शनिवार, 1 सितंबर 2012

क्यों नहीं गांठ रहे सलाहकार समिति को मनोज सेठ?

फाइल फोटो - रेलवे स्टेशन सलाहकार समिति की बैठक
अजमेर की रेलवे स्टेशन सलाहकार समिति के सदस्यों को पीड़ा है कि उन्होंने मंडल रेल प्रबंधक मनोज सेठ को जो सुझाव दिए थे, उन पर कोई अमल नहीं हो रहा। यानि सलाहकार समिति एक औपचारिकता भर है, जिसकी कोई अहमियत नहीं है। समिति सदस्यों की शिकायत बेशक वाजिब है, मगर सच्चाई यही है कि इस प्रकार की सलाहकार समितियां केवल दिखावे भर की होती हैं। अफसरशाही इतनी हावी है और उनके पास इतने तकनीकी बहाने हैं कि वे समिति सदस्यों की सलाह को यूं ही हवा में उड़ा देते हैं। सच तो ये है कि वे ऐसी समितियों को बेगार समझते हैं और इसी कारण न तो उन कोई खास गौर करते हैं और न ही समय पर उनकी बैठकें आयोजित करते हैं। अगर ऊपर से डंडा पड़ता है तो बैठक बुलाने की औपचारिकता जरूर निभा देते हैं, मगर करते धरते कुछ नहीं। तथ्य ये भी है कि अमूमन ऐसी सलाहकार समितियों में ऐसे लोग सदस्य बनने में कामयाब होते हैं, जिनके राजनीतिक रसूखात होते हैं। नियुक्ति होती ही राजनीतिक आधार पर है। वे न तो संबंधित विभाग की तकनीकी जानकारी रखते हैं और न ही उसमें पडऩे की जरूरत समझते हैं। नियुक्ति सिर्फ इसलिए करवाते हैं, ताकि एक तो सदस्य के नाते जो फायदे मिलते हैं, उनका उपभोग कर सके और दूसरा सोसायटी में कॉलर ऊंची कर के चल सकें। यदाकदा अफसरों पर रुतबा गालिब कर कोई निजी काम भी करवा लेते हैं। ऐसा अमूमन कम ही होता है कि वे आम जन की समस्याओं पर गंभीरता से काम करते हों। यह ढर्रा वर्षों से चल रहा है। अफसर भी जानते हैं, इस कारण सदस्यों को कोई खास तवज्जो नहीं देते। ऐसी ही एक सरकारी समिति का मुझे अनुभव है। किसी शुभंचितक ने मेरा नाम समिति में डलवा दिया। मित्रों ने बहुत बधाइयां दीं। मगर ऐसी नियुक्ति के क्या मायने हैं, यह तब समझ में आया कि समिति के दो साल कार्यकाल में उसकी एक भी बैठक आयोजित नहीं हुई।
खैर, जहां तक अजमेर की रेलवे स्टेशन सलाहकार समिति का सवाल है, इसमें संयोग से कुछ सदस्य ऐसे हैं जो कि वाकई रुचि ले रहे हैं और जनहित में दी गई सलाह पर अमल के लिए प्रयासरत हैं। अब जब कि उनकी सलाह पर गौर नहीं किया जा रहा तो उन्हें पीड़ा हो रही है। समिति सदस्य एन. के. जैन सीए, प्रकाश जैन पाटनी, जगदीश बच्छानी, सैयद मंसूर अली, अंजू नायल, कमल गंगवाल आदि ने वाकई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, मगर डीआरएम मनोज सेठ ने यह कह कर टाल दिया कि पहले सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। सुविधाओं को दूसरे स्थान पर लिया जाएगा। यानि कि मीठी गोली दे दी है।
