रविवार, 5 मई 2013

दरगाह कमेटी सदस्यों को नहीं चिंता उर्स मेला व्यवस्थाओं की


बेशक महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स की व्यवस्थाएं जिला प्रशासन, नगर सुधार न्यास व नगर निगम को ही करनी होती है, मगर दरगाह की अंदरूनी व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार दरगाह कमेटी के नव मनोनीत सदस्यों ने उर्स शुरू होने से पहले एक बार भी अजमेर आने का कष्ट नहीं उठाया है। इससे ऐसा संदेश जा रहा है कि वे राजनीतिक दमखम पर सदस्य तो बन गए और उसके नाते यहां मिलने वाली सुविधाओं का उपभोग भी करेंगे, मगर उन्हें उर्स मेला व्यवस्थाओं से कोई सरोकार नहीं है। शायद उन्हें उर्स मेले की अहमियत का अंदाजा ही नहीं है। यहां देशभर से जायरीन आते हैं और दरगाह के अंदर की जाने वाली व्यवस्थाओं में कमी रहने पर उन्हें परेशानी हो सकती है, मगर इसकी उनको कोई चिंता ही नहीं है। उन्हें जरा भी ख्याल नहीं है कि यहां आनासागर विश्राम स्थली का पानी खाली न करवाए जाने को लेकर लगातार विरोध जताया जा रहा है। उन्हें शायद इसकी चिंता भी नहीं कि पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की हत्या के बाद यहां का माहौल गर्माया हुआ है और अनेक संगठन यहां आने वाले पाकिस्तानी जायरीन जत्थे का विरोध बढ़ता जा रहा है।
दरगाह कमेटी सदस्यों के इस लापरवाही भरे रवैये को अंजुमन ने भी उठाया है और उनकी शिकायत है कि एकाध को छोड़ कर नए सदस्य अब तक अजमेर आए भी नहीं हैं, ऐसे में वे उर्स की तैयारियों के संबंध में क्या सुझाव देंगे। सदस्यों को पहले यहां आना चाहिए था और पूरी स्थिति समझते तब बैठक में भाग लेते तो बात अलग होती।
हालांकि अंजुमन लगातार आनासागर विश्रााम स्थली पर भी जायरीन को ठहराने पर जोर दे रही है, मगर जब उसकी सुनवाई नहीं हो रही तो उन्होंने उम्मीद जताई है कि दिल्ली में होने वाली कमेटी की बैठक में वे इस मुद्दे को उठाएंगे। अंजुमन सचिव सैयद वाहिद हुसैन अंगाराशाह का कहना है कि आनासागर विश्राम स्थली में भरे पानी को अब तक खली नहीं कराया गया है। इससे उर्स में आने वाले जायरीन को खासी परेशानी होगी। यह विश्राम स्थली दरगाह के निकट होने के कारण जायरीन की पहली पसंद है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
हालांकि प्रशासन भी समझता है कि जायरीन के लिए आनसागर विश्राम स्थली ही सबसे ज्यादा मुफीद है, मगर वह वहां व्यवस्थाएं करने से गुरेज कर रहा है। इस मसले का गौर करने लायक पहलु ये है कि अजमेर के एक दैनिक ने जायरीन की समस्या को रेखांकित करते हुए इस विश्राम स्थली को खाली करवाने का अभियान से चला रखा है तो जिला कलेक्टर ने उसे बैलेंस करने के लिए दूसरे दैनिक का सहारा लिया और इस तरह का माहौल बना रहे हैं कि इस विश्राम स्थली को खाली करवाना नामुमकिन है।
अफसोसनाक बात ये है कि गत 1 मई को गृह राज्यमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल ने कलेक्ट्रेट परिसर में बैठक ले कर सारे इंतजाम 5 मई तक मुकम्मल करने को कहा, मगर उस पर भी अमल नहीं हुआ। दरगाह क्षेत्र और विश्राम स्थलियों में व्यवस्थाएं पूरी नहीं हो पाई हैं। ट्रांसपोर्ट नगर विश्राम स्थली में शामियाने लगाने का काम तो शुरू किया गया है, मगर अभी बहुत सारी तैयारियां बाकी हैं। अंदरकोट, खादिम मोहल्ला और आसपास के क्षेत्रों के लोगों में इस कारण रोष है कि बिजली, पानी और सड़क के काम अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसी प्रकार पीर रोड, शीशा खान आदि क्षेत्रों में भी अब तक व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पाई हैं।
-तेजवानी गिरधर