका सीधा इससे कोई संबंध नहीं है। रहा सवाल मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा, संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत व शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ का तो वे सीधे राज्य सरकार में पहुंच रखते हैं, मगर इनकी पकड़ कितनी मजबूत है, यह तो हालात खुद बयां कर रहे हैं। शर्मा को अपने केकड़ी के विकास की चिंता है तो कुमावत सत्ता का सुख भोगने में व्यस्त। अजमेर शहर की दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा होने के कारण अजमेर मुख्यालय पर सर्वाधिक सक्रिय पुष्कर विधायक श्रीमती नसीम को समारोहों व कार्यक्रमों से ही फुर्सत नहीं है। और तो और मेयर कमल बाकोलिया, यूआईटी सदर नरेन शहानी भगत, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र सिंह रलावता, पूर्व विधायक ललित भाटी सरीखे प्रभावशाली नेताओं को भी चिंता नहीं है। या तो वे यह मांग सीएम अशोक गहलोत या केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट तक पहुंचा नहीं पा रहे या फिर उनकी सुनवाई होती ही नहीं। रहा सवाल जेएलएन को करीब से समझने वाले डॉ. राजकुमार जयपाल व डॉ. श्रीगोपाल बाहेती की तो, उनकी इन दिनों चल ही नहीं रही। ऐसे में जेएलएन अस्पताल की इस सबसे बड़ी जरूरत पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।
अब बात करते हैं भाजपा की। विपक्ष में रह कर जनता के हक और आवाज को बुलंद करना भाजपा के नेताओं की जिम्मेदारी बनती है। अजमेर में भाजपा राजनीति के कर्ताधर्ता कहे जाने वाले औंकार सिंह लखावत प्रदेश की राजनीति में इतने व्यस्त हो चुके हैं, अजमेर में यदा-कदा समारोहों आदि में ही नजर आते हैं। शिक्षा राज्यमंत्री रहे मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी, जो कि हर किसी मांग को उठाने एवं उसका श्रेय लेने में आगे रहते है, वे भी इस मामले में चूक गए लगते हैं। दूसरी बार विधायक चुनी गई श्रीमती अनिता भदेल का भी इस पर ध्यान नहीं है। शहर भाजपा अध्यक्ष रासासिंह रावत को संगठन के कामकाज से ही फुर्सत नहीं है। कैसी विडंबना है कि पूरे विपक्ष को न तो हार्ट सर्जन की कमी गुजरे आठ माह में दिखी ही नहीं, उसके लिए दबाव बनाना तो दूर की बात है।
कुल मिला कर शहर के कमजोर दिल वाले मरीजों का उपचार अजमेर नहीं तो कहीं न कहीं पर तो हो ही रहा है, मगर शहर के नेेताओं का दिल अपनी जनता के लिए कब मजबूत होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।
-तेजवानी गिरधर