सोमवार, 22 मई 2017

पुलिस अफसरों में ही तालमेल नहीं, कैसे सुधरेंगे हालात?

राजेन्द्र सिंह
अजमेर के निवनियुक्त जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने हाल ही जब नियम तोड़ कर वाहन चलाने वाले पुलिसकर्मियों के भी चालान कटवाए तो ऐसा लगा कि वे नई ऊर्जा व उत्साह के साथ आए हैं और पुलिस महकमे में आमूलचूल सुधार करने वाले हैं, मगर चंद दिन बाद ही राज खुल गया कि उनके अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों में ही तालमेल नहीं है।
ज्ञातव्य है कि अजमेर पुलिस की कमान संभालने के तुरंत बाद उन्होंने  आमजन को सुधारने से पहले पुलिसकर्मियों को भी सुधारने के आदेश दिए। और उसी अनुरूप जिला पुलिस लाइन के बाहर यातायात के उपनिरीक्षक वी डी शर्मा और उनके सहयोगियों को तैनात किया। उन्होंने पुलिस लाइन में आने और जाने वाले पुलिसकर्मियों द्वारा हेलमेट नहीं लगाने, कार पर काली फिल्म चढ़ी होने सहित अन्य नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की। ऐसा होता देख मीडिया को सुखद अहसास हुआ कि पिछले पुलिस अधीक्षक नितिन दीप ब्लग्गन के कार्यकाल में चरमरा चुकी कानून व्यवस्था लाइन पर आ जाएगी। मगर चंद दिन बाद ही पुलिस महकमे की पोल खुल गई है कि खुद उनके बीच ही तालमेल नाम की कोई चीज नहीं है। ऐसे में नए एसपी से कानून व्यवस्था में सुधार की क्या उम्मीद की जा सकती है?
हुआ यूं कि धार्मिक नगरी में नशे के सौदागरों और शराब माफियाओं के अवैध धंधों की शिकायत सीधे एसपी राजेंद्र सिंह को मिली थीं। समझा जा सकता है कि उन्हें ये समझ में आ गया होगा कि पुष्कर में बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार फल फूल रहा है, मगर  पुष्कर थाना पुलिस ने कार्रवाई नहीं की है। अर्थात उसकी शराब तस्करों को पकडऩे में जरा भी रुचि नहीं है, जो कि सांठगांठ की ओर इशारा करता है। इस पर एसपी ने खुद एएसपी मोनिका सेन व उनकी टीम को पुष्कर में शराब के ठिकानों पर रेड के लिए भेजा। रेड के दौरान 9 ठिकानों पर कार्रवाई कर 9 लोगों को शराब बेचते रंगे हाथों पकड़ा गया। यूपी के दो चरस तस्कर भी पकड़े गए।
मगर यह बेहद अफसोसनाक बात रही कि आईपीएस मोनिका सेन ने पुष्कर सीआई दुलीचंद को कार्रवाई में मौके पर बुलाया, मगर वे नहीं गए। बाद में आला कमान के आदेशों पर जिला पुलिस कंट्रोल रूम से सीआई को मौके पर पहुंचने के लिए कहा गया, लेकिन फिर भी वे नहीं पहुंचे और थाने की जीप भिजवा दी। उनकी धौंस देखिए कि जब टीम कार्यवाही कर लौटी तो उस पर ही गुस्सा उतारने लगे। उनका ये व्यवहार पुष्कर में हो रहे नशे के बेखौफ कारोबार की पूरी कहानी बयां करने के लिए काफी है।
एक ओर सरकार तीर्थराज की महत्ता और पर्यटन के मद्देनजर विभिन्न योजनाओं में बजट आवंटित कर रही है, दूसरी और वहीं की पुलिस को इस तीर्थ की पवित्रता से कोई लेना देना नहीं है। उसकी का परिणाम है कि परचून की दुकान हो या फिर हाई-वे के ढाबे, रेस्त्रां, टेंट हाउस और शराब की आवंटित दुकानों की अवैध ब्रांच, सभी जगह खुलेआम देशी-अंग्रेजी शराब बिक रही है।
हालांकि एसपी का कहना है कि अगर छापामार कार्यवाही के मामले में पुष्कर थाना पुलिस की कोई लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी, मगर जिस तरह का सीआई का रवैया है, संदेह ही होता है कि कोई गंभीर कार्यवाही होगी। वे तो कह रहे हैं कि उन्हें तो टीम के आने का कुछ भी पता नहीं। बहरहाल, पुलिस अधिकारियों के बीच संवाद की जो भी कमी रही हो, मगर इतना तय है कि उनके बीच तालमेल कत्तई नहीं है। ऐसे में देखते हैं नए एसपी कैसे सुधार पाते हैं कि जिले की कानून व्यवस्था?
-तेजवानी गिरधर
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