आइये, जरा देखते हंै कि समिति सदस्य एन. के. जैन सीए सहित अन्य सदस्यों ने किस प्रकार के सुझाव दिए थे, जो कि वे वाकई जनहित के माने जा सकते हैं:-
प्लेटफार्म नंबर एक पर बैठने हेतु पर्याप्त कुर्सियों की व्यवस्था, पाल बीचला की तरफ एक अतिरिक्त निकास द्वार , मल्टी स्टोरी पार्किंग
अजमेर स्टेशन पर भी सियालदाह रेलवे स्टेशन की तरह सेल्फ लगेज ट्राली व्यवस्था लागू की जाए
अजमेर स्टेशन को वल्र्ड क्लास स्टेशन बनाने की पृष्ठभूमि में यहां एसकेलेटर की व्यवस्था की जाए ताकि यात्रियों, विशेष रूप से वृद्धजन, महिलाओं व बच्चों को लाभ मिल सके।
अहमदाबाद-आगरा के बीच चलने बाली सुपर फास्ट ट्रेन को सप्ताह में तीन दिन के स्थान पर प्रतिदिन चलाया जाए। जयपुर-जबलपुर के बीच चलने वाली दयोदय एक्सप्रेस को अजमेर तक बढ़ाया जाए। अजमेर-सियालदाह के बीच चलने वाली ट्रेन का पारसनाथ (ईसुरी) स्टेशन पर ठहराव दिया जाए। उदयपुर-खजुराहो ट्रेन का ठहराव सोनागिरजी स्टेशन पर किया जाए
अजमेर-लखनऊ के मध्य चलने वाली सभी ट्रेनें दिल्ली होकर जाती हंै। यह रूट लंबा पड़ता है। इस रूट पर कम से कम एक ट्रेन आगरा के रास्ते चलाई जाए। अजमेर-सियालदाह ट्रेन (गाडी संख्या 12987-12988) का स्टॉपेज पारसनाथ स्टेशन पर किया जाए। अहमदाबाद-आगरा फोर्ट ट्रेन (गाडी संख्या 12547-12548) को सप्ताह में तीन दिन के स्थान पर सातों दिन चलाया जाए। दयोदय एक्सप्रेस (गाडी संख्या 12181-12182)जो वर्तमान में जयपुर से जबलपुर चलती है और ख्वाजा साहब के उर्स मेले पर प्रतिवर्ष अजमेर तक बढ़ा दी जाती है, उसे स्थायी रूप से अजमेर तक बढ़ाया जाए।
अजमेर-हैदराबाद ट्रेन (गाड़ी संख्या 12719-12720) वाया रतलाम-भोपाल, सप्ताह में दो दिन चलायी जाती है, उसे सप्ताह में कम से कम तीन दिन चलाया जाए।
अजमेर-कलकत्ता (गाडी संख्या 19605-19606) वाया रतलाम-भोपाल, सप्ताह में एक दिन चलायी जाती है, उसे सप्ताह में कम से कम तीन दिन चलाया जाए।
गरीब नवाज एक्सप्रेस (गाडी संख्या 18631-18632) जो अजमेर-रांची के बीच वाया सवाई माधोपुर चलती है, अनन्या एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 12315-12316) जो उदयपुर-सियालदाह के बीच वाया सवाई माधोपुर चलती है एवं जियारत एक्सप्रेस (गाडी संख्या 12395-12396) जो अजमेर-राजनगर (पटना) के बीच वाया सवाई माधोपुर चलती है, इन तीनों ट्रेनों का स्टॉपेज जैन समाज के महत्वपूर्ण तीर्थ श्री महावीरजी स्टेशन पर दिया जाए।
अजमेर-कोटा के बीच कोई सीधी ट्रेन चलाई जाए।
हैं न वाकई महत्वपूर्ण सुझाव, मगर उनका हश्र क्या हो रहा है, यह सब आपके सामने है। अब देखते हैं कि वे रेल मंत्रालय को शिकायत कर इनको पूरा करवाने में कितने कामयाब हो पाते हैं।
-तेजवानी गिरधर