सोमवार, 27 मई 2013

यानि कि लेन-देन को लेकर ही अटकी थीं अस्पताल की पर्चियां

jln thumbअजमेर के जेएलएन अस्पताल के आउट डोर में पर्चियों के अभाव में बड़ा हंगामा हो गया। हालत ये हो गई कि मरीज व उनके परिजन ने अस्पताल अधीक्षक डॉ अशोक चौधरी के पीए प्रकाश का घेराव कर प्रदर्शन तक कर दिया। जानकारी ये आई कि अकाउंट शाखा ने पर्ची प्रिंट करने वाली फर्म का भुगतान रोक रखा था और जब हंगामा हुआ तो आनन-फानन में फर्म के रोके गए पांच लाख रुपए में से करीब चार लाख रुपए के दो अलग-अलग चेक पास कर दिए।
सवाल ये उठता है कि आखिर अकाउंट शाखा ने भुगतान क्यों रोक कर रखा था। यदि उसमें तकनीकी दिक्कत थी तो फिर बिना उसे दुरुस्त किए ही आनन-फानन में चैक कैसे जारी कर दिए? जाहिर है कि पर्ची बनाने वाली फर्म ने पहले ही चेता दिया होगा कि अगर भुगतान नहीं किया तो वह और पर्चियां नहीं देगी। बावजूद इसके भुगतान रोके रखा गया और हालत ये होने दी गई कि तकरीबन दो घंटे तक मरीजों को धक्के खिलाए गए तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हालांकि अस्पताल अधीक्षक डॉ. चौधरी यह कह कर बचने की कोशिश कर रहे हैं कि लेखा विभाग की अनदेखी की वजह से फर्म का भुगतान समय पर नहीं हो पाने के चलते परेशानी का सामना करना पड़ा, मगर ऐसा कह कर क्या वे अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं? जैसी कि जानकारी है अस्पताल कर्मियों ने एक सप्ताह पहले ही पर्ची खत्म होने की जानकारी अधिकारियों दे दी थी। साथ ही यह भी बताया था कि जिस फर्म को पर्ची छापने का ठेका दिया है, उसका करीब 5 लाख रुपए भुगतान नहीं होने से फर्म ने पर्ची देने से इनकार कर दिया है। अस्पताल अधीक्षक ने भी लेखा विभाग को शीघ्र ही फर्म का शेष भुगतान करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी समय रहते फर्म को भुगतान नहीं किया गया, इसका क्या अर्थ निकाला जाए? स्पष्ट है कि डॉ. चौधरी ने इस बारे में लापरवाही बरती। रहा सवाल अकाउंट शाख का तो संदेह यही होता है कि लेन-देन में कमी-बेसी के चलते ही उसने कोई न कोई अडंगा लगा कर भुगतान रोक रखा था, जो कि हंगामा होने पर अचानक हट गया।
-तेजवानी गिरधर

सोनवाल का मुंह खुलने के डर से सहमे हैं कई पुलिस अफसर

sp lokesh sonvaal 02एक ओर जहां लंबे समय तक फरार रहने के बाद कानून के शिकंजे में आए पूर्व एएसपी लोकेश सोनवाल खुद को पाक-साफ बता कर बचाव का हर कानूनी रास्ता तलाश रहे हैं, तो दूसरी ओर पुलिस के कई आला अफसर इस कारण खौफ में हैं, क्योंकि उन्हें अंदाजा है कि सोनवाल को पूरे रिश्वत प्रकरण का मुख्य सूत्रधार मानने वाली एसीडी आखिरकार सोनवाल को अंदर करवा के ही मानेगी और वे कई अफसरों की पोल खोल सकते हैं।
यदि एसीडी की अब तक की कार्यवाही और जुटाए गए तथ्यों को बिलकुल ठीक मानें तो यह लगभग सच है कि पुलिस का दलाल रामदेव ठठेरा और सोनवाल के गहरे संपर्क थे और दोनों के दिल-दिमाग में कई राज दफ्न हैं, जिनसे खुलने से कई अन्य अफसरों की बारह बज सकती है।
जैसे ही अखबारों में यह जानकारी आई है कि ठठेरा प्रदेश के कई पुलिस अफसरों के संपर्क में था और वह उनके लिए खबरची का काम करता था, उसके साथ सोनवाल के रिश्तों को जोड़ कर पुलिस अफसर डर रहे हैं कि कहीं वे कोई ऐसा राज न खोल दें, जिससे उनके लिए परेशानी खड़ी हो जाए। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एसीडी के पास प्रदेश के नौ अधिकारियों के नाम व मोबाइल नंबर के साथ ठठेरा की उनसे हुई बातचीत की अवधि अंकित है। खुद सोनवाल ने भी इस बाबत संकेत दिए थे कि ठठेरा एसीबी की गतिविधियों पर भी नजर रखता था। यह तथ्य तक उभर कर आया है कि निलंबित आईपीएस डॉ अजयसिंह के खिलाफ हुई एसीबी कार्रवाई के बाद अजमेर सोनवाल से मिले ठठेरा ने बताया था कि अजय सिंह के बाद उसके गुरु अर्थात तत्कालीन एसपी राजेश मीणा की बारी है। अर्थात मीणा के फंसने के संकेत तक सोनवाल के जेहन में दफ्न हैं।
बहरहाल, ताजा घटनक्रम से यह साफ लग रहा है कि एसीडी किसी भी सूरत में सोनवाल को छोडऩे वाली नहीं है, क्योंकि उसने उसको बहुत छकाया है। उधर सोनवाल भी खुद को बचाने के लिए हर नीति अपना रहे हैं। वे साफ तौर पर एसीडी को कार्यवाही में पूरी मदद करने को तैयार हैं, अर्थात वे उसी मदद के दौरान बहुत कुछ ऐसा उगल सकते हैं, जिससे बड़े अफसर परेशानी में पड़ जाएंगे। हालांकि एसीडी के नजर में सोनवाल मुख्य सूत्रधार है, मगर कयास ये भी लगाया जा रहा है कि अपने पास उपलब्ध जानकारियों का दबाव बना कर वे सरकारी गवाह बनने की कोशिश कर सकते हैं। इसका इशारा उनकी इस बात ये लगता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे भले ही ठठेरा के संपर्क में थे, मगर उनका लेन-देन से कोई वास्ता नहीं रहा, वे तो बड़े अफसरों से ठठेरा के संबंधों के कारण उसे सम्मान देते थे। ठठेरा को तवज्जो देना उनकी मजबूरी थी। इससे स्पष्ट है कि सोनवाल को ठठेरा की जन्मकुंडली का भी पूरी तरह से ज्ञान है। खैर, अब देखना ये है कि कहानी कहां तक जाती है।
जहां तक सोनवाल की स्थिति का सवाल है, वे खुद भी बहुत सहमे हुए हैं और अब मीडिया फ्रंडली होने की कोशिश कर रहे हैं। वे जानते हैं कि अजमरे का मीडिया बहुत तेज-तर्रार है। क्लॉक टॉवर के सीआई हरसहाय मीणा अपने जमाने के खुर्रांट अफसर थे, मगर जब मीडिया के हत्थे चढ़े तो उसने उनकी बारह बजा कर रख दी।
-तेजवानी गिरधर