गुरुवार, 21 अगस्त 2014

ये रमा पायलट का नाम कहां से आया?

नसीराबाद विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से यकायक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की माताश्री रमा पायलट का नाम उभर आया है। दिलचस्प बात ये है कि खुद दावेदारों ने ही उनका नाम सुझाया है। हालांकि अब तक ये माना जा रहा था कि विशेष परिस्थिति में स्वयं सचिन भी मैदान में उतर सकते हैं, मगर बताते हैं कि उन्होंने चुनाव न लडऩे की बात कह दी है।
अब जब कि रमा पायलट का नाम आया है तो इसमें दो ही बातें हो सकती हैं। या तो ऊपर से सुझाया गया है कि रमा पायलट का नाम लो और उनको प्रत्याशी बनाने की मांग करो, या फिर ये भी एक रणनीति का हिस्सा है। ज्ञातव्य है कि रमा का नाम सुझाने वाले नेताओं में पूर्व विधायक महेंद्र गुर्जर, हरिसिंह गुर्जर, सौरभ बजाड़ और पार्षद नौरत गुर्जर शामिल हैं, जबकि अन्य प्रबल दावेदार रामनारायण गुर्जर व सुनील गुर्जर इस मामले में शांत हैं।  इससे ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं कुछ पेच है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि रमा की मांग करने वालों में से केवल पूर्व विधायक महेन्द्र सिंह गुर्जर ही प्रबल दावेदार हैं। वजह साफ है कि वे पहले विधायक रहे हैं और बाबा गोविंद सिंह गुर्जर के परिवार से हैं। असल में इस सीट पर दावा ही बाबा के परिवार का है, जिसका कि इलाके पर खासा अच्छा प्रभाव है। यही वजह है कि बीच में किसी ने बाबा की धर्मपत्नी का नाम भी सुझाया था। वैसे बाबा के परिवार से मुख्य रूप से महेन्द्र सिंह गुर्जर, रामनारायण गुर्जर व सुनील गुर्जर के नाम ही आगे हैं। इनमें से कोई भी आगे आए और बाकी के दोनों व अन्य दावेदार पूरा साथ दें तो यह सीट कांटे की टक्कर की बन सकती है।  मगर अब जबकि महेन्द्र सिंह गुर्जर के साथ हरिसिंह, सौरभ व नौरत आए हैं, इससे लगता है कि महेन्द्र सिंह अपनी दावेदारी मजबूत कर रहे हैं। रहा सवाल रमा पायलट का तो यदि प्रदेश अध्यक्ष चाहेंगे तो वे इंकार भी नहीं कर सकते। ऐसे में लगता ये भी है कि उन्हें ये कहा गया हो कि रमा के नाम पर अपनी सहमति दे दो। जो कुछ भी हो, मगर इतना तय है कि अगर रमा मैदान में उतरीं तो यहां कांग्रेस टक्कर लेने की स्थिति में आ जाएगी। वे न केवल खुद राजनीति की खिलाड़ी हैं, अपितु प्रदेश अध्यक्ष के नाते उनके पुत्र का भी साथ होने से मजबूत उम्मीदवार साबित होंगी। भाजपा को भी उनकी ही टक्कर का नेता मैदान में उतारना होगा।
कांग्रेस इस चुनाव को लेकर विशेष उत्साहित है। इसी कारण अब तक टिकट के लिए प्रतिद्वंद्वी दावेदार भी कहने लगे हैं कि किसी को भी टिकट दे दो, जिताने के लिए जान लड़ा देंगे। कांग्रेस के उत्साह की वजह ये भी है कि  लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन विधानसभा चुनाव से बेहतर रहा। वो ये कि वह सिर्फ 10 हजार 999 मतों से ही पिछड़ी, जबकि विधानसभा चुनाव में सांवर लाल जाट 28 हजार 900 मतों से जीते थे। अपने ही विधानसभा क्षेत्र में जाट का पिछडऩा तनिक सोचने को विवश करता है, मगर इसकी वजह ये आंकी जाती है कि लोकसभा चुनाव में खुद सचिन पायलट के होने के कारण गुर्जर मत एकजुट हो गए थे। जो भी हो, मगर अंतर कम होना कांग्रेस की हताशा को कम तो करता है। एक और फैक्टर भी कांग्रेसी अपने पक्ष में गिन कर चल रहे हैं कि महंगाई का हल्ला मचा कर जिस प्रकार भाजपा केन्द्र व राज्य में सत्ता में आई और उसके बाद महंगाई और बढ़ गई है, इस कारण आम जनता में अंदर ही अंदर प्रतिक्रिया पनप रही है। राज्य में भाजपा सरकार का अब तक कोई खास परफोरमेंस भी नहीं रहा है, इस कारण कांग्रेसी मानते हैं कि आम जन का भाजपा से मोह भंग हुआ होगा। खैर, देखते हैं कि कांग्रेस किसे चुनाव मैदान में उतारती है।
-तेजवानी गिरधर