शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2019

अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग सत्रह
स्वर्गीय श्री नवलराय बच्चानी
सिंधी भाषा व साहित्य की सुरक्षा व विकास के लिए अजमेर के पूर्व विधायक स्वर्गीय श्री नवलराय बच्चानी ताजिंदगी काम किया। नब्बे से भी अधिक उम्र तक उन्होंने सिंधी भाषी बच्चों को सिंधी लिपी की शिक्षा देने के लिए विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से कक्षाएं आयोजित कीं। वे सन् 1979 में राजस्थान सिंधी अकादमी की प्रथम सामान्य सभा के सदस्य रहे। सन् 1994 से 97 तक अकादमी के अध्यक्ष रहे। अकादमी ने उन्हें सन् 2005 में टी. एल. वासवाणी पुरस्कार से नवाजा। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें झूलेलाल संक्षिप्त जीवन परिचय, सिंधुपति महाराजा दाहरसेन का जीवन चरित्र, डॉ. हेडगेवार का जीवन परिचय, वृहद सिंधु ज्ञान सागर ग्रंथ, गुरुजी गोलवलकर, सिंध, वृहद झूलेलाल पुस्तक आदि प्रमुख हैं। उन्होंने श्रीमती कमला गोकलानी के सहयोग से के. आर. मलकानी की अंग्रेजी पुस्तक सिंध स्टोरी का सिंधी अनुवाद किया। उन्होंने भारतीय सिंधु महासभा की अनेक स्मारिकाओं का संपादन किया। अनगिनत साहित्यिक गोष्ठियों में शिरकत की और आकाशवाणी से उनकी अनेक वार्ताएं प्रसारित हुईं। 7 मार्च 2010 को भारतीय सिंधु सभा व श्री झमटमल तोलाराम वाधवानी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से मुंबई में अच्छे समाज सेवक के रूप में उन्हें सम्मानित किया गया। इसी प्रकार 10 अप्रैल 2010 को सिंधी शिक्षा विकास समिति की ओर से भी सम्मानित किया गया।

स्वर्गीय श्री नरेन्द्र राजगुरू
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक रहे स्वर्गीय श्री नरेन्द्र राजगुरू का नाम हालांकि आम जन मानस में अंकित नहीं है, मगर अपने जमाने में पत्रकारिता जगत में जाने-माने हस्ताक्षर थे। उन्होंने देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सेवाएं दी हैं और तकरीबन अस्सी वर्ष की उम्र में भी सतत लेखन कार्य जारी रखे हुए थे। उन्होंने जोधपुर में बीए ऑनर्स व मुंबई में पत्रकारिता का डिप्लोमा किया। उन्होंने डॉ. सत्यकामत विद्यालंकार के अभियान सप्ताहिक से लेखन कार्य शुरू किया। खादी ग्रामोद्योग मुम्बई व जयपुर में प्रचार सहायक व प्रचार अधिकारी रहे। इसके बाद डीसीएम की गृह पत्रिका से संपादन का कार्य शुरू किया। हिंद सायंकाल लि., मुम्बई में प्रचार अधिकारी के रूप में काम किया। हिंदी डायजेस्ट नवनीत, मुंबई में उपसंपादक के रूप में काम किया। मुम्बई में ही अनुजा मासिक पत्रिका आरंभ कर उसका संपादन किया। मुम्बई में ही दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र सायंदीप का संपादन किया। वे टाइम्स ऑफ इंडिया पत्र समूह, मुंबई में प्रशासनिक विभाग सहायक व अधिकारी के रूप में काम किया, लेकिन साथ ही लेखन कार्य भी जारी रखा। उन्हें लेखन की प्रेरणा डॉ. सत्येन्द्र जी व डॉ. धर्मवीर भारती से मिली। देश ही नहीं विदेश में ओमान के एक छोटे पत्र समूह और विश्व प्रसिद्ध संस्था नाफेन में भी काम किया। इस दौरान