सोमवार, 25 सितंबर 2017

प्रतिष्ठापूर्ण शिक्षा बोर्ड पर अनोखा सवालिया निशान

गोपनीयता व निष्पक्षता के मामले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड  का नाम पूरे देश में अव्वल है। यहां के परीक्षा सिस्टम को पूरे देश के शिक्षा बोर्डों में सर्वाधिक लीक प्रूफ माना जाता है। इसी वजह से देश के अनेक बोर्डों के प्रतिनिधिमंडल यहां आ कर यहां की कार्यप्रणाली जानने-समझने आ चुके हैं। देशभर के शिक्षा बोर्डों की संस्था कोब्से की अध्यक्षता करने का सौभाग्य स्थानीय बोर्ड अध्यक्ष को मिलने की वजह आदर्श परीक्षा पद्धति ही है। हालांकि समय-समय पर कर्मचारियों की लापरवाही व बदमाशी के कारण कुछ आर्थिक गड़बडिय़ां उजागर हुई हैं। इसके अतिरिक्त पेपर लीक के मामले भी सामने आए हैं, मगर उनमें अमूमन बोर्ड के बाहर की अधिक घटनाएं हैं। कुल मिला कर ऐसा माना जाता है कि इस बोर्ड में अंकों को लेकर घपलेबाजी या सेटिंग नहीं हो सकती। ऐसे प्रतिष्ठापूर्ण बोर्ड पर एक अनोखा सवालिया निशान अंकित हो गया है।
यह मामला अनोखा इस कारण है कि इसमें परीक्षक ने सेटिंग करके अंक बढ़ाए नहीं हैं, बल्कि घटाए हैं। अंक घटने के कारण सात परीक्षार्थियों को जब नुकसान हुआ तो उन्होंने मामला उजागर किया। असल में हुआ ये है कि कम अंक मिलने और अपने परिणाम से असंतुष्ट विद्यार्थियों ने बोर्ड से अपनी अंग्रेजी विषय की उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैन प्रति निकलवाईं तो इन उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैन प्रति को देख कर विद्यार्थियों के होश उड़ गए। शिक्षक ने सात विद्यार्थियों को पहले कुछ और अंक दिए और बाद में उन्हें व्हाइटनर से मिटा कर कम कर दिए। हालांकि इस प्रकरण को शिक्षक की लापरवाही करार दिया जा रहा है, मगर यह मामला साफ तौर पर सायास किया गया लगता है। लापरवाही तो तब होती जब शिक्षक उत्तर पुस्तिका को ठीक से नहीं जांचता, अथवा अंकों में योग में सावधानी नहीं रखता। व्हाइटनर से पुराने अंक छिपा कर नए अंक देने से यह साफ है कि यह जानबूझ कर किया गया है। ठीक से पड़ताल होने पर ही पता लग पाएगा कि परीक्षक ने बाद में जो अंक दिए हैं, वे सही हैं या गलत। इस प्रकरण के पीछे कोई साजिश है, यह तो जांच से ही सामने आ पाएगा, मगर संभावना इस बात की भी है कि पहले शिक्षक ने असावधानी के कारण कुछ अंक दिए, मगर जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने व्हाइटनर से पुराने अंक छिपा कर नए अंक दे दिए। जहां तक व्हाइटनर लगाने का प्रश्र है तो केवल ऐसा करने मात्र से मामले को संगीन नहीं माना जा सकता। सुधार के लिए वह व्हाइटनर का उपयोग कर सकता है। मगर यदि उसने किसी दुश्मनी के भाव से अथवा किसी के कहने से इस प्रकार की कारसतानी की है तो यह वाकई गंभीर बात है।
हालांकि बोर्ड अध्यक्ष बी एल चौधरी ने जो प्रतिक्रिया दी है, वह अपेक्षित और सीधी-सपट भी है कि शिक्षक ने उत्तर पुस्तिका की जांच में लापरवाही बरती है और जांच के बाद इसकी पुष्टि हो जाएगी। बोर्ड ऐसे शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा और उसे डीबार कर दिया जाएगा। मगर चूंकि बोर्ड की अपनी बड़ी प्रतिष्ठा है, इस कारण इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
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