शुक्रवार, 21 मार्च 2014

वरिष्ठ पत्रकार अनिल लोढ़ा का नाम भी चर्चा में आया था

हालांकि इस बात पर सहज विश्वास नहीं होता, मगर ये सच है कि वरिष्ठ पत्रकार व सुनहरा राजस्थान के संपादक अनिल लोढ़ा का नाम भी अजमेर संसदीय क्षेत्र के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में चर्चा में आया था। बताया जाता है कि काफी माथापच्ची के बाद भी जब भाजपा हाईकमान को सचिन पायलट के सामने प्रत्याशी को तय करने में दिक्कत आ रही थी तो मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की ओर से उनका नाम वैकल्पिक रूप में प्रस्तावित किया गया। यह बात अलग है कि उस पर गंभीरता से चर्चा हुई या नहीं हुई, मगर राजनीति के जानकारों को इसकी जानकारी हो गई थी। आपको यहां बता दें कि लोढ़ा को वसुंधरा का करीबी माना जाता है। कहा तो यहां तक जाता है कि विधानसभा में जब भी अभिभाषण अथवा कोई विशेष वक्तव्य देने की बात आती है तो वे लोढ़ा से चर्चा जरूर करती हैं। माना ये भी जाता है कि पत्रकारिता के आरंभ से लोढ़ा में राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है। पिछले कुछ चुनावों में भी उनके नाम की चर्चा होती रही है।

प्रो. जाट से बेहतर स्थानीय प्रत्याशी था भी नहीं भाजपा के पास

भाजपा ने अजमेर संसदीय क्षेत्र में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व स्थानीय सांसद और केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट के सामने राज्य सरकार में जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट को उतार कर सटीक दाव चला है। प्रो. जाट से बेहतर स्थानीय प्रत्याशी उसके पास था भी नहीं। जाट ने आखिरी दौर में किस आधार और शर्त पर चुनाव लडऩे को स्वीकार किया है, इसका तो पता नहीं, मगर अब कम से कम ये तो नहीं कहा जाएगा कि भाजपा ने सचिन के आगे थाली परोस दी है। हालांकि जब दावेदारों के लिए पार्टी ने पदाधिकारियों से वोटिंग करवाई थी, तब जाट का नाम कहीं नहीं था, अलबत्ता उनके पुत्र रामस्वरूप लांबा का नाम जरूर सामने आया। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि मंत्री पद का सुख भोग रहे जाट ने लोकसभा चुनाव में फालतू माथा लगाना उचित नहीं समझा और अपने बेटे को आगे कर दिया।
ज्ञातव्य है कि इस बार किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी, पुष्कर विधायक सुरेश सिंह रावत, शहर भाजपा अध्यक्ष रासा सिंह रावत, देहात भाजपा अध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत, पूर्व जिला प्रमुख व मौजूदा मसूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति भंवर सिंह पलाड़ा, पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा व श्रीमती सरिता गैना, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सी.