उन्हें लंदन व रूस जाने का मौका मिला। सन् 1949 से उनकी कहानियां देश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें इस प्रकार हैं:- उपन्यास एक और नीलम, उपन्यास गुलनार, कहानी संग्रह विश्वकर्मा के आंसू, कहानी संग्रह उगते सूरज की लाली, संस्मरण वृतांत दर्द की खुली किताब(मीना कुमारी), दिल तो पागल है, गजल संग्रह (अंग्रेजी में), उपन्यास बीहड़ों की रानी। उन्होंने पत्रकार निदेशिका का भी किया। वे अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग सोलह
श्री एस. पी. मित्तल
अजमेर की पत्रकारिता में श्री एस. पी. मित्तल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यदि यह कहा जाए कि वे एक ब्रांड हो गए हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस शख्स में गजब की ऊर्जा है। संघर्ष के मुकाबले कभी न थकने वाले इस इंसान ने पत्रकारिता में कई नए आयाम स्थापित किए हैं। अजमेर में पहली बार व्यवस्थित तरीके से केबल नेटवर्क पर लोकल न्यूज चैनल चलाने का श्रेय श्री मित्तल के खाते में ही दर्ज है। यूं अजमेर में सर्वप्रथम 1997 में यूनाइटेड वीडियो चैनल के लाइसेंस पर अजमेर चैनल के नाम से न्यूज चैनल शुरू हुआ था, जिसका संचालन श्री नानक भाटिया ने किया। सांपद्रायिक उपद्रव के दौरान उत्पात को दिखाए जाने पर जिला प्रशासन इसे रुकवा दिया। हालांकि बाद में यह चैनल फिर शुरू हुआ, मगर केबर वार के चलते फिर बंद हो गया। बाद में सन् 2000 में श्री मित्तल ने अजमेर अब तक के नाम से व्यवस्थित न्यूज चैनल आरंभ किया। इसका प्रसारण ब्यावर, किशनगढ़, नसीराबाद आदि उप खण्डों पर भी किया जाता था। सीमित साधनों में केबल पर न्यूज चलाना चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन इस काम को उन्होंने अपने अंजाम तक पहुंचाया। अजमेर वासियों के लिए यह पहला अनुभव था, इस कारण लोग बहुत दिलचस्पी के साथ इसे देखते थे। बाद में केबल वार के चलते उन्हें प्रसारण बंद करना पड़ा। दिलचस्प बात ये है कि श्री मित्तल ने दैनिक भास्कर के मुख्य संवाददाता की अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर अजमेर वासियों लोकल न्यूज चैनल से साक्षात्कार करवाया। यह अपने आप में एक बड़ी दुस्साहसपूर्ण उपलब्धि थी।
श्री मित्तल को पत्रकारिता विरासत में मिली। पिता स्वर्गीय श्री कृष्ण गोपाल गुप्ता ने पत्रकारिता की जो सीख दी, उसी के अनुरूप वे आज भी पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। श्री गुप्ता भभक नामक पाक्षिक का संचालन करते थे। यथा नाम तथा गुण की उक्ति को चरितार्थ करते हुए यह समाचार पत्र वाकई भभकता था। उनके निधन के बाद श्री मित्तल ने उसे उसी तीखे तेवर के साथ जारी रखा, जिसका प्रकाशन आज भी जारी है। श्री मित्तल ने लंबे समय तक राष्ट्रदूत व पंजाब केसरी के लिए बतौर ब्यूरो प्रमुख कार्य किया। जब राष्ट्रदूत का प्रकाशन अजमेर से आरंभ हुआ तो वे उसके पहले स्थानीय संपादक थे। पत्रकारिता में उनके लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी, मगर प्रबंधन से मतभेद के चलते उन्होंने एक झटके में इसे तिलांजलि दे दी।  