बुधवार, 16 नवंबर 2016

नितेश गहलोत ने की पुष्कर से कांग्रेस टिकट की दावेदारी

हालांकि विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं और कांग्रेस ने अभी टिकट वितरण प्रक्रिया के लिए दावेदारी मांगना शुरू नहीं किया है, मगर पुष्कर के वरिष्ठ कांग्रेस नेता ताराचंद गहलोत के पुत्र नितेश गहलोत ने अभी से दावेदारी ठोक दी है। इस आशय का एक समाचार एक अखबार में छपा भी है, जो कि समझा जा सकता है कि उन्होंने ही छपवाया होगा, उसकी कटिंग फेसबुक पर शाया की है। उनका दावा है कि पुष्कर के आसपास माली समाज के अतिरिक्त अन्य समाजों पर भी उनका प्रभाव है। वैसे एक बात तो सही है कि उनके पिता ताराचंद गहलोत कई साल से कांग्रेस के सक्रिय नेता हैं। स्वयं नितेश भी पिछले कुछ समय से काफी सक्रिय हैं। अब देखना ये होगा कि क्या इस बार कांग्रेस मुस्लिम दावेदार पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की दावेदारी को नकार कर माली समाज के इस नेता पर दाव खेलती है? इतना ही नहीं पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती भी इस बार पुष्कर से दावेदारी करते दिखाई दे रहे हैं। इन दो दिग्गजों को ओवर टेक कर कैसे नितेश आगे आते हैं, ये दिलचस्प होगा।

चुनाव नहीं लड़ेगी कीर्ति पाठक

किसी समय अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान उभरी और बाद में आम आदमी पार्टी में सक्रिय रहीं श्रीमती कीर्ति पाठक आज भी सक्रिय हैं। आंदोलन के दौरान व्यवस्था के खिलाफ उग्र रूप में आवाज उठाने वाली ये महिला आज व्यवस्था में कैसे सुधार किया जाए, कैसे मदद की जाए, कैसे नवाचार किया जाए, इसके लिए काम कर रही हैं। वे इन दिनों यूनाइटेड अजमेर नामक संगठन या यूं कहिए कि मुहिम की संयोजिका हैं और निरंतर किसी न किसी सकारात्मक कार्य में जुटी रहती हैं। उनकी इस सक्रियता के चलते ही कई लोगों के जेहन में यह सवाल उठता है कि कहीं वे आगे चल कर चुनाव लडऩे का मानस तो नहीं रखतीं। इसकी वजह ये है कि अमूमन इसी प्रकार समाजसेवा के बाद लोग राजनीति का रुख अख्तियार करते हैं। अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान भी उनके बारे में ऐसे कयास थे, मगर उन्होंने तब भी यही कहा था कि वे कभी सक्रिय राजनीति में नहीं आएंगी। हालांकि बाद में आम आदमी पार्टी  से जुडऩे पर सक्रिय राजनीति में तो आईं और उन पर ऐसा दबाव था कि चुनावी रण में उतरें, मगर वे पीछे हट गईं। एक बार फिर उनकी सक्रियता पर ये सवाल उठ रहे हैं कि वे चुनावी तैयारी कर रही हैं। इस पर उन्हें स्पष्ट करना पड़ा है कि ऐसा कुछ नहीं है। बाकायदा घोषणा कर रही हैं कि वे कभी चुनाव नहीं लड़ेंगी। हालांकि अब भी एक संदेह तो बरकरार है ही कि वे चुनाव के वक्त कोई न कोई भूमिका अदा करेंगी। ठाली तो नहीं बैठी रहेंगी। वे किस का साथ देंगी, इसका कयास आप करिये।
बहरहाल, चुनाव न लडऩे की घोषणा करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखी है, उसे हूबहू दिया जा रहा है, ताकि बाद वक्त सनद रहे:-

स्वार्थ के इस समय में निस्स्वार्थ भाव से की जाने वाली सेवा पर भी लोगों को शक होता है ...
वाजिब है क्यूँकि हमारी मनःस्थिति वर्तमान काल से जुड़ी होती है ...
यूनाइटेड अजमेर एक ग़ैर राजनैतिक initiative है , इस में सभी अजमेरवासी अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता से इतर एक अजमेरवासी के रूप में जुड़े हैं ...
पर हाँ सब के राजनैतिक जुड़ाव को छुपाया नहीं गया है ...
इस initiative की संयोजिका होने के नाते साथियों की अपेक्षाएँ मुझ से कुछ ज़्यादा हैं, और होनी भी चाहिएँ क्यूँकि जब कोई व्यक्ति lead करता है तो उसे एक example set करना होता है ...
Whatsapp group में परसों रात एक चर्चा के दौरान एक सहयोगी भाई ने अपने और उन के जानकारों के मस्तिष्क में जो प्रश्न था उसे पूछा ...
आप सभी साथियों के साथ उस उत्तर को share कर रही हूँ ताकि यदि किसी को कोई भी शंका हो तो दूर हो जाए ....
मैं कभी भी चुनाव नहीं लड़ूँगी और इस initiative से किसी भी प्रकार का वोट के रूप में फ़ायदा नहीं लूँगी ...
आशा है आप कि शंका का निवारण हो गया होगा ...
UNITED AJMER सिर्फ़ अजमेरवासियों को निस्स्वार्थ भाव से जोड़ कर अजमेर का चेहरा बदलने की कोशिश मात्र है ...
जय हिंद !!!
- कीर्ति पाठक