आर. चौधरी, पूर्व विधायक किशन गोपाल कोगटा, पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत, नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, पूर्व शहर भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, जिला प्रचार मंत्री कंवल प्रकाश किशनानी, डॉ. कमला गोखरू, डॉ. दीपक भाकर, सतीश बंसल, ओमप्रकाश भडाणा, गजवीर सिंह चूड़ावत, सरोज कुमारी (दूदू), नगर निगम के उप महापौर अजीत सिंह राठौड़ व डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ की पत्नी रीतू चौहान के नाम दावेदारी में उभरे थे। चूंकि इनमें प्रो. सारस्वत ने सबसे ज्यादा वोट हासिल किए, इस कारण उनका नाम आखिर तक चलता रहा। उनके अतिरिक्त राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी. आर. चौधरी का नाम भी उभरा, मगर उन्हें नागौर से उतार दिया गया। शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत, अजमेर उत्तर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का नाम भी आखिर तक चलता रहा। इतना ही नहीं, भाजपा के शीर्ष नेता पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की भी चर्चा हुई, मगर वह कोरी अफवाह ही साबित हुई। जब कांग्रेस ने सचिन का नाम घोषित कर दिया तो हर किसी की नजर इसी बात पर थी कि अब भाजपा क्या करती है। माना यही जा रहा था कि सचिन के मुकाबले भाजपा किसी स्थानीय दावेदार को शायद ही उतारे। बाहरी नेताओं में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पुत्रवधु श्रीमती निहारिका का नाम चर्चा में रहा। कुल मिला कर आखिर तक असमंजस बना रहा। मगर जैसे ही प्रो. जाट का नाम आया, हर एक भाजपाई की जुबान पर यही बात सुनाई दी कि अब होगा कांटे का मुकाबला।
यहां आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में भी जल संसाधन मंत्री रहे प्रो. सांवरलाल जाट का नाम पिछली बार भी सचिन के सामने दमदार प्रत्याशी के रूप में था, मगर न जाने उनकी खुद की अनिच्छा के चलते या फिर उन्हें कमजोर मानते हुए पार्टी ने भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्ववरी को उदयपुर से ला कर भिड़ा दिया। उसका यह प्रयोग फेल हो गया। वजहें तो अनेक थीं, मगर एक प्रमुख वजह ये मानी गई कि श्रीमती माहेश्वरी के साथ जातीय समीकरण नहीं था। चूंकि परिसीमन के बाद अजमेर संसदीय क्षेत्र में जाटों के मतों की संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई थी, इस कारण भाजपा के लिए कोई जाट नेता ही कारगर होता, मगर यह बात पार्टी को इस बार समझ में आई है। वह भी काफी माथापच्ची के बाद, वरना प्रो. जाट तो पहले से उपलब्ध थे।
खैर, भाजपा ने हर दृष्टि से, यथा जातीय समीकरण, साधन संपन्नता और कद आदि के लिहाज से उपयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतारा है। अब देखना ये है कि ये मुकाबला कैसा रहता है? बारीक विश्लेषण बाद में करेंगे।
-तेजवानी गिरधर

