शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

अनिता भदेल ने दिया भगत को एक और झटका


अजमेर दक्षिण की विधायक श्रीमती अनिता भदेल के खाते में एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। उन्होंने भगवान गंज स्थित जिस 2421 वर्ग गज जमीन के मामले को उठाया था, उसका नियमन यूआईटी ने निरस्त कर दिया है। और इस प्रकार एक ओर जहां करोड़ों रुपए की जमीन भूमाफियाओं के हाथों जाने से बच गई, वहीं यूआईटी अधिकारियों की मिलीभगत से भूमाफियाओं के साथ की जा रही बंदरबांट का भी खुलासा हो गया है। इतना ही नहीं अनिता के हाथों यूआईटी सदर नरेन शहाणी भगत को एक और झटका लग गया है।
मामला ये था कि जयपुर के रामनगर, सोडाला निवासी मीरा छतवानी ने भगवान गंज स्थित खसरा संख्या 5237 की 2421 वर्ग जमीन का नियमन करने के लिए आवेदन किया था। यूआईटी ने 18 जुलाई को आवेदन मंजूर कर नियमन आदेश जारी कर दिए। यहां तक कि नियमन राशि जमा कर पट्टा भी जारी कर दिया गया और सब रजिस्ट्रार के यहां से रजिस्टर्ड हो गया। इस पर विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने इस नियमन में भारी अनियमितता बताते हुए यूआईटी पर भू माफियाओं को उपकृत करने का आरोप लगाया। भदेल का आरोप था कि जमीन की बाजार कीमत 50 करोड़ रुपए है और यूआईटी ने कौडिय़ों में बेशकीमती जमीन का नियमन कर भू-माफियाओं को मालामाल कर दिया। भदेल का यह भी कहना था कि मीरा छतवानी के नाम नियमन किया गया है लेकिन इस जमीन से शहर के भू-माफिया सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। ज्ञातव्य है इस मसले को लेकर यूआईटी सदर नरेन शहाणी के बीच नोंकझोंक भी हुई। जब अनिता भदेल अचानक यूआईटी धमक गई और मामले के दस्तावेज दिखाने को कहा तो भगत दिखवा नहीं पाए क्योंकि संबंधित बाबू मौजूद नहीं था। हालांकि भगत ने विधायक अनिता भदेल द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए कहा था कि भदेल की आपत्ति को देखते हुए मामले की जांच कर रिपोर्ट करने के आदेश दे दिए।  इस मामले में अनिता भदेल का आरोप था कि यूआईटी अध्यक्ष भगत और सचिव श्रीमती पुष्पा सत्यानी ने उनके द्वारा इस मामले की जानकारी चाहने पर नियमन की पत्रावली का अवलोकन नहीं करवाया। जबकि सरकार के निर्देश है कि जनप्रतिनिधि मिलने आए तो उन्हें वांछित जानकारी एवं दस्तावेज उपलब्ध कराने के साथ पूरा सम्मान दिया जाए।
इसी सिलसिले में भगत के  आदेश पर यूआईटी ने मौके की स्थिति का आकलन करते हुए मीरा छतवानी को 17 अगस्त को नोटिस जारी कर दिया। नोटिस में कहा गया कि उनके नियमन के संबंध में प्राप्त शिकायतों पर जांच की गई है। छतवानी का मौके पर मात्र 106.25 वर्ग गज जमीन पर ही कब्जा है। यूआईटी ने छतवानी से स्पष्टीकरण चाहा था कि क्यों नहीं उनका नियमन खारिज कर दिया जाए। यूआईटी प्रशासन को स्पष्टीकरण नहीं मिलने पर नियमन निरस्त कर दिया गया। इस बारे में खुद न्यास सचिव श्रीमती पुष्पा सत्यानी का कहना है कि जांच में पाया गया था कि मीरा छतवानी का पूरी जमीन पर कब्जा नहीं है, इस कारण नियमन निरस्त कर दिया गया है।
कुल मिला कर श्रीमती भदेल के खाते में एक और उपलब्धि दर्ज हो गई कि उन्होंने करोड़ों की जमीन भूमाफियाओं के हाथों से बचवा ली। साथ ही इस मामले में भगत को मुंह की खानी पड़ी है कि वे किस आधार पर आरोप को झूठा बता रहे थे। हालांकि तुरंत जांच के आदेश देने से यह तो स्पष्ट हो गया है कि भगत की इस मामले में सीधी संलिप्तता तो नहीं रही होगी, मगर उनकी छत्रछाया में कैसा भ्रष्टाचार पनप रहा है, इसका तो खुलासा हो ही गया है। प्रकरण से यह भी स्पष्ट हो गया है कि न्यास में गजब की धांधली मची हुई है और भगत की ढि़लाई के चलते अधिकारी लूटने में लगे हुए हैं। अपुन ने भगत के कार्यभार संभालते ही सचेत किया था कि अगर उन्होंने सावधानी नहीं बरती तो लपेटे में आ जाएंगे। इस प्रकरण के साथ ही पुष्पा सत्यानी संदेह के घेरे में आ गई हैं और आशंका है कि वे भगत के कार्यकाल का सत्यानाश न कर दें।
-तेजवानी गिरधर