बुधवार, 9 अगस्त 2017

मजबूत जाट नेता के रूप में भाजपा को बड़ा नुकसान

राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष व अजमेर के भाजपा सांसद प्रो. सांवरलाल के निधन से जहां देश व राज्य ने एक सशक्त किसान नेता खो दिया है, वहीं भाजपा राजनीतिक रूप से एक मजबूत जाट नेता से वंचित हो गई है, जिसकी क्षतिपूर्ति बेहद मुश्किल है। कदाचित वे इकलौते जाट नेता थे, जिन्होंने अजमेर जिले में परंपरागत रूप से कांग्रेस विचारधारा के जाट समुदाय को भाजपा से जोड़े रखा। जल संसाधन मंत्री रहे प्रो. जाट ने अनके बार मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के लिए संकट मोचक के रूप में भूमिका निभाई।
स्वर्गीय श्री बालूराम के घर गोपालपुरा गांव में 1 जनवरी 1955 को जन्मे श्री जाट ने एम.कॉम. व पीएच.डी. की डिग्रियां हासिल की। पेशे से वे प्रोफेसर थे, मगर बाद में राजनीति में भी उन्होंने सफलता हासिल की। वे राजस्थान विश्वविद्यालय के लेखा शास्त्र एवं सांख्यिकी विभाग के सह आचार्य रहे। चौधरी चरण सिंह के लोकदल से 1990 में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले जाट ने फिर राजनीति में पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वे कितने लोकप्रिय थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य चुने गए। वे 13 दिसंबर 1993 से 30 नवंबर 1998 तक सहायता एवं पुनर्वास विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 8 दिसंबर 2003 से 8 दिसंबर 2008 तक जल संसाधन, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, भू-जल एवं सिंचित क्षेत्र विकास विभाग के मंत्री रहे। तेरहवीं विधानसभा के चुनाव में उनका विधानसभा क्षेत्र भिनाय परिसीमन की चपेट में आ गया और उन्होंने नसीराबाद से चुनाव लड़ा, लेकिन कुछ वोटों के अंतर से ही श्री महेन्द्र सिंह गुर्जर से पराजित हो गए। पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में वे अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने अपने महिला मोर्चे की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को चुनाव मैदान में उतार दिया था, जो कि पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री व मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से हार गईं। चौदहवीं विधानसभा के चुनाव में वे नसीराबाद से जीते और फिर से जलदाय मंत्री बनाए गए, मगर उसके बाद सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में उन्हें अजमेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़वाया गया और उन्होंने पायलट को हरा दिया। 20 दिसम्बर 2013 को उन्होंने केंद्रीय मंत्री की शपथ ग्रहण की। मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में राज्यमंत्री बने प्रोफेसर सांवरलाल जाट सांसद बनने के बाद भी वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने पर हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहे। विपक्ष ने कई बार सांवरलाल जाट को लेकर सदन की कार्यवाही में बाधा डाली और सदन से वॉकआउट किया।
मोदी मंत्रीमंडल के फिर हुए विस्तार में उन्हें स्वास्थ्य कारणों से मंत्री पद से हटा दिया गया। इसका जाट समाज ने कड़ा विरोध किया। आखिरकार मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को उन्हें राज्य किसान आयोग का अध्यक्ष बना कर केबीनेट मंत्री का दर्जा दिया।
उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये रही कि वे अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक अथवा निजी कामों के लिए सदैव तत्पर रहते थे। अजमेर ने एक दिग्गज किसान नेता तो खो ही दिया है, उनके निधन से भाजपा को ज्यादा बड़ा नुकसान हुआ है। उनके मुकाबले का दूसरा जाट नेता भाजपा के पास नहीं है। अब संभव है अजमेर संसदीय सीट के लिए आगामी छह माह के भीतर होने वाले उपचुनाव में भाजपा उनके पुत्र रामस्वरूप लांबा को स्वर्गीय प्रो. जाट की विरासत संभालने को कहे।
-तेजवानी गिरधर
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