बुधवार, 1 अगस्त 2012

राहुल के साथ ही सचिन का भी बढ़ेगा कद


कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को पार्टी संगठन अथवा सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के साथ ही उनके करीबी व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट का भी कद बढऩे की पूरी संभावना जाहिर की जा रही है। हालांकि अभी तक कांग्रेस या राहुल की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि राहुल संगठन की कमान संभालेंगे या सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री पद संभालेंगे, लेकिन ज्यादा आसार कांग्रेस अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बनने के हैं। इसी के साथ उनकी युवा ब्रिगेड के प्रमुख सदस्य पायलट को भी कोई बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। और यही वजह है कि इन दिनों सचिन के इर्द-गिर्द होने वाली गतिविधियों में यकायक परिवर्तन आ गया है।
 समझा जाता है कि उपराष्ट्रपति चुनाव अथवा संसद के 7 सितंबर को समाप्त होने वाले सत्र के बाद राहुल की ताजपोशी के साथ ही संगठन व सरकार में व्यापक परिवर्तन किया जा जाएगा। और उसी के साथ पायलट को भी कोई बड़ा पद दिया जाएगा। चार विकल्प हैं। एक पदोन्नत कर केबीनेट मंत्री बनाया जाए। दूसरा केन्द्र में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाए। तीसरा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंपा जाए। और चौथा, राजस्थान में उप मुख्यमंत्री पद से नवाजा जाए। यूं कुछ लोग तो उन्हें राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं।
हालांकि उनका मुख्यमंत्री बनना प्री मैच्योर डिलेवरी और बचकानी लगती है, मगर इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता। आपको ख्याल होगा कि पूर्व विधायक व अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के अध्यक्ष गोपीचंद गुर्जर तो मांग तक रख चुके हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसी प्रकार गहलोत मंत्रीमंडल के सदस्य मुरारीलाल मीणा भी कह चुके हैं कि पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या मुख्यमंत्री, दोनों में किसी एक पद पर आरूढ़ किया जाना चाहिए।
असल में यह तो शुरू से ही दिख रहा था कि जैसे-जैसे कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी सत्ता का केन्द्र बनेंगे, उनकी टीम के सचिन पायलट की अहमियत भी बढ़ेगी। हालांकि स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र होने के कारण उनका पाया मजबूत था, लेकिन साथ ही राहुल की पसंद होने के कारण उन्हें केन्द्रीय मंत्रीपरिषद में शामिल कर लिया गया। दिल्ली के पास बुराड़ी गांव में आयोजित कांगे्रस में राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल ब्रिगेड की पर्सनल किचन केबिनेट के सदस्य पायलट को जूनियर होते हुए भी मंच से बोलने का मौका दिया गया। यह इस बात का साफ संकेत था कि आने वाले दिनों में सचिन ओर उभर कर आएंगे। राजस्थान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने का अहसास तब भी हुआ था, जब यहां गुर्जर आंदोलन की वजह से संकट में आई सरकार की मदद के लिए उन्हें रातों रात जयपुर भेजा गया।  कुछ लोग यह भी सोच रहे थे कि गुर्जरों को राजी करने के लिए पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
बहरहाल, सचिन को कब और कौन सा महत्वपूर्ण पद मिलेगा, कुछ साफ नहीं है, लेकिन पायलट की एंट्री इस रूप में तो हो ही गई है कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। राजनीति में दावा ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। उसके बिना दावे की बात करना ही अप्रासंगिक और हवाई लगती है। और एक बार बस दावा स्थापित हो जाए तो यूं समझिये कि आधा रास्ता पार हो गया, क्योंकि उसके लिए लोगों की मानसिक तैयारी शुरू हो जाती है। बाकी काम कांग्रेस की कल्चर कर देती है, जिसमें कैडर उतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना कि हाईकमान की पसंद।
-तेजवानी गिरधर