आम आदमी पार्टी की नजर प्रिंस सलीम पर भी

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी अपना उम्मीदवार उतारना तो चाहती है, मगर उसे फिलहाल कोई जंच ही नहीं रहा। हालांकि टिकट के लिए आठ दावेदारों ने साक्षात्कार दिए हैं, मगर अब तक उचित प्रत्याशी नहीं मिलने के कारण तलाश जारी है। सच तो ये है कि ढंग का प्रत्याशी नहीं मिलने के कारण किसी को भी मैदान में उतारने की स्थिति नहीं है, मगर चूंकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज्य की सभी पच्चीस सीटों पर चुनाव लड़ाने की घोषणा कर चुके हैं, इस कारण मशक्कत अब भी जारी है। इस बीच पता लगा है कि एनजीओ चलाने वाले प्रिंस सलीम पर भी विचार चल रहा है। उनका नाम पार्टी हाईकमान के पास प्रस्तावित हो चुका है। एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
असल में शुरू में अन्ना आंदोलन का नेतृत्व कर चुकी और बाद में पार्टी में अजमेर प्रभारी बनीं श्रीमती कीर्ति पाठक को ही प्रबल दावेदार माना जा रहा था, मगर कथित रूप से उनके व्यवहार के कारण एक धड़ा अलग हो गया और वह उन्हें प्रभारी पद से भी हटवाने में भी कामयाब हो गया। हांलाकि बावजूद इसके उन्होंने अपना दावा ठोक दिया।
उधर कीर्ति विरोधी धड़े का समर्थन हासिल  काफी ऊर्जावान कवि और पार्टी की राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य शहनाज हिंदुस्तानी  का नाम तो बताते हैं कि काफी दिन पहले तय सा माना जा रहा था, मगर उनकी भी कारसेवा हो गई। परिणाम स्वरूप फेसबुक पर छीछालेदर भी हुई।
हिंदुस्तानी ने लिखा कि सभी कार्यकर्ताओं से मेरा अनुरोध है जो भी प्रत्याशी आम आदमी पार्टी की ओर से अजमेर की धरती को मिले उसे निर्विरोध स्वीकार कर दिल से प्रचार में जुट जाएं और असामाजिक, स्वार्थी एवं महत्वाकांक्षी लोगों से सावधान रहें । किसी भी तरह की गुंडागर्दी या भू माफियाओं से डरने की जरूरत नहीं है । बस ये ध्यान रहे कि उनके लोग आप की टोपी पहन कर कोई गलत काम न कर पाएं, क्यूं कि कुछ ऐसे लोग हमारी आप अजमेर की टीम में शामिल हो गए हैं, जो हमारी हर खबर लीक कर पार्टी को बदनाम करने की तैयारी में है, भ्रष्टाचार पे दे झाड़ू, दे झाड़ू-दे झाड़ू, आम आदमी जिंदाबाद, - आप का शहनाज हिन्दुस्तानी.......जय हिन्द। जो भी व्यक्ति अगर किसी को ये बोल रहा है कि मैं टिकट दिलवा दूंगी या दूंगा, वो किसी भी तरह से पार्टी का कार्यकर्ता नहीं है। सभी उससे दूरी बनाए रखें । आजकल बहुत से फ्रॉड लोग इसी चक्कर में पैसे कमाने में लगे हैं । अपने आप को पार्टी का विशेष पदाधिकारी बताता है और पैसे ऐंठता है। ऐसी गन्दगी अजमेर ही नहीं अपितु कहीं भी दिख सकती है। जरूरी नहीं जिसके हाथ में झाड़ू है, वो गंदगी साफ करने आया हो, वो गंदगी फैला भी सकता है। सावधान ! जय हिन्द !
इस के बाद टिकट की ही एक दावेदार श्रीमती किरण माहेश्वरी ने लिखा कि आज मैने ये देखा की हमारी पार्टी में चमचों की तादाद ज्यादा हो गयी है, जहां जहां इन चमचों की संख्या है, वहा पार्टी का वजूद खत्म हो रहा है। हमने अजमेर में सबको जोडऩे की कोशिश जारी की है, पर कुछ लोग एक-एक करके पार्टी के पुराने लोगो को पार्टी से तोड़ते जा रहे हैं, पर हम ऐसा होने नहीं देंगे। क्या पार्टी अजमेर में उमीदवार उतारेगी या नहीं? आज अजमेर में आम आदमी पार्टी का आदर्श नगर का ऑफिस भी बंद करवा दिया, क्योंकि में सब पुराने और नये पार्टी कार्यकर्ताओं को बुला कर जो चुनावी रणनीति बनाना चाहा, पर पार्टी के कुछ लोगों ने पार्टी ऑफिस के ताला लगवा दिया और कहा की कोई मीटिंग नहीं होगी। ऐसे लोगों के कारण केजरीवाल जी को इतनी परेशानी हो रही है। अरविन्द तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। जयहिन्द।
ज्ञातव्य है कि श्रीमती शेखावत अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की महिला इकाई की राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष, राजपूत एकता मंच व महिला मोर्चा में पुष्कर विधानसभा क्षेत्र की अध्यक्ष और सामाजिक परिवर्तन फाउंडेशन की राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष हैं। वे पत्रकारिता से भी जुड़ी हुई हैं और वे भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार संघ की अजमेर जिला संयोजक व सर्च स्टोरी ब्यूरो की ब्यूरो प्रमुख हैं।
पार्टी की नजर अजमेर की पूर्व जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता पर भी थी, मगर यह कॉलम लिखते समय तक उन्होंने आनाकानी कर रखी है। इसी प्रकार एक दावेदार अजय सोमानी हैं, उनकी भी शिकायतें ऊपर पहुंच चुकी हैं।
अब देखना ये है कि पार्टी किसे चुनाव मैदान में उतारती है?
तेजवानी गिरधर