पूर्व पार्षद अशोक राठी इस बार नगर निगम चुनाव में वार्ड 55 से भाजपा टिकट की दावेदारी करने जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े राठी ने यह वार्ड इसलिए चुना है क्योंकि वे जिस वार्ड 26 से पूर्व में जुड़े रहे हैं, उसका एक भाग वार्ड 55 से जुड़ गया है, जो कि सामान्य अब है और दूसरा भाग वार्ड 54 में शामिल किया गया है, जो कि ओबीसी के लिए आरक्षित है।
उन्हें पूरा यकीन है कि वार्ड 55 के मतदाता उन्हें भरपूर समर्थन देंगे, क्योंकि पूर्व में जब वे उपचुनाव में तीन साल के लिए पार्षद चुने गए थे, तब उन्होंने यहां भरपूर काम करवाया। उन्होंने सड़कों, नालों की मरम्मत, पानी की पाइप लाइन डलवाने, विभिन्न स्थानों पर हैलोजन लाइट लगवाना आदि के कार्य करवाये। बाद में भी लगातार संपर्क में रहे। इस कारण वार्ड में सुपरिचित चेहरा हैं और छवि भी साफ सुथरी है।
ज्ञातव्य है कि पिछले चुनाव में भी उन्होंने भाजपा टिकट की दावेदारी की थी, मगर भाजपा की अंदरूनी राजनीति के कारण वे टिकट से वंचित रह गए। इस पर वार्ड वासियों व अपने समर्थकों के दबाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा और कुछ ही वोटों के अंतर से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी नीरज जैन से हार गए। कांग्रेस के राजकुमार जैन तीसरे स्थान पर रहे। समझा जा सकता है कि भाजपा के कट्टर माने जाने वाले वोटों का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने निर्दलीय रह कर बांटा, तो उनकी यहां कितनी पकड़ रही होगी। इस बार फिर अपने समर्थकों के दबाव में वे भाजपा टिकट की दावेदारी करने जा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि भाजपा उनकी क्षेत्र में पकड़ को देखते हुए उनके दावे को नजरअंदाज नही करेगी। हालांकि इस बार फिर उन्हें मौजूदा पार्षद नीरज जैन की दावेदारी से मुकाबला करना पड़ सकता है। वैसे सुगबुगाहट ये भी है कि इस बार जैन किसी और वार्ड पर भी नजर रखे हुए हैं।
बात अगर वार्ड में जातीय समीकरण की करें तो यहां तकरीबन माहेश्वरी समाज के साढ़े चार सौ वोट हैं। जैन समाज के तकरीबन 700 वोट हैं, मगर उनमें से तीन सौ बाहर रहते हैं।
जहां तक राठी के भाजपा में सक्रियता का सवाल है, वे 1977 से सक्रिय हैं। भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व मंत्री और भाजपा नगर परिषद प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व प्रकोष्ठ की अजमेर इकाई के सहसंयोजक हैं। इसके अतिरिक्त समाज पर भी उनकी गहरी पकड़ है। वे माहेश्वरी समाज, अजमेर के प्रचार मंत्री व श्री माहेश्वरी प्रगति संस्थान के उपाध्यक्ष हैं। वे हिमालय परिवार के जिला अध्यक्ष भी है, जो कि संघ का प्रकल्प है और इंद्रेश कुमार उसके राष्ट्रीय संयोजक हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
उन्हें पूरा यकीन है कि वार्ड 55 के मतदाता उन्हें भरपूर समर्थन देंगे, क्योंकि पूर्व में जब वे उपचुनाव में तीन साल के लिए पार्षद चुने गए थे, तब उन्होंने यहां भरपूर काम करवाया। उन्होंने सड़कों, नालों की मरम्मत, पानी की पाइप लाइन डलवाने, विभिन्न स्थानों पर हैलोजन लाइट लगवाना आदि के कार्य करवाये। बाद में भी लगातार संपर्क में रहे। इस कारण वार्ड में सुपरिचित चेहरा हैं और छवि भी साफ सुथरी है।
ज्ञातव्य है कि पिछले चुनाव में भी उन्होंने भाजपा टिकट की दावेदारी की थी, मगर भाजपा की अंदरूनी राजनीति के कारण वे टिकट से वंचित रह गए। इस पर वार्ड वासियों व अपने समर्थकों के दबाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा और कुछ ही वोटों के अंतर से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी नीरज जैन से हार गए। कांग्रेस के राजकुमार जैन तीसरे स्थान पर रहे। समझा जा सकता है कि भाजपा के कट्टर माने जाने वाले वोटों का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने निर्दलीय रह कर बांटा, तो उनकी यहां कितनी पकड़ रही होगी। इस बार फिर अपने समर्थकों के दबाव में वे भाजपा टिकट की दावेदारी करने जा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि भाजपा उनकी क्षेत्र में पकड़ को देखते हुए उनके दावे को नजरअंदाज नही करेगी। हालांकि इस बार फिर उन्हें मौजूदा पार्षद नीरज जैन की दावेदारी से मुकाबला करना पड़ सकता है। वैसे सुगबुगाहट ये भी है कि इस बार जैन किसी और वार्ड पर भी नजर रखे हुए हैं।
बात अगर वार्ड में जातीय समीकरण की करें तो यहां तकरीबन माहेश्वरी समाज के साढ़े चार सौ वोट हैं। जैन समाज के तकरीबन 700 वोट हैं, मगर उनमें से तीन सौ बाहर रहते हैं।
जहां तक राठी के भाजपा में सक्रियता का सवाल है, वे 1977 से सक्रिय हैं। भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व मंत्री और भाजपा नगर परिषद प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व प्रकोष्ठ की अजमेर इकाई के सहसंयोजक हैं। इसके अतिरिक्त समाज पर भी उनकी गहरी पकड़ है। वे माहेश्वरी समाज, अजमेर के प्रचार मंत्री व श्री माहेश्वरी प्रगति संस्थान के उपाध्यक्ष हैं। वे हिमालय परिवार के जिला अध्यक्ष भी है, जो कि संघ का प्रकल्प है और इंद्रेश कुमार उसके राष्ट्रीय संयोजक हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000