शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

जिला कलेक्टर को है सिर्फ स्वच्छ भारत मिशन की चिंता

पिछले कुछ दिन से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिला कलेक्टर आरुषि मलिक को केवल स्वच्छ भारत मिशन की ही चिंता है। वे लगातार केवल इसी पर मोनिटरिंग कर रही हैं। जैसे अर्जुन की नजर केवल मछली की आंख पर थी, वैसे ही उनकी नजर भी केवल इसी योजना पर है। सूत्रों का मानना है वे अजमेर जिले को इस योजना के तहत अव्वल लाना चाहती हैं। अगर ऐसा करने में वे सफल हो गईं तो स्वाभाविक रूप से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा, जो कि उनकी सीआर के काम आएगा। यानि कि वे ठीक उसी प्रकार काम कर रही हैं, जैसे किसी जमाने में जिला कलेक्टर अदिति मेहता ने किया था। उन्होंने अपनी पूरी ताकत अजमेर जिले को संपूर्ण साक्षर जिला बनाने में लगा दी थी। वे कामयाब भी हुईं। मगर दोनों कलेक्टरों में फर्क ये है कि अदिति मेहता ने साक्षरता के अतिरिक्त अन्य योजनाओं पर भी पूरा ध्यान दिया। यहां तक कि अजमेर को अतिक्रमण से मुक्त करने का भी सफलतम अभियान चलाया। आरुषि मलिक केवल स्वच्छ भारत अभियान पर ही ध्यान दे रही हैं। उनका सारा फोकस उसी पर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल से स्मार्ट सिटी के लिए हो रही कवायद के दौरान उन्होंने खास रुचि नहीं दिखाई। केवल संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ही मॉनिटरिंग करते रहे। मीडिया ने इसे रेखांकित भी किया, मगर उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। हालत ये है कि वे अजमेर के दोनों मंत्रियों को भी अपेक्षित तवज्जो नहीं देतीं। उनका यह रवैया भी मीडिया में उजागर हो चुका है। वस्तुत: आरुषि मलिक जानती हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्कांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना को सफल बनाने पर ही उनके नंबर दिल्ली में बढ़ेंगे। अगर एक बार दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो गईं तो उसके बाद दिल्ली जा कर केन्द्रीय मंत्रालयों में काम करने का मौका मिलेगा।
दूसरी ओर प्रशासन की अधिकतर बैठकें अतिरिक्त जिला कलेक्टर किशोर कुमार ले रहे हैं। वे ओवरलोड हैं। डट कर काम करने की आदत के कारण पूर्व कलेक्टर मंजू राजपाल के कार्यकाल में भी उनको ढ़ेर सारे काम दे रखे थे। वे इसी में खुश हैं।