मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

रिंकू व शक्तावत के झगड़े में कोई और न ले जाए टिकट

18Kek-1-300x213जूनियां क्षेत्र में पंचायत समिति सदस्य के लिये होने जा रहे उप चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान केकडी विधानसभा क्षेत्र की भाजपा प्रभारी रिंकू कंवर और भूपेन्द्र सिंह शक्तावत के बीच एक बार फिर जिस तरह सड़क पर तीखी नोंकझोंक हुई, वह इस बात का साफ संकेत है कि इन दोनों के बीच सुलह का कोई रास्ता बाकी नहीं बचा है और खाई बढ़ती ही जा रही है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तो खींचतान ओर बढ़ सकती है, क्योंकि दोनों ही केकड़ी सीट से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार हैं।
ज्ञातव्य है कि रिंकू कंवर और भूपेन्द्र सिंह भाजपा की केकड़ी स्तरीय राजनीति के दो ऐसे दुश्मन हैं, जो दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख भी नहीं सुहाते और यही वजह है कि मौका मिलते ही दोनों एक-दूसरे को नीचा दिखाने में भी कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते। शक्तावत के बारे में रिंकू कंवर का रवैया उनके इस बयान में साफ झलकता है कि मैं एक व्यक्ति के अलावा सभी के साथ एकजुट होने को तैयार हंू, लेकिन जिस व्यक्ति ने मेरी राह में कांटे बिछाए थे, उसे मैं कभी माफ नहीं कर सकती और शायद इस जीवन में तो नहीं। गत विधानसभा चुनाव में रिंकू कंवर राठौड़ भाजपा प्रत्याशी के रूप में तथा भूपेन्द्र सिंह शक्तावत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आमने-सामने चुनाव लड़ चुके हैं। उस चुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा ने श्रीमती रिंकू कंवर को 12 हजार 659 मतों से पराजित किया था। शर्मा को 47 हजार 173 व रिंकू कंवर को 34 हजार 514 मत मिले। हालांकि कांग्रेस के बागी बाबूलाल सिंगारियां को 22 हजार 123 मिले, मगर रिंकू की हार में भूपेन्द्र सिंह का 17 हजार 801 वोट काटने को ही अहम माना जाता है। रिंकू व भूपेन्द्र के बीच खटास का एक कारण यह भी है कि रिंकू कंवर राठौड़ विधानसभा चुनाव से पहले प्रधान पद पर थीं और उनके खिलाफ उनकी ही पार्टी के पंचायत समिति सदस्यों द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव का जिम्मेदार भूपेन्द्र सिंह शक्तावत को मानती हैं।
बहरहाल, ताजा संदर्भ में इन दोनों के झगड़े के ये मायने लगाए जा रहे हैं कि इन दोनों में से जिस को भी टिकट दिया गया, दूसरा उसे हराने में लग जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा हाईकमान दोनों में से किसी को ही टिकट देने का जोखिम उठाएगा? हालांकि राजपूतों के लिए अनुकूल इस सीट के लिए भाजपा के पास दमदार दावेदार के रूप में जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा मौजूद हैं, मगर उन्होंने केकड़ी की बजाय पुष्कर से लडऩे की इच्छा जताई तो यह सीट किसी गैर राजपूत के खाते में जा सकती है। ऐसे में संभव है भाजपा किसी ब्राह्मण या वेश्य को टिकट देने का मानस बनाए।
फिलहाल रामेश्वर बम्बोरिया, शत्रुघ्न गौतम, राधेश्याम पोरवाल व राजेन्द्र विनायका अपनी दावेदारी जता रहे हैं। क्षेत्र में भाजपाई एक कैसे हों, इसके लिए कई तरह के प्रयास पहले भी किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद दावेदारों की टिकट पाने की होड़ के चलते अलग-अलग धड़ों में बिखरी भाजपा अंदरूनी कलह से नहीं उबर पा रही है। संभव ये भी है कि वसुंधरा राजे सिंधिया कांग्रेस नेता डा. रघु शर्मा को विधानसभा नहीं पहुंचने देने के लिए किसी दिग्गज को भी केकड़ी से चुनाव मैदान में उतार सकती है। इसके लिए प्रो. सांवरलाल जाट, भंवरसिंह पलाड़ा, डा. नाथूसिंह गुर्जर तथा पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे की पुत्रवधु निहारिका सिंह में से किसी एक को यहां से चुनाव लड़ाने का मानस बनाया जा सकता है।
-तेजवानी गिरधर