भाजपा नेता सलावत खां की ओर से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने को जहां संघ की ओर से मुसलमानों को अपने साथ जोडऩे की कवायद माना जा रहा है, वहीं आयोजन के लिए पुष्कर का चयन करने को आयोजन संयोजक सलावत खान की पुष्कर विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
तीर्थराज पुष्कर के होटल न्यू पार्क में आयोजित शिविर की महत्ता इसी से जाहिर हो जाती है कि इसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघ चालक कु. सी. सुदर्शन व मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, वहीं देशभर से करीब डेढ़ सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इंद्रेश कुमार वे ही हैं, जो कि मुसलमानों को संघ के जोडऩे की कार्ययोजना के थिंक टैंक हैं और जिन पर दरगाह बम ब्लास्ट मामले में शामिल होने के आरोप लग चुके हैं। जाहिर सी बात है शिविर आयोजित करवाने में उनकी अहम भूमिका रही है और सुदर्शन को लाने का श्रेय भी उन्हीं के खाते में जाता है। शिविर के लिए पुष्कर का चयन उन्हीं की सोची समझी रणनीति नजर आती है। मगर चूंकि शिविर के संयोजक की भूमिका सलावत खान ने अदा की, इस कारण राजनीतिक हलकों में यही माना जा रहा है कि वे पुष्कर से चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं।
आइये, जरा ये समझ लें कि पुष्कर से चुनाव लडऩे की उनकी रणनीति का गणित क्या हो सकता है। उल्लेखनीय है कि सलावत की पुष्कर सीट पर नजर काफी समय से रही है। हिंदुओं के सर्वोच्च तीर्थस्थल को अपने आंचल में समेटे इस सीट से पूर्व में भी पूर्व मंत्री स्वर्गीय रमजान खान विधायक रह चुके हैं। पूर्व में भाजपा रमजान के पुष्कर से जीतने को इस रूप में भुना चुकी है कि मुसलमानों की भाजपा से दूरी की मान्यता गलतफहमी है। अकेले यही गिनाने के लिए कि भाजपा के पास भी अच्छे मुस्लिम नेता हैं, रमजान खां को मंत्री भी बनाया गया। रमजान खान यहां से 1985, 1990 व 1998 में चुनाव जीते थे। 1993 में उन्हें विष्णु मोदी ने और उसके बाद 2003 में डा. श्रीगोपाल बाहेती ने परास्त किया। मोदी से हारने की वजह ये रही कि उनका चुनाव मैनेजमेंट बहुत तगड़ा था। हार जीत का अंतर कुछ अधिक नहीं रहा। मोदी (34,747) ने रमजान खां (31,734) को मात्र 3 हजार 13 मतों से पराजित किया था।
डा. बाहेती से रमजान इस कारण हारे कि भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने निर्दलीय रूप से मैदान में रह कर तकरीबन तीस हजार वोटों की सेंध मार दी थी। बाहेती (40,833) ने रमजान खां (33,735) को 7 हजार 98 मतों से पराजित किया था, जबकि पलाड़ा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 29 हजार 630 वोट लिए थे। स्पष्ट है कि रमजान केवल पलाड़ा के मैदान में रहने के कारण हारे थे। यदि पलाड़ा नहीं होते तो रमजान को हराना कत्तई नामुमकिन था।
कुल मिला कर यह सीट भाजपा मुस्लिम प्रत्याशी के लिए काफी मुफीद रहती है। एक तो उसे मुस्लिमों के पूरे वोट मिलने की उम्मीद होती है, दूसरा भाजपा व हिंदू मानसिकता के वोट भी स्वाभाविक रूप से मिल जाते हैं। इसी गणित के तहत रमजान तीन बार विधायक रहे और दो बार निकटतम प्रतिद्वंद्वी। हालांकि एक फैक्टर ये भी है कि रमजान पुष्कर के लोकप्रिय नेता थे। गांव-गांव ढ़ाणी-ढ़ाणी उनकी जबदस्त पकड़ थी। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उसके मुस्लिम प्रत्याशी के लिए यह सीट उपयुक्त नहीं है, फिर भी पिछली बार श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ (42 हजार 881) ने भाजपा प्रत्याशी पलाड़ा (36 हजार 347) को 6 हजार 534 मतों से हरा दिया। वजह ये रही कि भाजपा के बागी श्रवणसिंह रावत 27 हजार 612 वोट खा गए।
बहरहाल समझा जाता है कि सलावत खान ने बहुत सोची समझी रणनीति के तहत ही मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवाया। अब उनके लिए भाजपा की टिकट की दावेदारी आसान हो जाएगी। हालांकि पलाड़ा की दावेदारी अब भी मजबूत है, मगर उनके पास केकड़ी व अजमेर का भी विकल्प है। इस विधानसभा क्षेत्र में रावतों की बहुलता के कारण शहर भाजपा अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत भी संभावित दावेदारों की गिनती में आते हैं। इसी प्रकार नगर निगम के उप महापौर सोमरत्न आर्य भी यहां अपनी जमीन तलाश रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
