बुधवार, 22 मई 2013

नसीम अख्तर भी मानती हैं सरकारी स्कूलों की बदहाली को

परिणाम जारी करती शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा के कला वर्ग का परिणाम परिणाम बोर्ड के जयपुर स्थित राजीव गांधी सभागार में जारी करते हुए खुद शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ ने जिस प्रकार यह कहा कि  वे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को भी सरकार से भविष्य में कोचिंग की सुविधा दिलाने का प्रयास करेंगी, उसी से स्पष्ट है कि वे इस बात को स्वीकार कर रही हैं कि सरकारी स्कूलों का बड़ा बुरा हाल है।
असल में हुआ ये कि परिणाम जारी करते हुए वे खुद मेरिट में राजकीय विद्यालयों के प्रदर्शन से संतुष्ट नजर नहीं आई। वे भी यह देख कर हैरान थीं कि मेरिट में प्राइवेट स्कूलों का ही दबदबा था। शिक्षा राज्य मंत्री के नाते इस मौके पर स्वाभाविक रूप से उनके पास मीडिया के इस सवाल का जवाब नहीं था कि सरकारी स्कूलों के बच्चे पढ़ाई में इतने कमजोर क्यों हैं? इस पर उन्हें कहना पड़ा कि प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर ही सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को भी कोचिंग की सुविधा दी जाएगी। यानि कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की मेरिट में सरकारी स्कूलों से भी अधिक विद्यार्थी शामिल हो सकें, इसके लिए कोचिंग शुरू तो शुरू की जाएगी, मगर सामान्य पढ़ाई तो इसी प्रकार होती रहेगी, उसमें किसी सुधार की गुंजाइश नहीं है। कैसी विडंबना है कि हम सरकारी स्कूलों का सामान्य शैक्षणिक स्तर सुधारने की बजाय अतिरिक्त कोचिंग क्लासेज लगाने को मजबूर हैं।
श्रीमती नसीम से यह भी कहा कि पूर्व में भी सरकारी स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लासेज आदि लगती रही हैं।  वर्तमान में यह व्यवस्था खत्म हो गई है। सवाल ये उठता है कि इस व्यवस्था को किसने खत्म किया और जब वे मंत्री बनीं तो उन्हें यह ख्याल क्यों नहीं आया कि यह व्यवस्था बंद क्यों हैं और उसे शुरू किया जाना चाहिए।
यहां उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जब बोर्ड के 12वीं कॉमर्स के परिणाम में सरकारी स्कूलों के प्रदर्शन को बोर्ड अध्यक्ष डॉ. पी.एस. वर्मा ने भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
अपुन तब भी लिखा था कि पिछले कई सालों से बोर्ड के परीक्षा परिणामों का यही हाल है, जिससे साबित होता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पर कितना ध्यान दिया जाता है। सच तो ये है कि जो अभिभावक अपने बच्चों को ठीक से पढ़ाना चाहते हैं, वे उन्हें बनती कोशिश उन्हें प्राइवेट स्कूलों में ही दाखिला दिलाते हैं। सरकारी स्कूल में बच्चे का पढ़ाने को आजकल बड़ी हेय दृष्टि से देखा जाता है। वे जानते हैं कि सरकारी स्कूलों का हाल बुरा है। इसी का परिणाम है कि प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना आजकल स्टेटस सिंबल बना हुआ है। संपन्न लोग तो अपने बच्चों को किसी भी सूरत में सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाते। वे इसके लिए बच्चों को दूसरे शहर तक में पढ़ाने को भेज देते हैं। वे जानते हैं कि इससे उनके बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। आम अभिभावकों की छोडिय़े, सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक तक इसी कोशिश में रहते हैं कि अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाएं। अर्थात खुद सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को पता है कि वे खुद और उनके साथी अध्यापक कैसा पढ़ाते हैं और सरकारी स्कूलों का हाल क्या है। गांवों में तो और भी बुरा हाल है। जो अध्यापक शहर में रहते हैं, वे कोशिश करके आसपास के किसी गांव में ही तबादला करवाते हैं और रोजाना अप-डाउन करके नौकरी पकाते हैं। गांवों में अध्यापकों के गोत मारने के अनेक किस्से तो आपने सुने ही होंगे। ऐसे में बच्चों का पढ़ाई का क्या हाल होता है, इसकी आप सहज ही कल्पना कर सकते हैं। सच तो ये है कि सरकारी अध्यापक अपने परिवार को गांव में न रख कर इसी कारण शहर में रहते हैं ताकि उनके बच्चों की ठीक से पढ़ाई हो जाए। यानि कि उन्हें केवल अपने बच्चों का ही ख्याल है, ओरों के बच्चे जाएं भाड़ में।
अफसोसनाक बात है इस हालत पर न तो कभी सरकार ने ध्यान दिया है और न ही शिक्षाविदों या शिक्षकों ने कोई कोशिश की है कि सरकारी स्कूलों में ठीक से पढ़ाई हो। कई सशक्त शिक्षक संगठन हैं, मगर उन्होंने भी कभी इस ओर कोई सकारात्मक पहल नहीं की है। वे भी तबादलों की राजनीति में उलझे रहते हैं। हर कोई अफसोस मात्र जाहिर करता है, करता कोई कुछ नहीं।
अब जब स्वयं मंत्री महोदया ने मेरिट देख कर सरकारी स्कूलों के हाल जाने हैं तो उम्मीद तो यह की जानी चाहिए कि वे सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने की कोशिश करेंगी, मगर अफसोस कि वे भी कोचिंग के जरिए केवल पेच वर्क करने की सोच रही हैं।
-तेजवानी गिरधर