बाद में जब दैनिक भास्कर अजमेर आया तो उन्होंने ही उसकी जाजम बिछाई। सरकूलेशन बढ़ाने के लिए जनता से सीधे जुड़े अनेक कार्यक्रम संचालित किए। इनमें वार्ड वार रूबरू कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हुआ। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि उनमें केवल पत्रकारिता के ही नहीं, अपितु प्रबंधन के भी गुण हैं। तकरीबन आठ साल तक भास्कर में डट काम किया और मुख्य संवाददाता के रूप में अनेक शानदार स्टोरीज की। विशेष रूप से प्रशासन व राजनीति पर उनकी गहरी पकड़ रही है। उन्होंने दैनिक नवज्योति के प्रथम पृष्ठ का भी संपादन किया। उसके बाद दैनिक पंजाब केसरी के अजमेर संस्करण के प्रभारी रहे। वहां भी तनिक विवाद के चलते नौकरी छोडऩे में देर नहीं लगाई। जीवन के इस मोड़ पर आ कर उन्होंने नियमित रूप से ब्लॉग लिखने का अनूठा प्रयोग किया। हालांकि यह काम अनार्थिक होने के साथ-साथ श्रमसाध्य है, मगर पता नहीं किस चक्की का आटा खाते हैं कि नियमित रूप से तीन-चार ब्लॉक लिख देते हैं। अनेक वाट्स ऐप ग्रुप्स में उसका प्रसार है और पाठकों को इंतजार रहता है कि आज उन्होंने क्या लिखा है। हालांकि उनसे भी पहले मैंने अजमेरनामा नाम से ब्लॉग लेखन तब आरंभ किया, जब अधिसंख्य पत्रकार इंटरनेट पर हिंदी फोंट यूनिकोड के बारे में जानते तक नहीं थे, मगर नियमित ब्लॉग लेखन का श्रेय श्री मित्तल को ही जाता है। अब तो अनेक ब्लॉगर हाथ आजमा रहे हैं। श्री मित्तल अब यू ट्यूब पर टॉक शो भी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त राज्य स्तरीय चैनल्स पर डिबेट में हिस्सा लेते हैं।
पत्रकारिता के साथ पत्रकारों के हितों के लिए भी उन्होंने कई काम किए हैं। वे जिला पत्रकार संघ के महासचिव रहे हैं और उनके कार्यकाल में ही जिले के पत्रकारों का पहला सफल सम्मेलन हुआ था। वे अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे हैं। हर साल आयोजित होने वाले फागुन महोत्सव में उनकी अहम भूमिका होती है। वे विश्व संवाद केन्द्र अजयमेरू के अध्यक्ष हैं और हर साल उल्लेखनीय कार्य करने वाले पत्रकारों को सम्मानित करते हैं।
जहां तक लेखनी का सवाल है, उनकी भाषा सीधी सपाट होती है, उसमें अलंकारों का बहुत अधिक उपयोग नहीं होता, मगर सूचना के लिहाज से वह अपडेट होती है। तेवर तो उनके मिजाज में है ही। उनकी लेखनी की प्रशंसा भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने भी की। 17 नवम्बर, 2005 को राष्ट्रपति के रूप में अजमेर आए कलाम ने तब श्री मित्तल और उनके परिवार के सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए सर्किट हाउस आमंत्रित किया। इस मुलाकात की रिपोर्ट जब कलाम ने भभक समाचार पत्र में पढ़ी तो राष्ट्रपति ने शुभकामनाएं भिजवायीं।
पत्रकारिता में अनेक उतार-चढ़ाव आने के बावजूद विविधता व नवाचार में अपनी प्रतिभा झोंकने वाले वे इकलौते धुन के पक्के पत्रकार हैं। चंद शब्दों में कहा जाए तो वे डंके की चोट पर लिखने वाले निडर व जीवट वाले और कभी न थकने वाले पत्रकार हैं। नवोदित पत्रकारों को उनसे सीख लेनी चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
7742067000