मंगलवार, 15 मई 2012

भ्रूण मौजूद है दरगाह विकास योजना का तो खाद-पानी दीजिए

आठ सौवें उर्स की तैयारियों की समीक्षा करते मैथ्यू
आखिर राज्य के मुख्य सचिव सी के मैथ्यू ने खुलासा कर ही दिया कि दरगाह विकास योजना पर काम चल रहा है और आने वाले समय में इसे पूरा किया जाएगा। अलबत्ता समय जरूर लगेगा। अजमेर वासियों के लिए यह एक सुखद खबर है।
असल में पिछले दिनों अजमेर फोरम की बैठक में जब सरकारी मुख्य सचेतक डा. रघु शर्मा ने यह कह कर कि इस प्रकार की कोई योजना है नहीं, अजमेर के हितचिंतकों को चिंता में डाल दिया था। हुआ भी कुछ ऐसा ही। केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच पत्रावलियों में झूलती योजना के तकरीबन तीन सौ करोड़ रुपए के मद में से एक भी रुपया नहीं मिला तो यह अंदेशा हुआ कि योजना को गाय खा गई या उसकी भ्रूण हत्या हो गई। अब जब कि राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने ही इसकी पुष्टि कर दी है कि योजना पर काम चल रहा है और यह जरूर लागू होगी तो अजमेर वासियों ने राहत की सांस ली है। इसी के साथ वह भ्रम समाप्त हो गया है, जो कि अजमेर फोरम की ओर से इंडोर स्टेडियम में आयोजित नगर चौपाल में राज्य सरकार के मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा यह कह पैदा किया था कि इस प्रकार की कोई योजना थी ही नहीं और मीडिया को इस प्रकार का भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। बहरहाल, अब जब कि यह दिलासा मिला है कि योजना को गाय नहीं खा गई या उसकी भू्रण हत्या नहीं हुई है, अजमेर के जनप्रतिनिधियों, समाजसेवकों, बुद्धिजीवियों व हित चिंतकों का यह फर्ज है कि वे खाद व पानी से सिंचन करते रहें, ताकि योजना पल्लवित-पुष्पित हो सके।
असल में होता ये है कि सरकार के सामने प्रस्ताव तो बहुत पेश होते हैं और सरकार की ओर से बनाए भी जाते हैं, मगर जब तक उन पर अमल के लिए जरूरी दबाव नहीं बनाया जाता, वे कभी पूरे नहीं हो पाते। इसे यूं भी समझा जा सकता है कि जहां योजना के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति मिलती है, वहां वे ही फायदे में रहते हैं, जो कि मजबूती से अपना पक्ष रख पाते हैं, वरना ऐसी कई योजनाएं सालों तक फाइलों में ही पड़ी रहती हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि योजना लागू करने के लिए दरगाह से जुड़े पक्षों, मीडिया और अजमेर फोरम ने भरपूर दबाव बनाए रखा, मगर जनप्रतिनिधियों की लापरवाही अथवा अप्रभावी भूमिका और प्रशासन की बेरुखी के चलते यह अधर में ही लटकी रही। हालत ये थी कि ये पता ही नहीं लग रहा था कि आखिर योजना कहां गायब हो गई। वो तो मुख्य सचिव ने पत्रकारों के पूछने पर जानकारी दी, वरना यही माना जाता कि योजना दफ्तर दाखिल हो चुकी है।
खैर, अब भी वक्त है। सभी को मिल कर इस योजना की मंजूरी के दबाव बनाए रखना होगा, वरना सरकारी तंत्र की गति तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली होती है।
यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोटे तौर पर इस योजना में वर्षों से अपेक्षित बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य कराने सहित अतिक्रमणों को हटाये जाने का प्रस्ताव है। जायरीन की सुरक्षा और सुविधा के लिए पानी, बिजली सड़क, टॉयलेट जैसी सुविधाओं पर पूरा जोर दिया गया है। इसके तहत विद्युत ट्रांसफार्मर और विद्युत तार भूमिगत किए जाने हैं और आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए सड़कों को चौड़ा करने का प्रस्ताव है। इतना ही नहीं 115 दुकानों का अधिग्रहण व दरगाह के चारों ओर 15 फीट चौड़े कॉरिडोर निर्माण का चुनौतीपूर्ण कार्य भी शामिल किया गया है।
