बुधवार, 15 मार्च 2017

होली भी एक साथ नहीं मना पा रहे भाजपाई

वाकई अजमेर की माया तीन लोक से न्यारी मथुरा की तरह है। एक ओर उत्तरप्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत से कार्यकर्ता बौरा रहा है और मोदी मोदी करते नहीं थक रहा, वहीं अजमेर के बेचारे भाजपा कार्यकर्ता होली जैसा त्यौहार तक मिल कर नहीं मना पा रहे। परंपरा रही है कि होली के मौके पर नाराज दोस्तों व रिश्तेदारों को दुश्मनी समाप्त करवाई जाती है। यदि दुश्मनी खत्म न भी हो तो कम से कम एक दूसरे को रंग तो लगवा ही दिया जाता है। मगर अजमेर की भाजपा का निराला ही रंग है। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल के बीच वर्षों पुरानी अदावत समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही। होना तो यह चाहिए था कि शहर भाजपा के बैनर तले शहर भर के कार्यकर्ता एक हो कर होली मनाते, मगर बाकायदा अजमेर उत्तर के कार्यकर्ताओं का अलग से होली मिलन समारोह फॉयसागर रोड स्थित दोसी वाटिका में हुआ। इसमें अजमेर दक्षिण के श्रीमती भदेल के करीबी नजर नहीं आए। कार्यकर्ता किस कदर बंटे हुए हैं, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वाट्स ऐप पर भी दोनों के समर्थकों के अलग-अलग ग्रुप बने हुए हैं। एक है टीम अनिता भदेल तो दूसरा चौथी बारी देवनानी। इस गुटबाजी में कार्यकर्ता कितना पिस रहा है, यह तो वह ही जानता है। अफसोसनाक बात ये है कि दोनों के बीच एकता करने की हिम्मत किसी में नहीं। यहां तक कि संघ भी चुपचाप सब देख रहा है।
खैर, देवनानी ने सार्वजनिक रूप से भले ही न कहा हो, मगर उनकी चौथी बार चुनाव लडऩे की पूरी तैयारी है। आज इलैक्शन हो जाए तो वे पूरी तरह से तैयार हैं।
वैसे ये भी एक आश्चर्य है कि बाकायदा दो गुटों में बंटी होने के बाद भी भाजपा पिछली तीन बार से लगातार दोनों सीटों पर जीतती रही है और अब चौथी बार भी दोनों चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं।

आप को है अजमेर उत्तर में सिंधी प्रत्याशी की तलाश

कानाफूसी है कि आम आदमी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अजमेर उत्तर से किसी सिंधी प्रत्याशी की तलाश है। हालांकि अभी तय नहीं कि पार्टी की आगामी चुनाव में राजस्थान में क्या भूमिका रहेगी, मगर गुप्त रूप से पार्टी के प्रतिनिधि अजमेर उत्तर के लिए प्रत्याशी की खोज कर रहे हैं। उन्होंने कुछ लोगों से संपर्क भी किया है। कदाचित पार्टी का ख्याल है कि इस बार भी कांग्रेस किसी सिंधी को टिकट नहीं देगी, ऐसे में उनकी ओर से सिंधी प्रत्याशी उतारा गया तो वह सिंधी वोटों का बंटवारा कर सकता है।  जानकार लोगों का मानना है कि दोनों दल भले ही किसी को भी टिकट दें, मगर कोई न कोई सिंधी राजनीति में पहचान बनाने के लिए टिकट लेने को राजी हो ही जाएगा। वैसे आम आदमी पार्टी का सिंधी प्रत्याशी तभी त्रिकोणीय मुकाबला कर सकता है, जबकि दोनों ही दल गैर सिंधी को टिकट दें, जिसकी संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।

खोयी जमीन फिर संभाल रही हैं अनिता भदेल

आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल अपने इलाके में खोयी जमीन फिर से संभालने की जुगत में है। इसके लिए उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के उपलक्ष में दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के 32 वार्डों में क्रिकेट प्रतियोगिता करवाने का कार्यक्रम बनाया है।
सर्वविदित है कि पिछले नगर निगम चुनाव में अजमेर दक्षिण में भाजपा का परफोरमेंस बहुत कमजोर रहा, जिसे इस रूप में लिया गया कि श्रीमती भदेल जिस क्षेत्र से लगातार तीन बार जीती हैं, उसकी जमीन खिसक गई है। वस्तुत: पिछले विधानसभा चुनाव में हारे कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अगली बार चुनाव लडऩे का मानस रखते हुए निगम चुनाव में कड़ी मेहनत की। हर वार्ड में अपनी टीम बनाई। नतीजतन उन्हें कामयाबी मिली।  यह चमत्कार उन्होंने युवाओं के सहयोग से किया। श्रीमती भदेल जानती हैं कि अगर अगले चुनाव में भी उन्हें जीतना है तो युवकों को नए सिरे से जोडऩा होगा। यही ख्याल में रख कर उन्होंने वार्ड वार क्रिकेट प्रतियोगिता का अनूठा प्रयोग करने का निश्चय किया है। सब जानते हैं कि आज युवाओं में क्रिकेट का कितना क्रेज है। अगर यह प्रतियोगिता वे सफलतापूर्वक करवा लेती हैं तो निश्चय ही युवा वर्ग से उनका जुड़ाव हो जाएगा।
दो चतुराइयां उन्होंने और की हैं। एक तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के बहाने संघ को तुष्ट करने की कोशिश की है, दूसरा अनुसूचित जाति के मतदाताओं को लामबंद करने के मकसद से इस आयोजन का उद्घाटन 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा आंबेडकर की जयंती के मौके पर कर रही हैं। बाबा साहेब के प्रति अनुसूचित जाति में कितनी श्रद्धा है, ये किसी से छिपी नहीं है। प्रतियोगिता की व्यवस्थाओं का जिम्मा अजमेर नगर निगम के उप महापौर संपत सांखला को दिया है, जो कि लो प्रोफाइल व मैनेजमेंट के सिद्धहस्त कलाकार हैं। बस, एक बात अटपटी लगी, वो ये कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम को उपयोग किया है तो किसी स्वदेशी खेल की प्रतियोगिता करवानी चाहिए थी, मगर वो केवल आदर्श की बात है। आज आप कबड्डी, खो-खो, गिल्ली-डंडा या सतोलिया की प्रतियोगिता करवाते तो कोई नहीं जुड़ता, जितना कि क्रिकेट के नाम से जुड़ेगा।
बहरहाल, अब देखना ये होगा कि वे अपने मकसद में कितना कामयाब हो पाती हैं। वैसे है ये धांसू आइडिया। जिसने भी दिया है, वह श्रीमती भदेल की ओर से साधुवाद का पात्र बनता है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000