मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

कैसे उठी देवनानी व अनिता को मंत्री पद से हटाने की बात?

पिछले कुछ दिन से शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल सहित राज्य में पांच मंत्रियों को हटाए जाने का समाचार एक समाचार एजेंसी से जारी होने के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उसकी धूम मची हुई है। इसके साथ एक खबर ये भी उड़ रही है कि पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र व शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह को शिक्षा राज्य मंत्री बनाया जा रहा है। मंत्रियों को हटाए जाने की खबर पर सहसा विश्वास करना मुश्किल है, मगर चूंकि यह एक समाचार एजेंसी के जरिए आई, इस कारण माथा ठनकना वाजिब है।
खबर के आधार पर कयास लगाने वालों का कहना है कि देवनानी को मंत्री पद से हटाए जाने की संभावना की एक बड़ी वजह ये है कि भाजपा विधायक श्रीचंद कृपलानी मंत्री बनने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं। पिछले दिनों उन्हें यूआईटी का चेयरमेन बनाया गया, मगर उन्होंने नाराजगी दर्शाते उस पद को ग्रहण करने से इंकार कर दिया। वे चुप नहीं बैठे हैं। अगर उन्हें सिंधी कोटे से मंत्री बनाया जाता है तो ऐसे में देवनानी की छुट्टी करनी होगी। हालांकि कृपलानी सिंधी वोटों के दम पर नहीं जीतते, जिस प्रकार देवनानी जीतते हैं, मगर यदि उन्हें मंत्री बनाया जाता है तो वह सिंधी कोटे में गिना जा सकता है। जहां तक देवनानी के मंत्री पद से हटने की संभावना का सवाल है, वह काफी कठिन है, क्योंकि वे आरएसएस कोटे से हैं और उसमें भी गिनती के दमदार आरएसएस विधायकों में से। इसके अतिरिक्त शिक्षा राज्य मंत्री के नाते वे पाठ्यक्रम में आरएसएस का एजेंडा लागू करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इस कारण आरएसएस उन्हें हटाए जाने पर राजी होगी, थोड़ा कठिन लगता है। एक वजह और भी है, वो यह कि पिछले नगर निगम चुनाव में उनके अजमेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का परफोरमेंस अच्छा रहा है। उनके इलाके के पार्षदों के दम पर ही मेयर पद पर भाजपा के धर्मेन्द्र गहलोत को मेयर बनाया जा सका।
उधर अनिता भदेल के हटने के पीछे एक मात्र वजह अगर हो सकती है तो वो यह कि निगम चुनाव में वे फिसड्डी साबित हुईं। खुद अपनी जाति कोलियों के वोट तक हासिल नहीं कर पाईं। यहां तक कि खुद अपने वार्ड में भाजपा को नहीं जितवा पाईं। ज्ञातव्य है कि वे अजमेर में भाजपा की गुटबाजी को संतुलित करने की खातिर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पसंद से वे मंत्री बनाई गईं, जबकि अजमेर शहर से ही देवनानी को मंत्री बनाना सुनिश्चित था। बनाना तो उनको केबीनेट मंत्री था, मगर संतुलन की राजनीति के चलते उन्हें राज्य मंत्री के रूप में संतुष्ट होने को मजबूर किया गया। ये बात दीगर है कि उन्हें प्रभावशाली बनाते हुए अजमेर प्रभारी मंत्री भी बना दिया गया।
बहरहाल, दोनों मंत्रियों को हटाए जाने वाली खबर से अजमेर भाजपा में खलबली मची हुई है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
8094767000