गुरुवार, 21 जुलाई 2011

खुद ही मरीज है अजमेर संभाग का सबसे बड़ा नेहरू अस्पताल


अजमेर। संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय जरूरी उपकरणों के अभाव और स्टाफ की कमी के कारण अत्यावश्यक सेवाएं भी पूरी तरह से नहीं दे पा रहा है। सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं का तो नितांत अभाव है। नतीजतन रोगियों को या तो प्राइवेट अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है अथवा उन्हें जयपुर रेफर करना पड़ता है। इस सिलसिले में अस्पताल प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने कई बार राज्य सरकार को सूचित किया है, लेकिन बजट के अभाव में कोई समाधान नहीं हो पा रहा है।
जानकारी के अनुसार चिकित्सालय में सीटी स्कैन व एम.आर.आई. मशीन की स्थापना का कार्य अरसे से न्यायिक विवाद के कारण लम्बित है। अतिरिक्त बजट न होने के कारण अस्पताल प्रशासन भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। चिकित्सालय में डायलिसिस मशीन तो है, किन्तु महज तीन लाख रुपए के आर.ओ. सिस्टम के खराब होने के कारण उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। चिकित्सालय में आपातकालीन सुविधाओं के विस्तार की गम्भीर आवश्यकता है। आपातकालीन इकाई में सोनोग्राफी, वेंटीलेटर, सी.टी. स्कैन, आई.सी.यू. तथा आक्सीजन का सैन्ट्रल सैक्शन व माइनर ऑपरेशन थियेटर की कमी के कारण मरीजों को ऐन वक्त पर जयपुर रेफर करना पड़ता है। इसी प्रकार नेत्र रोग विभाग में फेको मशीन ठीक नहीं है। चिकित्सालय में ट्रोमा सेन्टर की स्थापना की घोषणा राज्य के बजट में की गई है, किन्तु इस दिशा में कोई प्रयास प्रारम्भ नहीं हुए हैं, जबकि जोधपुर एवं कोटा आदि अन्य शहरों में ट्रोमा सेन्टर ने काम करना भी शुरू कर दिया है। पीलिया के मरीजों के लिये ई.आर.सी.पी. की व्यवस्था नहीं है। चिकित्सालय में न्यूरो फिजीशियन का पद नहीं है। इस कारण मरीजों को भारी परेशानी होती है। चिकित्सालय में डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों के अनेक पद रिक्त चल रहे हैं।
संभाग का सबसे बडा चिकित्सालय होने के बावजूद यहां सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं का अभाव है। चिकित्सालय में नेफ्रोलाजी, ओपन हार्ट सर्जरी, न्यूरोलॉजी, एंडोक्राइन, ओंकोलॉजी, लेप्रोस्कॉपी, प्लास्टिक सर्जरी जैसी सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
चिकित्सालय में सेप्टिक टेंक व ड्रेनेज की सफाई की कोई नियमित व्यवस्था नहीं है। सम्बन्धित जानकारों का कहना है कि चिकित्सालय की स्थापना के समय से ही सेप्टिक टेंक की सफाई का कार्य नहीं हुआ है तथा कितने सेप्टिक टैंक हैं, इसका भी किसी को निश्चित ज्ञान नहीं है। सेप्टिक टैंक भर जाने के कारण भूतल के शौचालय गन्दगी से भरे रहते हैं। चिकित्सालय की सफाई व्यवस्था ठेके पर दी गई है, किन्तु ठेकेदारों द्वारा जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किये जाने से प्राय: वार्ड, शौचालय एवं सम्पूर्ण परिसर में गन्दगी रहती है।
प्राय: मरीजों को अपने मर्ज की रिपोर्टें प्राप्त करने अथवा दिखाने के लिये एक से दूसरे विभाग में भटकना पड़ता है। मरीजों के परिजन के बैठने की उचित व्यवस्था भी नहीं है। इसके अभाव में परिजन संक्रमित स्थानों पर बैठ कर ही भोजन करते हैं। चिकित्सालय में लिफ्ट की संख्या कम है तथा ये प्राय: खराब अथवा बन्द रहती हैं।
इस सिलसिले में अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि चिकित्सालय के भवन का निर्माण ब्रिटिशकाल में लगभग 100 वर्ष पूर्व हुआ था। भवन में पूर्णत: नये निर्माण को छोड़कर शेष भवन खस्ता-हाल में है। अस्थि रोग विभाग से सम्बंधित फिजीयोथैरेपी विभाग का भवन बिल्कुल जर्जर अवस्था में है एवं जगह भी कम है। गेस्ट्रोलॉजी विभाग में विषेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध होने के उपरान्त भी चिकित्सालय भवन में इसका अलग विभाग/वार्ड खोले जाने हेतु पर्याप्त स्थान एवं संसाधन उपलब्ध नहीं है। बाल रोग विभाग में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए वार्ड एवं पलंग बहुत कम है, प्राय: एक पलंग पर दो-दो मरीजों को रखा जाता है।