बुधवार, 1 मई 2013

पाक जायरीन के उर्स मेले में आने पर असमंजस


भारतीय युवक सरबजीत पर पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में हुए हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए इस बार महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 7 मई से आरंभ होने वाले सालाना उर्स मेले में पाक जायरीन के आने पर असमंजस उत्पन्न हो गया है। एक ओर जहां पाक जायरीन जत्थे को लेकर यहां विरोध के स्वर उठने लगे हैं, वहीं संभव है पाकिस्तान भी एहतियात के तौर पर अपने नागरिकों को यहां आने की अनुमति न दे।
ज्ञातव्य है कि पिछले कई साल से हर बार उर्स मेले में पाकिस्तानी जायरीन का बड़ा जत्था अजमेर में जियारत के लिए आता रहा है। उनका यहां बेहतरीन इस्तकबाल होता है, खादिमों की संस्था अंजुमन की ओर से जलसा होता है और प्रशासन भी उनकी आवभगत के पूरे इंतजाम करता है। एक बार तो नगर परिषद के भूतपूर्व सभापति स्वर्गीय वीर कुमार ने उनका परिषद के ओर से शानदार स्वागत भी किया था। पाक जायरीन यहां बड़े सुकून से जियारत करते हैं और बाजारों में घूम कर खरीददारी भी करते हैं। छिटपुट विवाद को छोड़ कर आम तौर पर उनके आगमन को लेकर कोई दिक्कत नहीं आती। लेकिन इस बार चूंकि पूरा देश सरबजीत के मामले में उबल रहा है, इस कारण तनिक संदेह होता है कि उनके आने पर कुछ अप्रिय भी हो सकता है। कुछ संगठनों और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने तो बाकायदा मांग ही कर दी है कि उन्हें यहां आने की अनुमति न दी जाए। उन्होंने गृहराज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल की सदारत में हुई तैयारी बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया। ऐसे में माहौल और गरमा गया है। चुनावी साल है, इस कारण मामला राजनीतिक रंग भी ले सकता है। इसके अतिरिक्त हिंदूवादी संगठन भी तीखा रुख अख्तियार कर सकते हैं। अब देखना ये है कि प्रशासन और सरकार क्या रुख अख्तियार करते हैं। हालांकि हर बार उर्स मेला शुरू होने से पहले ही पाक जायरीन के आने का आधिकारिक सूचना आ जाती है, मगर इस बार अब तक कोई सूचना नहीं है। संभव है पाकिस्तान सरकार भी अपने नागरिकों को ऐसे गरम माहौल में यहां आने की अनुमति न दे। कुछ मिला कर संशय कायम है। अगर पाक जत्था आया तो प्रशासन के लिए उनकी सुरक्षा करना एक बेहद कठिन काम हो जाएगा, क्यों कि वह तो पहले से ही मेले के इंतजाम और मेले के दौरान वीवीआईपी के आगमन व उनकी ओर से चादर पेश होने के कारण अत्यधिक व्यवस्त हो जाता है।
-तेजवानी गिरधर