जांबाज शख्सियत थे स्वाधीनता सेनानी पंडित ज्वाला प्रसाद शर्मा


स्वतंत्रता सेनानी पंडित ज्वाला प्रसाद शर्मा की बुधवार को पुण्यतिथि है। इस मौके पर ज्वाला प्रसाद शिक्षा सेवा संघ के अध्यक्ष भुवेन्द्र प्रसाद शर्मा की पहल पर स्वतंत्रता सेनानी ज्वाला प्रसाद की पुण्य तिथि भगवान गंज स्थित ज्वाला प्रसाद की कोठी पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। कृषि मंडी डायरेक्टर रुस्तम खान चीता डायरेक्टर के मुख्य आतिथ्य, ग्राम पंचायत सोमलपुर सरपंच कुकी देवी, वार्ड 15 की पार्षद नीता केन, वार्ड पंच अकरम खान, नजीर दादा, कैलाश चौधरी के विशिष्ट आतिथ्य में वक्ताओं के विचारों यही सार निकला कि वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते रहेंगे। आज जब कि अजमेर में राजनीतक जागरुकता का अभाव महसूस किया जाता है तो ऐसी जांबाज शख्सियत को लोग तहे दिल से याद करते हैं और गर्व करते हैं कि हमारे यहां भी जमीन से जुड़े और दमदार नेतृत्व के धनी नेता रहे हैं।
आइये, इस मौके पर जानें उनकी जीवनी के बारे में:-
स्वाधीनता संग्राम में अजमेर के उग्रवादी आंदोलनकारियों में पंडित श्री ज्वाला प्रसाद शर्मा का नाम शीर्ष पर गिना जाता है। आपने डी.ए.वी. हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही सन् 1930 में सहपाठियों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया। सन् 1931 में क्रांतिकारी श्री मदन गोपाल के नेतृत्व में रेलवे कारखाना लूटने की योजना बनाई, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। आप श्री विजय सिंह पथिक व श्री अर्जुन लाल सेठी के सम्पर्क में भी आए। आपने हटूंडी में गांधी आश्रम में बाबा नृसिंहदास से बंदूक चलाना सीखा। एक सरकारी गुप्तचर ने आपको फंसाने के लिए सीकर के एक महाजन के घर डाका डालने के मकसद से रिवाल्वर दिया, मगर वे उसके चक्कर में नहीं आए और श्रीनगर के पास जंगल में उसी रिवाल्वर से उसको मार कर शव जमीन में दफन कर दिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सन् 1942 में जेल में रहने के दौरान युक्ति लगा कर भागने में सफल हो गए। आजादी के बाद कांग्रेस से जुड़ गए और प्रदेश कांग्रेस के महासचिव व अजमेर नगर परिषद के सभापति रहे।
आप विधानसभा व लोकसभा के सदस्य भी रहे। आपने राजस्थान रोडवेज के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया। 20 मई, 1974 को जयपुर से अजमेर आते वक्त दूदू के पास कार दुर्घटना में आपका निधन हो गया।
स्वर्गीय श्री शर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती क्रांतिदेवी ने भी आजादी के आंदोलन में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर भाग लिया। स्वर्गीय श्री कन्हैयालाल झा के घर जन्मी श्रीमती क्रांतिदेवी ने एम.ए. हिंदी तक शिक्षा अर्जित की और लेखन कार्य से जुड़ी रहीं। वे आजादी के आंदोलन के दौरान जन प्रबल प्रचार समिति की अध्यक्ष रहीं। वे प्रदेश कांगे्रस की उपाध्यक्ष भी रहीं। स्वर्गीय श्री शर्मा की पुत्री श्रीमती नीलिमा कृष्णा शर्मा भी माता-पिता की तरह राजनीति में सक्रिय रही हैं। वे 1985 के चुनाव में जिले के भिनाय विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक निर्वाचित हुईं। वे समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष भी रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी से नजदीकी के कारण उन्हें राजस्थान का सलाहकार बनाया गया था। सन् 1953 में जन्मी श्रीमती नीलिमा ने एम.ए. अंग्रेजी तक शिक्षा ग्रहण की है और वर्तमान में अहमदाबाद में एक कॉलेज की प्रिंसिपल हैं।
-तेजवानी गिरधर