तीर्थराज पुष्कर के होटल न्यू पार्क में आयोजित शिविर की महत्ता इसी से जाहिर हो जाती है कि इसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघ चालक कु. सी. सुदर्शन व मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, वहीं देशभर से करीब डेढ़ सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इंद्रेश कुमार वे ही हैं, जो कि मुसलमानों को संघ के जोडऩे की कार्ययोजना के थिंक टैंक हैं और जिन पर दरगाह बम ब्लास्ट मामले में शामिल होने के आरोप लग चुके हैं। जाहिर सी बात है शिविर आयोजित करवाने में उनकी अहम भूमिका रही है और सुदर्शन को लाने का श्रेय भी उन्हीं के खाते में जाता है। शिविर के लिए पुष्कर का चयन उन्हीं की सोची समझी रणनीति नजर आती है। मगर चूंकि शिविर के संयोजक की भूमिका सलावत खान ने अदा की, इस कारण राजनीतिक हलकों में यही माना जा रहा है कि वे पुष्कर से चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं।
आइये, जरा ये समझ लें कि पुष्कर से चुनाव लडऩे की उनकी रणनीति का गणित क्या हो सकता है। उल्लेखनीय है कि सलावत की पुष्कर सीट पर नजर काफी समय से रही है। हिंदुओं के सर्वोच्च तीर्थस्थल को अपने आंचल में समेटे इस सीट से पूर्व में भी पूर्व मंत्री स्वर्गीय रमजान खान विधायक रह चुके हैं। पूर्व में भाजपा रमजान के पुष्कर से जीतने को इस रूप में भुना चुकी है कि मुसलमानों की भाजपा से दूरी की मान्यता गलतफहमी है। अकेले यही गिनाने के लिए कि भाजपा के पास भी अच्छे मुस्लिम नेता हैं, रमजान खां को मंत्री भी बनाया गया। रमजान खान यहां से 1985, 1990 व 1998 में चुनाव जीते थे। 1993 में उन्हें विष्णु मोदी ने और उसके बाद 2003 में डा. श्रीगोपाल बाहेती ने परास्त किया। मोदी से हारने की वजह ये रही कि उनका चुनाव मैनेजमेंट बहुत तगड़ा था। हार जीत का अंतर कुछ अधिक नहीं रहा। मोदी (34,747) ने रमजान खां (31,734) को मात्र 3 हजार 13 मतों से पराजित किया था।
डा. बाहेती से रमजान इस कारण हारे कि भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने निर्दलीय रूप से मैदान में रह कर तकरीबन तीस हजार वोटों की सेंध मार दी थी। बाहेती (40,833) ने रमजान खां (33,735) को 7 हजार 98 मतों से पराजित किया था, जबकि पलाड़ा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 29 हजार 630 वोट लिए थे। स्पष्ट है कि रमजान केवल पलाड़ा के मैदान में रहने के कारण हारे थे। यदि पलाड़ा नहीं होते तो रमजान को हराना कत्तई नामुमकिन था।
कुल मिला कर यह सीट भाजपा मुस्लिम प्रत्याशी के लिए काफी मुफीद रहती है। एक तो उसे मुस्लिमों के पूरे वोट मिलने की उम्मीद होती है, दूसरा भाजपा व हिंदू मानसिकता के वोट भी स्वाभाविक रूप से मिल जाते हैं। इसी गणित के तहत रमजान तीन बार विधायक रहे और दो बार निकटतम प्रतिद्वंद्वी। हालांकि एक फैक्टर ये भी है कि रमजान पुष्कर के लोकप्रिय नेता थे। गांव-गांव ढ़ाणी-ढ़ाणी उनकी जबदस्त पकड़ थी। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उसके मुस्लिम प्रत्याशी के लिए यह सीट उपयुक्त नहीं है, फिर भी पिछली बार श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ (42 हजार 881) ने भाजपा प्रत्याशी पलाड़ा (36 हजार 347) को 6 हजार 534 मतों से हरा दिया। वजह ये रही कि भाजपा के बागी श्रवणसिंह रावत 27 हजार 612 वोट खा गए।
बहरहाल समझा जाता है कि सलावत खान ने बहुत सोची समझी रणनीति के तहत ही मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवाया। अब उनके लिए भाजपा की टिकट की दावेदारी आसान हो जाएगी। हालांकि पलाड़ा की दावेदारी अब भी मजबूत है, मगर उनके पास केकड़ी व अजमेर का भी विकल्प है। इस विधानसभा क्षेत्र में रावतों की बहुलता के कारण शहर भाजपा अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत भी संभावित दावेदारों की गिनती में आते हैं। इसी प्रकार नगर निगम के उप महापौर सोमरत्न आर्य भी यहां अपनी जमीन तलाश रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com