आइये, एक विहंगम नजर डालते हैं इस योजना पर:-
दरगाह शरीफ की ओर जाने वाली सड़कों के ड्रेनेज सिस्टम को डवलप करने के लिए देहली गेट से निजाम गेट तक 27 लाख, निजाम गेट से मदार गेट तक 35 लाख, ढाई दिन के झोंपड़े से निजाम गेट तक 19.50 लाख, कॉरिडोर के चारों ओर 17.50 लाख रुपए का प्रस्ताव है। इसी प्रकार दरगाह के चारों ओर 7 किलोमीटर क्षेत्र में सीवरेज कार्य केलिए 3 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं। विद्युत व्यवस्था में सुधार पर 102.90 लाख खर्च होंगे। इसमें 11 केवी और एलटी केबल का अंडरग्राउंड कार्य पर 109 लाख और कॉरिडोर की स्ट्रीट लाइटों पर 20 लाख रुपए का प्रावधान है। दरगाह इलाके में जायरीन के लिए सार्वजनिक शौचालय की कमी अरसे से महसूस की जाती रही है। अढ़ाई दिन के झोंपड़ा क्षेत्र में पुरुषों के लिए 16 व महिलाओं के लिए 12, सोलह खंभा क्षेत्र में पुरुषों के लिए 25 व महिलाओं के लिए 19, बाम्बे होटल क्षेत्र में पुरुषों के लिए 28 व महिलाओं के लिए 17, झालरा क्षेत्र में पुरुषों के लिए 18 व महिलाओं के लिए 14 टॉयलेट व शौचालयों का निर्माण कराया जाना है। कुल 139 शौचालयों पर 85.17 लाख रुपए खर्च होगा।
दरगाह आने वाले जायरीन के जूते और चप्पलों के लिए निजाम गेट के सामने शू कलैक्शन सेंटर का प्रस्ताव है। करीब 6 दुकानों को अधिगृहीत कर बनाए जाने वाले इस सेंटर पर 775 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।
दरगाह में हर जायरीन पर पैनी नजर रखने के लिए सुरक्षा इंतजामों के तहत 74 कैमरों का प्रस्ताव है, जिनमें 16 फंक्शनल व 58 अन्य कैमरे होंगे। इस पर 70 लाख की राशि खर्च होगी।
वर्षों से पार्किंग की समस्या भोग रहे शहर के लिए 7 स्थानों पर पार्किंग हब की योजना है। इसके तहत जयपुर रोड से हाथी भाटा के बीच 11.74 लाख, कचहरी रोड पर आई हॉस्पिटल के पीछे 60.89 लाख, महावीर सर्किल पर 83.82 लाख, नसीराबाद रोड पर नौ नंबर पेट्रोल पंप के पीछे 214.16 लाख, सुभाष गार्डन में वीआईपी पार्किंग पर 9.50 लाख, सुभाष उद्यान के बेसमेंट में 580 लाख, प्राइवेट बस स्टैंड में मल्टी स्टोरी पार्किंग पर 846 लाख, लौंगिया मोहल्ले में 1148.89 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। जायरीन के ठहरने के लिए कायड़ में 230 बीघा जमीन पर 202 करोड़ 15 लाख रुपए खर्च कर विशेष इंतजाम किए जाने हैं। ईदगाह विश्राम स्थली में प्लेटफार्म, स्नानघर और टॉयलट सुविधाओं के निमार्ण कार्य पर 200 लाख रुपए खर्च किए जाने प्रस्तावित हैं। तारागढ़ तक जाने वाले रास्ते की सीढिय़ों के दोनों और रेलिंग पर 20 लाख रुपए खर्च होंगे।
शहर के 34 स्थानों की सड़क मरम्मत और निर्माण पर 128.98 लाख खर्च होंगे। दरगाह से वाया देहलीगेट, मदार गेट और त्रिपोलिया गेट वाया ढ़ाई दिन का झोंपड़े तक की सड़क नवीनीकरण प्रस्तावित है। देहलीगेट से तांगा स्टैंड तक की सड़क का विस्तार और नवीनीकरण करने के लिए 80 दुकानों को अधिगृहीत किया जाना है।
दरगाह के भीतर व्यवस्थित रूप से जियारत करने के लिए स्टील ग्रिल की बैरिकेडिंग की जाएगी। दरगाह परिसर के फर्श पर कोटिंग होगी। दरगाह परिसर का समतलीकरण किया जाएगा। जायरीन के आने और जाने के लिए गेट की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी। लंगर खाना को अधिक व्यवस्थित करने और सराय चिश्ती चमन और ईदगाह को विकसित करने का भी प्रस्ताव है। दरगाह के 11 ऐतिहासिक गेट और 8 भवनों के जीर्णोद्धार के लिए 435.62 लाख रुपए की आवश्यकता बताई गई है।

-तेजवानी गिरधर
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